मेरा नाम रीना है और मै सूरत की रहने वाली हूं.आज मै आप को अपनी फ़ैमली की एक ऐसी काहानी बताने जा रही हूं जो मैने अबतक किसी से भी शेयर नही करी है. इस काहानी मे कुछ भी झूट नही है हर बात सच सच है लेकिन सिर्फ़ नाम बदल दिये हैं मैने. मै एक मिडल क्लास फ़ैमली से हूं. हमारी फ़ैमली एक बडी फ़ैमली है. मेरे दो भाई और एक बैहन हैं. सब से बडा भाई सुनील २५ साल फिर राजीव २२ साल फिर मै २० साल और सबसे छोटी कल्पना १७ साल की है. मेरे पिताजी की एक ट्रांसपोर्ट कम्पनी है. मा ग्रिहणी हैं. बडा भाई शादी शुदा है और वो भी पिताजी के साथ काम करता है. हम सब साथ ही रहते हैं. बाकी बहन भाई शादी शुदा नही हैं. मै और राजीव घर मे सब से अच्छे दोस्त हैं. हमारी सिटी मे शायद ही किसी बहन भाई मे इतनी दोस्ती हो जितनी के मेरी और राजीव की है. मैने कभी भी ये सोचा ना था के मै ऐसा भी कर बैठूंगी. पता नही राजीव के दिमाग मै ऐसी बातें कब से आ गयी थीं. अक्सर हम रात को देर रात तक बातें करते रहते थे. एक रात हम बातें करते करते टीवी भी देख रहे थे और हमारी बातों का टॊपिक लव मैरिज था. उस का कैहना था के शादी हमेशा मा बाप की मरज़ी से करनी चाहिये और मै लव मैरिज को वोट कर रही थी. क्यों के मुझे एक लडके से प्यार था लेकिन राजीव को इस बात का पता नही था.. उस रात जब मैने लव मैरिज को इतना वोट किया तो अचानक राजीव ने मुझसे एक सवाल किया जिसके लिये मै तय्यार नही थी. उसने काहा: रीना एक बात तो बताओ. क्या तुम्हे किसी लडके मे इन्टरस्ट है? मेरा मतलब क्या तुम किसी से प्यार करती हो? मै अचानक इस सवाल को सुन कर चुप हो गयी. वो फिर बोला: बताओ तो सही…….. .इस मे कोई बुराई तो नही. सब को हो जाता है. हो सकता है तुम को भी हो गया हो, मुझ से शेयर कर लोगी तो शायद मै तुम्हारी मदद कर सकूं. ये सुन कर मेरा कुछ हौसला बढ गया. और मैने सिर्फ़ सर हिला कर उसे हां काहा. वो बोला: कौन है वो? मैने उसे बता दिया के मै अपनी क्लास के लडके रिशी को पसन्द करती हूं. कुछ देर बाद वो बोला: एक बात बताओ….. ……सच सच बताना. क्या तुम दोनो मे कुछ हुआ है? मै ये सवाल समझ नही सकी तो मैने पूछा: क्या मतलब? वो फिर बोला…….. …..मेरा मतलब कोई ऐसी वैसी हर्कत की है उसके साथ? अब मै उस का मतलब समझ गयी और बोली : नही. वो कई बार कोशिश कर चुका है. पर मैने कभी भी उसे अपने को छूने नही दिया. वो बोला: वैसे मै जानता हूं उसके बारे में. काफ़ी लडकियां हैं उसके जाल मे तुम्हारी तरह. और बहुतों के साथ तो वो काफ़ी कुछ कर भी चुका है. मै बोली: क्या कर चुका है? वो कुछ देर चुप रहने के बाद बोला…….. …सेक्स कर चुका है और क्या. मै सुन कर हैरान रह गयी और फ़ोरन राजीव से लडने वाले अन्दाज़ मे बोली: नही वो ऐसा नही है……… …..हां मुझसे वो ज़रूर छेड छाड करता है मगर उसका किसी और लडकी के साथ चक्कर नही है. वो बोला: अरे तुम चाहो तो मेरे दोस्त की बहन सिमरन से पूछ लेना. वो उसकी शिकार बन चुकी है. ये सुन कर मै बहुत परेशान हो गयी लेकिन मुझे अब भी इस बात का यकीन नही था. एक दो दिन बाद मुझे सिमरन मिली तो मैने उससे रिशी के बारे मे पूछा. सिमरन ने राजीव की बात को कन्फ़र्म कर दिया के दो साल पहले रिशी ने उसे पटा के उसके साथ सेक्स किया था. मुझे बहुत बडा धक्का लगा और मैने रिशी से अपना रिशता तोड दिया. उस दिन मै घर आके सारा दिन रोती रही. रात को भी ठीक से नही सोई और रोती रही. अगले दिन सन्डे था. जब मै उठी तो ९ बज चुके थे पर मेरी आंखें अभी भी लाल थी. मा ने देख कर पूछा क्या हुआ रीना तुम को? मै बोली कुछ नही मा बस रात को नीन्द ठीक से नही आई. वो ये सुन कर दांटने लगी | एक तो तुम दोनो बहन भाई पता नही रात को इतनी देर तक क्या बातें करते रहते हो. कभी जलदी भी सो जाया करो, बीमार हो जायेगी और वो तुम्हारा भाई भी. मै बोली: कुछ नही होता मा. और बाथरूम मे चली गयी. नाश्ता करते हुए मा ने बताया के आज रोहित का मुन्डन है और हम सब जा रहे हैं, नाशते के बाद तय्यार हो जाओ. (रोहित मेरी चाची का दो साल का लडका है) मेरा जाने का मूड नही था इसलिये बोली: मा मेरी तबीयत ठीक नही है. मै नही जाना चाहती. मा ये सुन कर गुस्से मे बोली: और जागो सारी सारी रात, लेकिन तुम घर मै अकेली क्या करोगी? राजीव बोला: मा मै भी नही जाना चाह रहा. मै रीना के पास रहता हूं आप लोग चले जाओ. नाशते के बाद सब लोग तय्यार होने लगे और करीब ११ बजे सब चले गये. अब घर में सिर्फ़ मै और राजीव थे. वो टीवी देख रहा था और मै अपने कमरे में थी. कुछ देर बाद राजीव मेरे कमरे में आया और बोला : कैसी हो रीना तुम अब? मै: ठीक हूं राजीव. राजीव: नराज़ हो क्या मुझसे? मै: नही राजीव ये कैसे सोच लिया तुमने? राजीव: बात तो करती नही मुझसे तो फिर ऐसा ही सोचूंगा ना. मै: कुछ नही राजीव तुम भी ना….. अच्छा चलो कोयी और बात करो. राजीव: पहले हंस कर दिखाओ. इस बात पर मै फ़ोरन ही हंस पडी और उसने मुझे हंस्ता हुआ देख कर उसने अपने गले लगा लिया. उसने मुझे माथे पर किस भी किया. ऐसा पहले कभी नही किया था उसने. मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मै और भी चिपक गयी उसके साथ. हम ऐसे ही कोई २ – ३ मिनट तक रहे. फिर मैने भाई से पूछा: राजीव एक बात तो बताओ? राजीव: क्या? मै: क्या सब लडके हम लडकियों के बारे मै ऐसा ही सोचते हैं? राजीव: म्म्म्म्म हां ज़्यादा तर लडके ऐसा ही सोचते हैं आज कल. मै: क्या तुम भी ऐसा सोचते हो किसी के लिये? राजीव: म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म हां मै: किसके लिये? राजीव: हो सकती है कोई भी तुम्हे इससे क्या मतलब? मै : नही….मुझे बताओ ना? राजीव: छोडो इस बात को अब……….किस तरह की बातें कर रही हो तुम? मै: तुमने रात को ही काहा था के हम सब कुछ शेयर कर सकते हैं. अब क्यों छुपा रहे हो? राजीव:देख लो. तुम जानती हो की मै काफ़ी बोल्ड हूं. अगर कुछ बोला तो किसी को बताना नही. मै: नही बताऊंगी………अब बताओ ना? राजीव: तो सुनो………..मै रीना के बारे मै ऐसा सोचता हूं. (रीना मेरी भाभी हैं) मै ये सुन कर हैरान हो गयी…..और उससे पीछे हट गयी. वो अब मुझे सिर्फ़ मुसकुराता हुआ देखता रहा. मेरी समझ मे नही आ रहा था के अब मै उससे क्या कहूं. फिर मै बोली: क्या मतलब है तुम्हारा? क्या तुम भाभी की बात कर रहे हो? राजीव : हां……….उसी की बात कर रहा हूं………और बात बताऊं तुमको? उसे भी ये पता है और उसे ये सुन कर खुशी हुई थी. अब तो मेरी हैरानगी की कोयी हद नही थी. मेरी समझ मे नही आ रहा था के वो क्या कह रहा है. फिर मै बोली: राजीव तुम को पता है ना तुम क्या कह रहे हो? वो तुम्हारी भाभी हैं. कैसे सोच लिया तुमने उसके बारे में? राजीव: भाभी हैं तो क्या हुआ. हैं तो एक लडकी ही ना आखिर. खुबसूरत हैं मुझे अच्छी लगती हैं और उसे मै भी अच्छा लगता हूं. इसमे बुराई क्या है? मै: एक बात बताओ………..किस किसम का रिशता है तुम्हारा और रीना भाभी का? राजीव: वैसा ही जैसा होता है इस सूरत मे. मै: क्या मतलब…..कैसा होता है इस सूरत मे? राजीव: प्यार भरा और क्या मै: क्या तुम उसके साथ कुछ कर तो नही बैठे? राजीव: हां थोडा बहुत कर चुका हूं मै: हे भगवान……….भाभी के साथ? राजीव तुम पागल तो नही हो गये? किस हद तक गये हो तुम उसके साथ? राजीव: हां पागल कर दिया था उसने……..मै क्या करता……..और रही बात हद की, तो प्यार मे कोई हद नही होती मै: क्या मतलब? राजीव: वही जो प्यार करने वाले करते हैं………..कुछ किसिंग…….कुछ हगिंन्ग ……………और कुछ वो भी. मै: वो भी………………….? सच सच बताओ………………कहीं सेक्स तो नही क्या तुम ने? राजीव: हां हो तो गया है ……….इसमे मेरा क्या कसूर? इतनी खुबसूरत औरत जब पास हो तो आदमी से ये कुछ भी हो सकता है. मै: कसूर………….? क्या मतलब ? अगर कोई भी खुबसूरत औरत हो तुम उसके बारे मे ऐसा ही सोचोगे? चाहे वो तुम्हारी बहन ही क्यों ना हो राजीव:म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म्*म्म्म……………… ………..हां …………….ऐसा ही है………….. ये सुन कर तो मेरा दिमाग खराब होने लगा……..कुछ देर तो मै चुप रही………..फिर बोली: क्या तुम मेरे बारे भी इस तरह से सोचते हो? राजीव: देखो रीना……….तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो………बहन ही……….इस लिये तुमसे कुछ नही छुपाऊंगा……….हां तुम मुझे आकर्शित करती हो………….अगर तुम मेरी बहन ना होती तो मै तुमसे शादी करने की सोचता. मै: राजीव!!…………………तुम पागल तो नही हो गये ….. मै तुम्हारी बहन हूं …………कैसे आदमी हो तुम? राजीव: बहन तो हो………….पर खुबसूरत भी बहुत हो………….और सेक्सी भी…………..अब मेरा क्या कसूर? पता नही क्यों राजीव की इन बातों से मज़ा आ रहा था और मै भाभी वाली बात का धक्का भूल गयी थी.अजीब सी हालत थी मेरी.मै सोच रही थी की अब मै इसे क्या कहूं और कैसे कहूं……………दिमाग मै कुछ नही आ रहा था…….लेकिन मै एक बात ज़रूर नोट कर रही थी. वो ये के राजीव की ये बातें बुरी नही लगी मुझे. मै अब कुछ नही बोल रही थी और वो मुझ को सिर्फ़ देख रहा था और मुसकुरा रहा था. मै कुछ डर भी रही थी…………..पता नही क्या हो रहा था मुझे………………पता नही मै शर्मा कर या डर कर रूम से बाहर चली गयी…………..राजीव वहीं बैठा रहा………………..
मेरे अन्दर एक अजीब सी हालत थी……….मेरा भाई और मेरे बारे मै ये सोचता है…………..क्या मै सच मे इतनी खुबसूरत हूं?………….अब मुझे क्या करना चाहिये?………………………कैसे हैन्डल करूं इस हालात को? अब मै राजीव के बारे मै एक और ही तरह से सोच रही थी. ये बात तो सच थी के राजीव है काफ़ी हैन्ड्सम और सेक्सी भी…………….लेकिन वो मेरा भाई है……………………ये बात बार बार मेरे दिमाग मै आ रही थी. उस दिन मैने फिर राजीव से इस टॊपिक पर ज़्यादा बात नही की क्योंकी मै पहले ही बहुत शॊक मे थी. मुझे अपने लव अफ़ेयर का सदमा कुछ ही दिन मे भूल गया क्योंकी मै अपने बॊयफ़्रेन्ड पर बहुत ही गुस्सा थी. मैने उससे बिलकुल मिलना छोड दिया और फिर उससे कोई रिशता ना रखने की कसम खा ली. एक दिन रात को टीवी देखते हुए मुझे एक खयाल आया के आखिर राजीव ने जो भी मुझको रीना भाभी के बारे मे बताया है क्या वो सच हो सकता है के नही. इसलिये मैने सोचा क्यों ना इस बात का पता लगाया जाये और मै अब राजीव से नही बल्के भाभी से इसके बारे में पूछूं. लेकिन कैसे? अगले दिन मै लन्च के बाद भाभी के पास बैठ गयी और इधर उधर की बातें करने लगी और बातें करते करते मैने भाभी से पूछा की आज कल ज़िन्दगी भर किसी एक के साथ रहना काफ़ी मुश्किल होता है ना भाभी? क्या आप भैया से बोर नही हो जाती? वो मेरी यी बात सुन कर अजीब तरीके से मुसकुरा कर कहने लगी: इस के इलावा कर भी क्या सकते हैं. आखिर ज़िन्दगी भी तो गुज़ारनी है ना. मै: भाभी….. क्या भैया भी तुम से बोर नही होते? क्या तुमको यकीन है के उनका कोई बाहर चक्कर वक्कर नही है? भाभी: लगता तो नही है…..(फिर हंसते हुए बोली) अगर है भी तो मुझे क्या? वापस तो मेरे पास ही आना है ना. मैने फिर भाभी से सवाल किया: भाभी एक बात पूछूं?……….. भाभी: हां पूछ क्या बात है? मै: अगर मेरा कोई चक्कर हो तो भैया क्या करेंगे? भाभी: बहुत गुस्सा करेंगे तुझे. अगर ऐसी कोई बात हो तो मुझ तक ही रहने देना. वैसे कोई चक्कर है क्या? मै: नही भाभी…अभी तक तो नही है…………लेकिन एक लडका लाईन मार रहा है मुझ पर काफ़ी दिनों से. भाभी: कौन है वो और कैसा है? मै: मेरी क्लास मै पढता है और है भी हैन्ड्सम…………. भाभी: तो तेरा क्या खयाल है……..? पसन्द है क्या तुझे? मै: है भी और नही भी भाभी: म्म्म्म्म्*म्म ……….अगर तो तुम सीरिअस हो तो बात करूं घर वालों से? मै: नही नही भाभी………..इतना भी पसन्द नही है मुझे.
भाभी: तो फिर टाईम पास कर और मज़ा ले के छोड देना. मै ये बात सुन कर हैरान हो गयी के भाभी मुझे क्या कह रही है और भाभी से पूछा: मज़ा लूं?………इस का क्या मतलब? भाभी हंस्ते हुए आहिस्ता से बोली: अरे जवानी के मज़े ले और क्या. यही तो उमर है ऐश करने की. मै: भाभी अगर मैने कुछ किया तो मेरे होने वाले पती को पता नही चलेगा के मैने क्या कुछ किया हुआ है? भाभी: अरे नही पता चलता…………(भाभी ने इधर उधर देखा और आहिस्ता से बोली) अब तुम्हारे भाई को पता चला है क्या मेरे बारे मे? मै: क्या मतलब भाभी? क्या आप भी? कब, कैसे और किस के साथ? भाभी: मै बहुत ही चालाक हूं. मैने एक काम किया की घर की बात घर मे ही रह जाये……………….और किसी को शक भी ना हो………… मै: क्या किया आपने? भाभी: मै तो कसम खा सकती हूं के मैने आज तक तुम्हारे भाई के इलावा किसी के साथ सेक्स नही किया…………..हां ये बात अलग है के वो सुनील के इलावा भी हो सकता है………….. मै: हे भगवान .भाभी………राजीव के साथ? कब? और कहां? भाभी: अब चुप ही रहो किसी से बात ना कर बैठना. मै: भाभी आप को मुझ पर यकीन नही है क्या? भाभी: है तभी तो इतनी बातें कर रही हूं ना…………..वैसे तुम्हारे भाई राजीव की क्या बात है……….बहुत ही सेक्सी है…………. भाभी से बात करने के बाद मुझे पता चल गया के राजीव की बात सच थी. फिर भाभी ने अपनी सारी कहानी सुनाई जो मै आप को किसी और दिन बताऊंगी. फिर मै ने इधर उधर की बातें करके बात खतम कर दी. उसी रात को जब मै और राजीव टीवी देख रहे थे और बाकी सब सो चुके थे मैने राजीव को बताया के आज मेरी भाभी से क्या बात हुई. वो मेरी बातें सुन कर सिर्फ़ मुसकुराता रहा. मैने राजीव से एक सवाल किया : ऐसा करने के बारे मे तुम्हे खयाल कैसे आया? राजीव: तुम को पता है मै कम्प्यूटर पर बहुत ज़्यादा टाईम बिताता हूं और नेट से बहुत कुछ पता करता हूं…बस वहीं से मेरा इन बातों पर ध्यान गया. मै: क्या ध्यान गया |
राजीव: चलो अभी दिखाता हूं. वो ये कह कर मुझे कम्प्यूटर पर ले गया और नेट पर मस्त हिंदी सेक्स कहानी खोल दी और मुझे काहा लो तुम बैठ कर इन्हें पढो. मुझे अब शरम आ रही थी पर राजीव मुझे कम्प्यूटर के समाने छोड कर चला गया. कुछ देर मै इधर उधर देखती रही फिर हिम्मत करके पढना शुरू कर दिया……….और जब मैने काहानियां पढनी शुरू की तो मेरी हैरानी की हद नही थी. इन काहानियों मे तो किसी किसम का भी रिश्ता माफ़ नही किया गया था. कोई अपनी भाभी या साली के साथ, कोई मां या बाप के साथ, कोई अपने कज़न और कोई अपने सगे भाई या बहन के साथ सेक्स की बातें बता रहा था…….मेरे अन्दर एक अजीब सी फ़ीलिन्ग हो रही थी. पता नही मुझे क्या हो रहा था. लेकिन जो भी था अच्छा लग रहा था और मै पढते ही जा रही थी. मुझे पता ही नही चला के कब सुबह के ४:०० बज गये. मैने जल्दी से कम्प्यूटर बन्द किया और सोने चली गयी. उस रात मैने एक सपना देखा की मै अपने बाथरूम में नाहा रही हूं और अचानक राजीव बाथरूम मै आ गया और वो बिलकुल नंगा था लेकिन मै उसे देख कर खुश हो रही थी. राजीव बाथरूम मै आते ही मुझे चूमने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मेरी आंख खुल गयी तो देखा की मेरा हाथ मेरे वैजाईना पर है……….और मै नीचे सी गीली हो चुकी थी. राजीव जब नाश्ते पर मिला तो हंसते हुए आहिस्ता से मुझसे पूछा: कैसी रही रात की एन्टरटेनमेन्ट?
मै:ठीक थी………सिर्फ़ एक काहानी पढी और फिर सो गयी. कोई खास मज़ेदार नही थी…… मैने जान बूझ कर राजीव से झूट बोला. पता नही क्यों मै उससे सच नही बोल पाई. वो मेरी बात सुन कर मुसकुराता हुआ चला गया. मुझे लग रहा था के मै अब राजीव को किसी और नज़र से देख रही हूं पर किस नज़र से? इस का जवाब नही था मेरे पास. उस दिन जब राजीव नही था मैने मौक देख कर फिर कम्प्यूटर ऒन किया और फिर से
तो बोला: चलो आज मै तुम को कहानीयां नहीं बल्के असली चीज़ दिखाता हूं. मै बोली: वो कैसे राजीव: जैसे मै कहूं वैसे करती जाओ. फिर देखो क्या होता है. ये कह कर वो मेरा हाथ पकड कर मुझे छत पर ले गया. छत पर सिर्फ़ एक ही कमरा है जिसमे सुनील भैया और रीना भाभी रेहते हैं. उसने जा कर उनके कमरे के दर्वाज़े को खटखटाया. रीना भाभी नाईटगाउन मे बाहर आयी और हमसे पूछा: क्या बात है? राजीव ने ऊंची आवाज़ मे काहा: वो आज का अखबार चाहिये. हमे कुछ देखना था उसमे. अन्दर से सुनील भैया की अवाज़ आयी: रीना, यहां पर पडा है अखबार, आके ले जाओ और दे दो इसे. रीना भाभी अन्दर से अखबार लेकर आयीं तो राजीव उन्हें खींच कर साईड पर ले गया और दबी ज़ुबान मे बोला: रीना, आज रात को सुनील के साथ सेक्स का प्रोग्रैम है क्या तुम्हारा? रीना बोली: हां, क्यों?
राजीव: तुम खिडकी पर से परदाआ थोडा हटा देना और थोडी सी लाईट भी आने देना रीन मुसकुराते हुए बोली: “क्यों, क्या करोगे तुम लोग देख कर”
राजीव: अरे कुछ नही, रीना की बहुत इच्छा है सच मे सेक्स देखने की, इसकी उत्सुकता शान्त हो जायेगी
रीना: राजीव, तू इसको भी बिगाड रहा है राजीव: अरे नही, इसको ग्यान दे रहा हूं. अच्छा शो दिखाना
रीना: अच्छा मै देखती हूं क्या कर सकती हूं फिर भाभी अन्दर गयी और दर्वाज़ा बन्द करके चिटकनी लगा दी. उसने बडी लाईट बुझा कर एक छोटी लाईट ऒन कर दी और परदा खोल कर, खिडकी भी खोल दी. फिर उसने परदा किया, लेकिन पूरी तरह नही. फिर रीना अपने बेड पर बैठ गयी.
सुनील भी बेड पर आकर लेट गया और रीना उसके साथ चिपक गयी. उसके दोनो मम्मे राजीव के सीने से दबे थे. सुनील उसकी गान्ड को अपने हाथ से सहला रहा था | और एक दूसरे को देख दोनो मुसकुरा रहे थे. तभी रीना ने झुक कर सुनील के होंठों पर किस किय. फिर सुनील ने उसके चेहरे को पकडा और उसके होंठों को अपने होंठों से कसकर चूसने लगा. अब वो दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. ३-४ मिनट बाद रीना हांफ़ती हुई सुनील के ऊपर ढेर हो गयी और राजीव ने भी उसे अपने बांहों में कस लिया. हमे कमरे की हल्की रोशनी मे ये सब कुछ साफ़ नज़र आ रहा था. हम चुपचाप खिडकी के पास खडे हो कर परदे की दरार मे से देख रहे थे. मुझे अजीब सा लग रहा था अपने भाई और भाभी को छुप छुप के देखना पर अन्दर ही अन्दर मज़ा भी आ रहा था. कुछ देर सुनील ने रीना की गान्ड को नाईटगाउन के ऊपर से सहलाया और फ़िर हाथ को नाईटगाउन के अन्दर डाल उसकी गान्ड को सहलाने लगा. फिर उसने नाईटगाउन को उठा कर निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी. फिर सुनील खडा हुआ और अपना शर्ट और पजामा उतार दिया और अपने अन्डरएयर मे रीना के सामने खडा हो गया. उसका लन्ड उसके अन्डर्वेयर मे तन के खडा था. मैं आंखें फाड फाड के ये नज़ारा देख रही थी. मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थी. रीना ने खिडकी की तरफ़ देखते हुए अपने मम्मों को अपने हाथों मे पकड कर बोला: सुनील कैसी लग रही हूं आज? मै समझ गयी की वो असल मे हमे दिखा रही थी और ये सवाल राजीव के लिये था. सुनील बोला: अरे तू तो है ही बहुत खूबसूरत यार. चल अब इनको बाहर निकाल. उसने भाभी के मम्मों की तरफ़ इशारा करके काहा. रीना ने अपनी ब्रा खोली और ब्रा हटाई तो मै देखकर दन्ग रह गयी. एकदम गोल और कसे कसे मम्मे थे. फिर वो लेटी और अपने मम्मों को उभार दिया. सुनील उसके ऊपर झुका और पहले दोनो निप्पल को चूमा और फ़िर जीभ निकल दोनो को १०-१५ बार चाटा. जीभ से चाटने के बाद दोनो मम्मों को हाथों से पकड मसला और फ़िर एक को मुंह में लेकर चूसने लगा. मै दोनो का खेल देख उत्तेजित हो गयी थी. मेरे से रहा नही गया और मै अपने मम्मों को पकड के हल्का सा दबाने लगी. मगर फिर मैने देखा की राजीव मुझे ये करते हुए देख रहा है तो मैने अपना हाथ जलदी से हटा लिया. रीना सिसकियां ले रही थी और बार बार अपनी चूंचियों को ऊपर की ओर उचका के सुनील के मुंह में घुसेड रही थी. मै सोच रही थी की मम्मे चुसवाने और निप्पल चटवाने में कितना मज़ा आता होगा. सुनील कुछ देर तक मम्मे चूसने के बाद उठा और फ़िर रीना कि पैन्टी को खिसकाया. रीना ने अपनी गान्ड उठा के पैन्टी को उतरवाया और अब वो बिलकुल नंगी बेड पर लेती थी. सुनील ने अपना हाथ रीना की चिकनी टांगों पर रखा और सहलाते हुए चूत तक ले गया और पूरी चूत को हाथ से दबाया. फिर उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसकी क्लिट को अन्गूठे से मसलने लगा. रीना बोली: मुंह से करो ना. सुनील उसकी दोनो टांगों के बीच आया और अपने मुंह को झुका कर उसकी चूत पर रख दिया. चूत से जीभ लगते ही भाभी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी. भाभी इस पोस में लेटी थी की हमे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखायी दे रहा था. भैया जीभ को पेलकर चाट रहे थे और हाथ से दोनो मम्मों को भी दबा रहे थे. भाभी मज़े से भर करे अपनी गान्ड उछाल रही थी और तेज़ तेज़ अवाज़ में सिसक रही थी. मुझे भी अपनी पैन्टी गीली होने का ऐहसास हुआ क्योंकी मेरी चूत से भी पानी निकलने लगा था. १०-१२ मिनट तक चटवाने के बाद रीना हांफ़्ते हुए बोली: आह बस अब बस करो नही तो मैं झड जाऊंगी. हाय रुको और अब मुझे अपना लन्ड दो. फ़िर वो उठी और सुनील को लिटाया और उसके अन्डर्वेयर को हाथ से निकाल दिया. मै भैया के लन्ड को देख कर दन्ग रह गयी. खूब मोटा और लम्बा था. लन्ड एक्दम सख्त और ऊपर को तना था. उसने झुककर लन्ड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. वो पूरे लन्ड पर चारों तरफ़ जीभ चलाती फ़िर मुंह में लेकर चूसती. मैने देखा की राजीव का लन्ड भी पैन्ट के अन्दर तन के खडा है और वो उसे अपने हाथ से हल्के हल्के सहला रहा है. राजीव ने देख लिया की मै उसके लन्ड को देख रही हूं |और मुसकुरा दिया पर रुका नही. बलकी उसने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अब उसका लन्ड अन्डर्वेयर के अन्दर तन के दिखने लगा. आज कैसे चोदोगे?” रीना भैया के लन्ड को पकड कर हिलाती हुई बोली. सुनील उसे बेड पर लिटाते हुए बोला, तू लेट जा बस मै चोद लूंगा जैसे मन करेगा. वो लेट गयी. उसकी टांगे हमारी तरफ़ ही थी जिससे उसकी चूत का लाल चेद मुझे साफ़ दिख रहा था. फिर सुनील उसके ऊपर आया और अपने लन्ड को उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे घुसा कर पूरा अन्दर डाल दिया. लन्ड अन्दर जाते ही भाभी के चेहरे पर खुशी देखने वाली थी. उसने हाथों को भैया के कन्धों पर रख लिया था. फिर सुनील ने धीरे धीरे लन्ड अन्दर बहार कर चुदाई शुरू कर दी. मैं अपनी चुदती भाभी को देख बहुत ही गरम हो गयी थी. मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी और पैन्टी नीचे से पूरी भीग गयी थी. राजीव ने भी अपने अन्डर्वेयर की मोरी मे से लन्ड निकाल कर उसे मुठ्ठी मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया था. मुझसे भी अब रहा नही जा रहा था और मैने सल्वार के नाडे को खोल के ढीला किया और अपना एक हाथ अपनी पैन्टी मे डाल दिया और अपनी चूत को रगडने लगी. राजीव ने मुझे ये करते हुए देख लिया पर मुझे अब पर्वाह नही थी. फिर राजीव ने मेरे एक बूब के ऊपर अपना हाथ रख दिया और उसे थोडा सा दबाया. मैने उसकी तरफ़ देखा और उसने मेरी तरफ़. दूसरे हाथ से वो अपने लन्ड को हिलाता रहा. मैने उसे कुछ नही काहा और उसने अब मेरे मम्मों कोएक एक करके कमीज़ के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया. वहां कुछ देर तक सुनील भाभी को इसी तरह चोदता रहा और फ़िर लन्ड बाहर निकाल दिया. चूत के रस से भीगा लन्ड चमक रहा था. लन्ड बहर कर उसने रीना को उठाया और उसे डॊगी स्टाइल में किया और फ़िर पीछे से उसकी चूत में लन्ड पेल कर चुदायी शुरू कर दी.वो हाथ आगे कर रीना के दोनो मम्मों को पकड के कस कर चुदाई कर रहा था. मै अब पैन्टी मे हाथ डाले ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत और क्लिट को मसल रही थी. फिर राजीव ने मेरी कमीज़ के गले के अन्दर अपना हाथ डाला और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को दबाने लगा. मेरी मस्ती की कोई सीमा नही थी और मै चाह रही थी के वो मुझे पूरी तरह से नंगा कर दे, पर मै कुछ नही बोली. फिर उसने मेरा हाथ पकड कर पैन्टी से खींच के बाहर निकाल दिया और अपने लन्ड पर रख दिया और इससे पहले की मै कुछ बोलती अपना हाथ मेरी पैटी मे डाल दिया. वो मेरी चूत को सहलाने लगा और मै सातवें आसमान पर पहुंच गयी. मैने भी उसके लन्ड को अपनी मुठ्ठी मे लेकर हिलाना शुरू कर दिया जैसे मैने उसे करते देखा था. वहां ५-६ मिनट तक इस तरह से चोदने के बाद सुनील ने फिर लन्ड बाहर निकाला और खुद नीचे लेट गया. जब वो नीचे लेटा तो रीना जल्दी से ऊपर आयी और उसके लन्ड को पकड अपनी चूत से लगा उसपर बैठने लगी. लन्ड जब पूर अन्दर चला गया तो वो खुद ऊपर नीचे हो चुदवाने लगी. सुनील भी नीचे से अपनी गान्ड उठा उठा लन्ड पेल रहा था और हर धक्के पर भाभी ऊ आ ऊ कर रही थी. इस तरह से भी उसने ७-८ मिनट तक रीना को चोदा फ़िर उसे अपने बदन से चिपका लिया और…
बोला: आह्ह्ह रीना मैं झडने वाला हूं. आह्ह मेरा निकलने वाला है. रीना तेज़ी से एक झटका और देती हुई चिलाते हुए बोली: हां मै भी झड रही हूं. सुनील अब आह आह करता झड रहा था. झडने के बाद उसने रीना के होंठों पर अपने होंठ रखे और चूमने लगा. फिर दोनो एक दूसरे से चिपक कर बेड पर ढेर हो गये. इधर मै भी झड रही थी और अपने होंठों को दांतों मे दबा कर अपनी आवाज़ को रोक रही थी. मेरे हाथ मे राजीव क लन्ड भी झटके खाने लगा और एक पिचकारी की तरह उसके लन्ड से वीर्य की धार निकल कर दूर जा गिरी. वहां कमरे से उठ कर सुनील बाथरूम मे चला गया तो रीना ने जलदी अपना नाईटगाउन पहना और भागकर खिडकी पर आयी और धीमी सी आवाज़ में मुझसे बोली: देखा रीना तेरे भैया मुझे कैसे चोदते हैं? शो देख कर मज़ा आया? मैं शर्मा गयी और सिर्फ़ सर हिला दिया. वो थोडा सा हंसी और बोली: अब तुम दोनो जल्दी से याहां से निकल लो. मै अभी सोने के बिलकुल मूड में नही थी इसलिये मै और ऊपर वाली छत पर चली गयी. वहां पर खाली छत है और हमने सिर्फ़ एक गद्दा डाल रखा है कभी कभी छत पर आकर बैठने या लेटने के लिये. मेरे पीछे पीछे राजीव भी छत पर आ गया और आते ही कहने लगा: कहो…….. कैसी रही…….? मै: म्म्म….. ……… ….(मै कुछ देर खमोश रही और फिर बोली)……. ..राजीव ये हमने ठीक नही किया…….. …..हम दोनो बहन भाई हैं राजीव: क्यों.. ……..तो क्या हुआ?……. ……… .हमने क्या गलत किया? मै: तो क्या ये ठीक था? राजीव: हां.. …ठीक था…….. …….अखिर हम दो एक दूसरे से प्यार करते हैं……… इस मे बुराई ही क्या है? मै: राजीव मै तुम्हारी बहन हूं……… . राजीव:देखो रीना…… ……..तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो………. जिस के लिये मै कुछ भी कर सकता हूं……… ..अगर तुम को लगता है की मैने गलत किया तो आगे से मै तुमसे दूर रहूंगा. मै: नही राजीव……. …मै ऐसा नही चाहती. राजीव: तो फिर ………… मै: तो फिर क्या? राजीव: इस खुबसूरत माहौल को मज़ा लो………. और क्या मै: राजीव… ……… ….तुम क्या चीज़ हो………. .तुम को ज़रा भी शर्म नही आती अपनी बहन से ऐसी बातें करते हुए? राजीव:बहन से नही…….. …अपनी दोस्त से………. …अपनी जान से भी प्यारी दोस्त से….अच्छा एक बात बताओ. मै: क्या? राजीव: सच सच बताना? मै: पूछो तो सही? राजीव: मैने जो भी किया…….. …तुम को अच्छा लगा के नही? मै ये सवाल सुन कर चुप हो गयी और राजीव को भी समझ आ गया था के मेरा जवाब क्या है. कुछ देर बाद वो खुद ही मेरी तरफ़ बढा और कहने लगा: थोडी देर के लिये भूल जाओ के हम बहन भाई हैं और अपने दिल से पूछो…….. …इस वख्त क्या दिल चाह रहा है तुम्हारा? मै अब राजीव की आंखों मे देख रही थी और सोच रही थी अगर सच मे राजीव मेरा भाई ना हो तो? ये सोचते ही मेरे मन मे एक लहर सी दौड गयी और मुझे अब राजीव एक बहुत ही हैन्डसम लडका लग रहा था और उसे देखते देखते मै मुसकुराने लगी. अब मै थोडी रिलैक्स फ़ील कर रही थी.और राजीव के पास जा कर आहिस्ता से उसे गगे लगा कर उससे लिपट गयी. राजीव फिर समझ गया.और बोला: चलो आज की रात हम बहन भाई नही बल्की दोस्त और प्रेमी के रिश्ते से गुज़ारते हैं. क्या तुम तय्यार हो? मैने उसकी आंखों की तरफ़ देखते हुए सर हिला दिया. राजीव ने मुझे अपने गले लगा लिया और अपने से चिपका लिया. उसका हाथ मेरी कमर पर उपर नीचे चल रहा था. मै उससे और ज़ोर से चिपक गयी.राजीव ने कुछ देर बाद मुझे पीछे हटाया और मेरे होंठों को अपने होंठों से टच किया. ओ भगवान ……… …….क्या लम्हा था…….. ..जैसे मै हवा मे उड रही हूं. आहिस्ता आहिस्ता मैने भी उसे रिस्पॊन्स देना शुरू कर दिया. अब हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे.राजीव ने अपना एक हाथ मेरे दाहिने बूब पर रख दिया. इस बार मुझे और भी मज़ा आ रहा था इसलिये मैने उसे नही रोका. हमारी किसिन्ग इतनी इनटेन्स हो गयी के हम एक दूसरे के होंठों को काटने लगे. मेरे अब बुरा हाल था.राजीव ने अचानक मेरी कमीज़ को उठाना शुरू कर दिया. मै एक दम रुक गयी. और उसकी तरफ़ देखा……. ..उसने मुझे इशारे से ही ना रुकने को काहा. पता नही मुझे क्या हुआ के मैने उसे फिर से किस करना शुरू कर दिया. वो मेरी कमीज़ फिर से उतारने लगा.मैने इस बार उसकी मदद भी की. अब मै सिर्फ़ ब्रा और सलवार मै थी. मै सिर्फ़ चूमने पर ध्यान दे रही थी और वो आहिस्ता आहिस्ता मेरी ब्रा भी खोल रहा था. मुझे पता था के वो क्या कर रहा है लेकिन मैने राजीव को इस बार बिल्कुल भी नही रोका. मेरी ब्रा भी उतर चुकी थी अब. राजीव ने मेरे होंठों को चूमना छोड दिया और पीछे हो कर मेरे बूब्स को देखने लगा. मुझे अब शरम आ रही थी और मैने अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पर रख लिये. वो मुसकुराया और अपनी शर्ट उतारने लगा. मै अब उसे बडे गौर से देख रही थी. इस के बाद उसने पैन्ट भी उतार दी. अब वो सिर्फ़ अन्डर्वेयर मे था और मै सिर्फ़ सलवार मे. मै अब भी अपने हाथों से बूब्स छुपा रही थी. वो मेरे करीब आया और मेरे हाथ छाती से हटाने लगा. मैने रेसिस्ट नही किया और हाथ हटा लिये. अब वो मेरे बूब्स को देख रहा था और फिर आगे बढा और मेरे बूब्स को चूसने लगा. ओ भगवान…..क्या लग रहा था……… मेरी इस बात का अन्दाज़ा सिर्फ़ वो लडकियां ही लगा सकती हैं जिन्होंने ये करवा रखा हो. मैने उसको सर से पकडा हुआ था और मेरी आंखें बन्द थी. राजीव अभी भी मेरे मम्मे चूस रहा था और उसके साथ साथ उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया जिस के साथ ही मेरी सलवार नीचे गिर गयी. अब मै सिर्फ़ पैन्टी मे थी. उसने बूब्स को किस करते हुए अपना अन्डर्वेयर उतार दिया और फिर मेरी पैन्टी भी नीचे खींच कर उतार दी. अब हम दोनो बहन भाई खुले आसमान के नीचे बिलकुल नंगे खडे थे और वो मेरे मम्मों को चूस रहा था. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. उसने हम दोनो के कपडे एक साईड पर कर दिये और मुझे गद्दे पर लेटने के लिये काहा और मै लेट गयी. अब राजीव मेरे उपर लेट गया. लेकिन एक दम मुझे जैसे कोई करन्ट लगा. क्यों के इस सारे नशे मे मै राजीव की वो चीज़ तो भूल ही गयी थी जो अब मेरे वैजाईना के बिलकुल उपर थी. हां उस का लन्ड……… ……हे भगवान……… ..पहली बार किसी का लन्ड मेरे वैजाईना के साथ टच किया था. मै बिल्कुल पागल हो चुकी थी अब. उस का लन्ड बहुत ही सख्त हो चुका था और गरम भी बहुत था. वो मेरे लेटे शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा. फिर मेरे मम्मों को कुछ देर फिर चूस के आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूत तक पहुंच गया. अब तो मै मरने वाली थी. जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरे वैजाईना पर लगायी मेरे मुंह से वैसी ही अवाज़ें निकलनी शुरू हो गयी जो कुछ देर पहेले रीना भाभी के मुंह से निकल रही थी. अब मेरी समझ मे आया के वो इतना क्यों तडप रही थी. अब मै राजीव के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत की तरफ़ दबा रही थी. मेरा मन कर रहा था की वो ऐसे ही रहे हमेशा के लिये.वो और भी ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाटने लगा. उसकी ज़ुबान ने मेरा बुरा हाल कर दिया था. करीब ८ से १० मिनट तक वो यही करता रहा. अब मै बिलकुल राजीव के वश मे थी और उसके कहने पर कुछ भी करने को तय्यार थी. राजीव ये जानता था और इसी बात का फ़ायदा उठाया उसने. वो फिर से मेरे ऊपर आ कर लेट गया और लिप किसिन्ग करने लगा लेकिन इस बार एक और काम किया उसने. मेरी दोनो टांगों को खोल दिया और उनके बीच आ गया. मेरे कान मे बोला…….. ..रीना क्या तुम मुझे अपनी सब से कीमती चीज़ दोगी? क्या तुम मुझे इतना प्यार करती हो? मै: क्या मतलब तुम्हारा….. ……… ? मै सारी दुनिया से ज़्यादा प्यार करती हूं अपने भाई से. अपना सब कुछ तो तुम को दे दिया है अब और क्या चाहिये तुम को? राजीव: अच्छा. ……अब मै जो करने वाला हूं उसको बर्दाश्त कर लोगी? मै: क्या करने वाले हो तुम?
राजीव: अपना लन्ड तुम्हारे वैजाईना के अन्दर डालने लगा हूं. पहली बार थोडी तक्लीफ़ होती है पर कुछ देर के बाद मज़ा आना शुरू हो जायेगा मै: राजीव… …..देख लो………. .कोई गरबड ना हो जाये राजीव: मुझ पर भरोसा है ना तुमको? मै: हां पूरा भरोसा है |राजीव: तो बुस तुम चुपचाप मै जो कर रहा हूं करने दो और थोडी देर के लिये तक्लीफ़ बर्दाश्त कर लेना…… मेरे लिये. मै: राजीव तुम जो करना चाहते हो कर लो………. .मै कुछ नही कहूंगी. मेरी ये बात सुन कर राजीव ने मेरी टांगें और खोल दी और उनके बीच सीधा बैठ गया. पहली बार अब राजीव का लन्ड नज़र आया मुझे…… ……..हे भगवान ……… .वो तो बहुत बडा था…….. मै फ़ोरन बोली: राजीव ये तो सुनील भैया से भी बडा है. राजीव ये सुन कर हंस पडा और उसने मेरा हाथ अपने लन्ड पर रख दिया. पहेले तो मैने पीछे हटाया पर जब उसने फिर पकडाया तो मह्सूस किया के बहुत ही सख्त और गरम था. राजीव: अब इस का कमाल देखो सिर्फ़ तुम. ये कह कर वो अपना लन्ड मेरी चूत के ऊपर रगडने लगा. राजीव की इस हर्कत से मुझे एक अजीब सा मज़ा आ रहा था. फिर उसने अपने लन्ड को आहिस्ता से मेरी चूत के अन्दर की तरफ़ धकेल दिया जिससे थोडा सा लन्ड मेरे अन्दर चला गया. अब मै आप को क्या बताऊं. इतना दर्द हुआ के बता नही सकती. लेकिन मै राजीव से वादा कर चुकी थी इस लिये अपने होंठों को अपने दांतों मे दबा कर चुप रही. राजीव मेरी हालत देख कर बोला: अभी तो सिर्फ़ १०% ही गया है. ये सुन कर मेरी तो जान ही निकल गयी. अगर १०% पर ये हाल है तो आगे क्या होगा. लेकिन मै फिर भी चुप रही. राजीव अब आहिस्ता आहिस्ता लन्ड को और अन्दर धकेल रहा था और मेरी जान निकल रही थी. फिर उसने एक ज़ोर क धक्का मारा और पूरा लन्ड एक झटके से अन्दर घुसा दिया. मेरी तो चीख निकल गयी. आवाज़ इतनी थी के अगर हम कमरे मे होते तो शायद सब जाग जाते. राजीव ने अकलमन्दी की और एक्दम अपने होंठ मेरे होंठों के साथ जोड दिये जिससे मेरी आवाज़ कम हो गयी. अब दर्द मेरी बर्दाश्त के बाहर था. मैने आंसू भरी आवाज़ मे काहा: राजीव प्लीज़ निकाल दो नही तो मै मर जाऊंगी. राजीव: बस मेरी जान हो गया…….. …कुछ देर मे ही दर्द खत्म हो जायेगा………. …बस थोडी देर रुक जाओ…….. ……मेरे लिये. राजीव की बात ने मुझे मजबूर कर दिया और मै चुप कर के बर्दाश्त करती रही. वो भी बगैर हिले मुझ पर लेटा रहा अपने लन्ड को मेरी चूत मे घुसाये. काफ़ी देर हम ऐसे ही रहे. अब वाकयी मुझे दर्द थोडा कम होता मह्सूस हुआ. मेरे चहरे को देख कर राजीव को पता चल गया की अब मै पहले से ठीक हूं. राजीव का लन्ड एक गरम सलाख की तरह मेह्सूस हो रहा था. अब राजीव आहिस्ता आहिस्ता अपने लन्ड को आगे पीछे करने लगा. पहली ५ या ६ बार आगे पीछे करने पर मुझे फिर दर्द हुआ लेकिन वो भी आहिस्ता आहिस्ता एक अजीब से सरूर मे बदल रहा था. और कुछ देर के बाद मुझे सच मे मज़ा आने लगा. एक ऐसा मज़ा जिसका मुझे अन्दाज़ा भी नही था और मै बता भी नही सकती. मै अपने ही भाई का लन्ड अपने अन्दर ले चुकी थी. मै वो हर लिमिट पार कर चुकी थी जो शायद आज तक किसी देसी लडकी ने नही की थी. अपने भाई की मानो बीवी या लवर बन चुकी थी. राजीव अब अपनी स्पीड बढाने लगा और मुझे भी मज़ा आने लगा. अब मै राजीव को कमर से पकड कर ज़ोर ज़ोर से अपने अन्दर करवा रही थी. कुछ ही देर मै मेरे अन्दर एक अजीब स तुफ़ान उठा. पता नही क्या हो रहा था मुझे मै पागलों की तरह राजीव को नोचने लगी. अब राजीव का पीछे हटना भी मन्ज़ूर नही था मुझे. मेरा दिल कर रहा था के वो अन्दर ही अन्दर जाता जाये. मै सरूर की सीमा पर आ चुकी थी. मेरी आह निकली और पूरे शरीर में एक लैहर दौड गयी. मेरा पूरा शरीर अकड गया और मुझे एक इतना ज़बर्दस्त आर्गैस्म आया की मै झटके खाने लगी. फिर एक दम मेरे अन्दर जैसे कोई तुफ़ान थम गया हो. मै बहुत ही ज़्यादा मधोश थी. लेकिन राजीव अभी भी लन्ड अन्दर बाहर कर रहा था. फिर पता नही उसे क्या हुआ और उसने अपनी स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और उसके मुंह सी भी अवाज़ें आने लगी, मुझे ये आवाज़ें बहुत ही अच्छी लग रही थी और फिर उसने एक झटके से अपने लन्ड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगा. फिर एक दम उस के लन्ड से वीर्य की धार निकली जो सीधी मेरी छाती पर जा गिरी. काफ़ी गरम था वो पानी. इस के बाद वो भी वैसे ही शान्त हो गया जैसे कुछ देर पहले मै हुई थी. राजीव मेरी साएड पर लेट गया. अब हम दोनों बहन भाई खुले आस्मान की तरफ़ देख रहे थे. काफ़ी देर तक ऐसे ही रहे. फिर मुझे खयाल आया की हम तो नंगे हैं और खुली छत पर अगर कोई आ गया तो क्या होगा. ये सारी बातें पहले नही सोची मैने. ये सोचते ही मैने राजीव को काहा: जलदी करो…….. ……याहां से चलें अब………. …कोई आ गया तो………. ……..मेरे कपडे कहां हैं?……. …….काहां रख दिये तुमने……… .? राजीव: वो दीवर के साथ साफ़ जगह पर हैं. उठा लो वहां से और मेरे भी ले आओ. ये सुन कर जैसे ही मै उठने लगी तो मुझे अभी भी वैजाईना पर दर्द हो रहा था जो मै कुछ देर से भूल चुकी थी. मैने राजीव की तरफ़ देखा और झूटे गुस्से से कहा ……. …….राजीव . ……… ….मेरे वैजाईना को फाड दिया है तुमने……… ऐसा करता है क्या कोई अपनी बहन के साथ?ये सुन कर राजीव हंसने लगा. उस समय मेरा एक हाथ मेरे वैजाईना पर था. मुझे कुछ गीला गीला मह्सूस हुआ. मैने हाथ लगा कर जब चेक किया तो मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी…….. वो तो खून थ…..ये क्या हुआ? मै घबरा के बोली: मै तो ज़खमी हो गयी हूं…..अब क्या होगा? राजीव ने बडे प्यार से काहा: कुछ नही होगा बुद्धू … ……… ऐसा ही होता है पहली बार. अगली बार ऐसा नही होगा राजीव की बात सुन कर मुझे कुछ हौसला हुआ और हम दोनों ने अपने अपने कपडे पहने. और वो जगह साफ़ की जहां खून गिरा था और बडे ही आराम से अपने अपने कमरे मै चले गये. किसी को कुछ पता नही चला. अब अपने बिस्तेर पर लेटी हुई उस रात की सारी बातें याद करने लगी. मै बहुत गिल्टी फ़ील कर रही थी पर साथ साथ मुझे ये भी पता था के मै इस बात से इनकार नही कर सकती थी के मुझे बहुत मज़ा भी आया. मुझपर एक अजीब सा सकून छाया हुआ था. मुझे पता था की आज मैने राजीव के साथ आखरी बार चुदाई नही की है और चाहे कुछ भी सोचूं, ये फिर से होगा और मै अपने आप को रोक नही पाऊंगी. और हुआ भी और एक दो बार तो रीना भाभी और मैने मिल के राजीव के साथ चुदाई की.
मेरे अन्दर एक अजीब सी हालत थी……….मेरा भाई और मेरे बारे मै ये सोचता है…………..क्या मै सच मे इतनी खुबसूरत हूं?………….अब मुझे क्या करना चाहिये?………………………कैसे हैन्डल करूं इस हालात को? अब मै राजीव के बारे मै एक और ही तरह से सोच रही थी. ये बात तो सच थी के राजीव है काफ़ी हैन्ड्सम और सेक्सी भी…………….लेकिन वो मेरा भाई है……………………ये बात बार बार मेरे दिमाग मै आ रही थी. उस दिन मैने फिर राजीव से इस टॊपिक पर ज़्यादा बात नही की क्योंकी मै पहले ही बहुत शॊक मे थी. मुझे अपने लव अफ़ेयर का सदमा कुछ ही दिन मे भूल गया क्योंकी मै अपने बॊयफ़्रेन्ड पर बहुत ही गुस्सा थी. मैने उससे बिलकुल मिलना छोड दिया और फिर उससे कोई रिशता ना रखने की कसम खा ली. एक दिन रात को टीवी देखते हुए मुझे एक खयाल आया के आखिर राजीव ने जो भी मुझको रीना भाभी के बारे मे बताया है क्या वो सच हो सकता है के नही. इसलिये मैने सोचा क्यों ना इस बात का पता लगाया जाये और मै अब राजीव से नही बल्के भाभी से इसके बारे में पूछूं. लेकिन कैसे? अगले दिन मै लन्च के बाद भाभी के पास बैठ गयी और इधर उधर की बातें करने लगी और बातें करते करते मैने भाभी से पूछा की आज कल ज़िन्दगी भर किसी एक के साथ रहना काफ़ी मुश्किल होता है ना भाभी? क्या आप भैया से बोर नही हो जाती? वो मेरी यी बात सुन कर अजीब तरीके से मुसकुरा कर कहने लगी: इस के इलावा कर भी क्या सकते हैं. आखिर ज़िन्दगी भी तो गुज़ारनी है ना. मै: भाभी….. क्या भैया भी तुम से बोर नही होते? क्या तुमको यकीन है के उनका कोई बाहर चक्कर वक्कर नही है? भाभी: लगता तो नही है…..(फिर हंसते हुए बोली) अगर है भी तो मुझे क्या? वापस तो मेरे पास ही आना है ना. मैने फिर भाभी से सवाल किया: भाभी एक बात पूछूं?……….. भाभी: हां पूछ क्या बात है? मै: अगर मेरा कोई चक्कर हो तो भैया क्या करेंगे? भाभी: बहुत गुस्सा करेंगे तुझे. अगर ऐसी कोई बात हो तो मुझ तक ही रहने देना. वैसे कोई चक्कर है क्या? मै: नही भाभी…अभी तक तो नही है…………लेकिन एक लडका लाईन मार रहा है मुझ पर काफ़ी दिनों से. भाभी: कौन है वो और कैसा है? मै: मेरी क्लास मै पढता है और है भी हैन्ड्सम…………. भाभी: तो तेरा क्या खयाल है……..? पसन्द है क्या तुझे? मै: है भी और नही भी भाभी: म्म्म्म्म्*म्म ……….अगर तो तुम सीरिअस हो तो बात करूं घर वालों से? मै: नही नही भाभी………..इतना भी पसन्द नही है मुझे.
भाभी: तो फिर टाईम पास कर और मज़ा ले के छोड देना. मै ये बात सुन कर हैरान हो गयी के भाभी मुझे क्या कह रही है और भाभी से पूछा: मज़ा लूं?………इस का क्या मतलब? भाभी हंस्ते हुए आहिस्ता से बोली: अरे जवानी के मज़े ले और क्या. यही तो उमर है ऐश करने की. मै: भाभी अगर मैने कुछ किया तो मेरे होने वाले पती को पता नही चलेगा के मैने क्या कुछ किया हुआ है? भाभी: अरे नही पता चलता…………(भाभी ने इधर उधर देखा और आहिस्ता से बोली) अब तुम्हारे भाई को पता चला है क्या मेरे बारे मे? मै: क्या मतलब भाभी? क्या आप भी? कब, कैसे और किस के साथ? भाभी: मै बहुत ही चालाक हूं. मैने एक काम किया की घर की बात घर मे ही रह जाये……………….और किसी को शक भी ना हो………… मै: क्या किया आपने? भाभी: मै तो कसम खा सकती हूं के मैने आज तक तुम्हारे भाई के इलावा किसी के साथ सेक्स नही किया…………..हां ये बात अलग है के वो सुनील के इलावा भी हो सकता है………….. मै: हे भगवान .भाभी………राजीव के साथ? कब? और कहां? भाभी: अब चुप ही रहो किसी से बात ना कर बैठना. मै: भाभी आप को मुझ पर यकीन नही है क्या? भाभी: है तभी तो इतनी बातें कर रही हूं ना…………..वैसे तुम्हारे भाई राजीव की क्या बात है……….बहुत ही सेक्सी है…………. भाभी से बात करने के बाद मुझे पता चल गया के राजीव की बात सच थी. फिर भाभी ने अपनी सारी कहानी सुनाई जो मै आप को किसी और दिन बताऊंगी. फिर मै ने इधर उधर की बातें करके बात खतम कर दी. उसी रात को जब मै और राजीव टीवी देख रहे थे और बाकी सब सो चुके थे मैने राजीव को बताया के आज मेरी भाभी से क्या बात हुई. वो मेरी बातें सुन कर सिर्फ़ मुसकुराता रहा. मैने राजीव से एक सवाल किया : ऐसा करने के बारे मे तुम्हे खयाल कैसे आया? राजीव: तुम को पता है मै कम्प्यूटर पर बहुत ज़्यादा टाईम बिताता हूं और नेट से बहुत कुछ पता करता हूं…बस वहीं से मेरा इन बातों पर ध्यान गया. मै: क्या ध्यान गया |
राजीव: चलो अभी दिखाता हूं. वो ये कह कर मुझे कम्प्यूटर पर ले गया और नेट पर मस्त हिंदी सेक्स कहानी खोल दी और मुझे काहा लो तुम बैठ कर इन्हें पढो. मुझे अब शरम आ रही थी पर राजीव मुझे कम्प्यूटर के समाने छोड कर चला गया. कुछ देर मै इधर उधर देखती रही फिर हिम्मत करके पढना शुरू कर दिया……….और जब मैने काहानियां पढनी शुरू की तो मेरी हैरानी की हद नही थी. इन काहानियों मे तो किसी किसम का भी रिश्ता माफ़ नही किया गया था. कोई अपनी भाभी या साली के साथ, कोई मां या बाप के साथ, कोई अपने कज़न और कोई अपने सगे भाई या बहन के साथ सेक्स की बातें बता रहा था…….मेरे अन्दर एक अजीब सी फ़ीलिन्ग हो रही थी. पता नही मुझे क्या हो रहा था. लेकिन जो भी था अच्छा लग रहा था और मै पढते ही जा रही थी. मुझे पता ही नही चला के कब सुबह के ४:०० बज गये. मैने जल्दी से कम्प्यूटर बन्द किया और सोने चली गयी. उस रात मैने एक सपना देखा की मै अपने बाथरूम में नाहा रही हूं और अचानक राजीव बाथरूम मै आ गया और वो बिलकुल नंगा था लेकिन मै उसे देख कर खुश हो रही थी. राजीव बाथरूम मै आते ही मुझे चूमने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मेरी आंख खुल गयी तो देखा की मेरा हाथ मेरे वैजाईना पर है……….और मै नीचे सी गीली हो चुकी थी. राजीव जब नाश्ते पर मिला तो हंसते हुए आहिस्ता से मुझसे पूछा: कैसी रही रात की एन्टरटेनमेन्ट?
मै:ठीक थी………सिर्फ़ एक काहानी पढी और फिर सो गयी. कोई खास मज़ेदार नही थी…… मैने जान बूझ कर राजीव से झूट बोला. पता नही क्यों मै उससे सच नही बोल पाई. वो मेरी बात सुन कर मुसकुराता हुआ चला गया. मुझे लग रहा था के मै अब राजीव को किसी और नज़र से देख रही हूं पर किस नज़र से? इस का जवाब नही था मेरे पास. उस दिन जब राजीव नही था मैने मौक देख कर फिर कम्प्यूटर ऒन किया और फिर से
तो बोला: चलो आज मै तुम को कहानीयां नहीं बल्के असली चीज़ दिखाता हूं. मै बोली: वो कैसे राजीव: जैसे मै कहूं वैसे करती जाओ. फिर देखो क्या होता है. ये कह कर वो मेरा हाथ पकड कर मुझे छत पर ले गया. छत पर सिर्फ़ एक ही कमरा है जिसमे सुनील भैया और रीना भाभी रेहते हैं. उसने जा कर उनके कमरे के दर्वाज़े को खटखटाया. रीना भाभी नाईटगाउन मे बाहर आयी और हमसे पूछा: क्या बात है? राजीव ने ऊंची आवाज़ मे काहा: वो आज का अखबार चाहिये. हमे कुछ देखना था उसमे. अन्दर से सुनील भैया की अवाज़ आयी: रीना, यहां पर पडा है अखबार, आके ले जाओ और दे दो इसे. रीना भाभी अन्दर से अखबार लेकर आयीं तो राजीव उन्हें खींच कर साईड पर ले गया और दबी ज़ुबान मे बोला: रीना, आज रात को सुनील के साथ सेक्स का प्रोग्रैम है क्या तुम्हारा? रीना बोली: हां, क्यों?
राजीव: तुम खिडकी पर से परदाआ थोडा हटा देना और थोडी सी लाईट भी आने देना रीन मुसकुराते हुए बोली: “क्यों, क्या करोगे तुम लोग देख कर”
राजीव: अरे कुछ नही, रीना की बहुत इच्छा है सच मे सेक्स देखने की, इसकी उत्सुकता शान्त हो जायेगी
रीना: राजीव, तू इसको भी बिगाड रहा है राजीव: अरे नही, इसको ग्यान दे रहा हूं. अच्छा शो दिखाना
रीना: अच्छा मै देखती हूं क्या कर सकती हूं फिर भाभी अन्दर गयी और दर्वाज़ा बन्द करके चिटकनी लगा दी. उसने बडी लाईट बुझा कर एक छोटी लाईट ऒन कर दी और परदा खोल कर, खिडकी भी खोल दी. फिर उसने परदा किया, लेकिन पूरी तरह नही. फिर रीना अपने बेड पर बैठ गयी.
सुनील भी बेड पर आकर लेट गया और रीना उसके साथ चिपक गयी. उसके दोनो मम्मे राजीव के सीने से दबे थे. सुनील उसकी गान्ड को अपने हाथ से सहला रहा था | और एक दूसरे को देख दोनो मुसकुरा रहे थे. तभी रीना ने झुक कर सुनील के होंठों पर किस किय. फिर सुनील ने उसके चेहरे को पकडा और उसके होंठों को अपने होंठों से कसकर चूसने लगा. अब वो दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. ३-४ मिनट बाद रीना हांफ़ती हुई सुनील के ऊपर ढेर हो गयी और राजीव ने भी उसे अपने बांहों में कस लिया. हमे कमरे की हल्की रोशनी मे ये सब कुछ साफ़ नज़र आ रहा था. हम चुपचाप खिडकी के पास खडे हो कर परदे की दरार मे से देख रहे थे. मुझे अजीब सा लग रहा था अपने भाई और भाभी को छुप छुप के देखना पर अन्दर ही अन्दर मज़ा भी आ रहा था. कुछ देर सुनील ने रीना की गान्ड को नाईटगाउन के ऊपर से सहलाया और फ़िर हाथ को नाईटगाउन के अन्दर डाल उसकी गान्ड को सहलाने लगा. फिर उसने नाईटगाउन को उठा कर निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी. फिर सुनील खडा हुआ और अपना शर्ट और पजामा उतार दिया और अपने अन्डरएयर मे रीना के सामने खडा हो गया. उसका लन्ड उसके अन्डर्वेयर मे तन के खडा था. मैं आंखें फाड फाड के ये नज़ारा देख रही थी. मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थी. रीना ने खिडकी की तरफ़ देखते हुए अपने मम्मों को अपने हाथों मे पकड कर बोला: सुनील कैसी लग रही हूं आज? मै समझ गयी की वो असल मे हमे दिखा रही थी और ये सवाल राजीव के लिये था. सुनील बोला: अरे तू तो है ही बहुत खूबसूरत यार. चल अब इनको बाहर निकाल. उसने भाभी के मम्मों की तरफ़ इशारा करके काहा. रीना ने अपनी ब्रा खोली और ब्रा हटाई तो मै देखकर दन्ग रह गयी. एकदम गोल और कसे कसे मम्मे थे. फिर वो लेटी और अपने मम्मों को उभार दिया. सुनील उसके ऊपर झुका और पहले दोनो निप्पल को चूमा और फ़िर जीभ निकल दोनो को १०-१५ बार चाटा. जीभ से चाटने के बाद दोनो मम्मों को हाथों से पकड मसला और फ़िर एक को मुंह में लेकर चूसने लगा. मै दोनो का खेल देख उत्तेजित हो गयी थी. मेरे से रहा नही गया और मै अपने मम्मों को पकड के हल्का सा दबाने लगी. मगर फिर मैने देखा की राजीव मुझे ये करते हुए देख रहा है तो मैने अपना हाथ जलदी से हटा लिया. रीना सिसकियां ले रही थी और बार बार अपनी चूंचियों को ऊपर की ओर उचका के सुनील के मुंह में घुसेड रही थी. मै सोच रही थी की मम्मे चुसवाने और निप्पल चटवाने में कितना मज़ा आता होगा. सुनील कुछ देर तक मम्मे चूसने के बाद उठा और फ़िर रीना कि पैन्टी को खिसकाया. रीना ने अपनी गान्ड उठा के पैन्टी को उतरवाया और अब वो बिलकुल नंगी बेड पर लेती थी. सुनील ने अपना हाथ रीना की चिकनी टांगों पर रखा और सहलाते हुए चूत तक ले गया और पूरी चूत को हाथ से दबाया. फिर उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसकी क्लिट को अन्गूठे से मसलने लगा. रीना बोली: मुंह से करो ना. सुनील उसकी दोनो टांगों के बीच आया और अपने मुंह को झुका कर उसकी चूत पर रख दिया. चूत से जीभ लगते ही भाभी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी. भाभी इस पोस में लेटी थी की हमे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखायी दे रहा था. भैया जीभ को पेलकर चाट रहे थे और हाथ से दोनो मम्मों को भी दबा रहे थे. भाभी मज़े से भर करे अपनी गान्ड उछाल रही थी और तेज़ तेज़ अवाज़ में सिसक रही थी. मुझे भी अपनी पैन्टी गीली होने का ऐहसास हुआ क्योंकी मेरी चूत से भी पानी निकलने लगा था. १०-१२ मिनट तक चटवाने के बाद रीना हांफ़्ते हुए बोली: आह बस अब बस करो नही तो मैं झड जाऊंगी. हाय रुको और अब मुझे अपना लन्ड दो. फ़िर वो उठी और सुनील को लिटाया और उसके अन्डर्वेयर को हाथ से निकाल दिया. मै भैया के लन्ड को देख कर दन्ग रह गयी. खूब मोटा और लम्बा था. लन्ड एक्दम सख्त और ऊपर को तना था. उसने झुककर लन्ड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. वो पूरे लन्ड पर चारों तरफ़ जीभ चलाती फ़िर मुंह में लेकर चूसती. मैने देखा की राजीव का लन्ड भी पैन्ट के अन्दर तन के खडा है और वो उसे अपने हाथ से हल्के हल्के सहला रहा है. राजीव ने देख लिया की मै उसके लन्ड को देख रही हूं |और मुसकुरा दिया पर रुका नही. बलकी उसने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अब उसका लन्ड अन्डर्वेयर के अन्दर तन के दिखने लगा. आज कैसे चोदोगे?” रीना भैया के लन्ड को पकड कर हिलाती हुई बोली. सुनील उसे बेड पर लिटाते हुए बोला, तू लेट जा बस मै चोद लूंगा जैसे मन करेगा. वो लेट गयी. उसकी टांगे हमारी तरफ़ ही थी जिससे उसकी चूत का लाल चेद मुझे साफ़ दिख रहा था. फिर सुनील उसके ऊपर आया और अपने लन्ड को उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे घुसा कर पूरा अन्दर डाल दिया. लन्ड अन्दर जाते ही भाभी के चेहरे पर खुशी देखने वाली थी. उसने हाथों को भैया के कन्धों पर रख लिया था. फिर सुनील ने धीरे धीरे लन्ड अन्दर बहार कर चुदाई शुरू कर दी. मैं अपनी चुदती भाभी को देख बहुत ही गरम हो गयी थी. मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी और पैन्टी नीचे से पूरी भीग गयी थी. राजीव ने भी अपने अन्डर्वेयर की मोरी मे से लन्ड निकाल कर उसे मुठ्ठी मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया था. मुझसे भी अब रहा नही जा रहा था और मैने सल्वार के नाडे को खोल के ढीला किया और अपना एक हाथ अपनी पैन्टी मे डाल दिया और अपनी चूत को रगडने लगी. राजीव ने मुझे ये करते हुए देख लिया पर मुझे अब पर्वाह नही थी. फिर राजीव ने मेरे एक बूब के ऊपर अपना हाथ रख दिया और उसे थोडा सा दबाया. मैने उसकी तरफ़ देखा और उसने मेरी तरफ़. दूसरे हाथ से वो अपने लन्ड को हिलाता रहा. मैने उसे कुछ नही काहा और उसने अब मेरे मम्मों कोएक एक करके कमीज़ के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया. वहां कुछ देर तक सुनील भाभी को इसी तरह चोदता रहा और फ़िर लन्ड बाहर निकाल दिया. चूत के रस से भीगा लन्ड चमक रहा था. लन्ड बहर कर उसने रीना को उठाया और उसे डॊगी स्टाइल में किया और फ़िर पीछे से उसकी चूत में लन्ड पेल कर चुदायी शुरू कर दी.वो हाथ आगे कर रीना के दोनो मम्मों को पकड के कस कर चुदाई कर रहा था. मै अब पैन्टी मे हाथ डाले ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत और क्लिट को मसल रही थी. फिर राजीव ने मेरी कमीज़ के गले के अन्दर अपना हाथ डाला और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को दबाने लगा. मेरी मस्ती की कोई सीमा नही थी और मै चाह रही थी के वो मुझे पूरी तरह से नंगा कर दे, पर मै कुछ नही बोली. फिर उसने मेरा हाथ पकड कर पैन्टी से खींच के बाहर निकाल दिया और अपने लन्ड पर रख दिया और इससे पहले की मै कुछ बोलती अपना हाथ मेरी पैटी मे डाल दिया. वो मेरी चूत को सहलाने लगा और मै सातवें आसमान पर पहुंच गयी. मैने भी उसके लन्ड को अपनी मुठ्ठी मे लेकर हिलाना शुरू कर दिया जैसे मैने उसे करते देखा था. वहां ५-६ मिनट तक इस तरह से चोदने के बाद सुनील ने फिर लन्ड बाहर निकाला और खुद नीचे लेट गया. जब वो नीचे लेटा तो रीना जल्दी से ऊपर आयी और उसके लन्ड को पकड अपनी चूत से लगा उसपर बैठने लगी. लन्ड जब पूर अन्दर चला गया तो वो खुद ऊपर नीचे हो चुदवाने लगी. सुनील भी नीचे से अपनी गान्ड उठा उठा लन्ड पेल रहा था और हर धक्के पर भाभी ऊ आ ऊ कर रही थी. इस तरह से भी उसने ७-८ मिनट तक रीना को चोदा फ़िर उसे अपने बदन से चिपका लिया और…
बोला: आह्ह्ह रीना मैं झडने वाला हूं. आह्ह मेरा निकलने वाला है. रीना तेज़ी से एक झटका और देती हुई चिलाते हुए बोली: हां मै भी झड रही हूं. सुनील अब आह आह करता झड रहा था. झडने के बाद उसने रीना के होंठों पर अपने होंठ रखे और चूमने लगा. फिर दोनो एक दूसरे से चिपक कर बेड पर ढेर हो गये. इधर मै भी झड रही थी और अपने होंठों को दांतों मे दबा कर अपनी आवाज़ को रोक रही थी. मेरे हाथ मे राजीव क लन्ड भी झटके खाने लगा और एक पिचकारी की तरह उसके लन्ड से वीर्य की धार निकल कर दूर जा गिरी. वहां कमरे से उठ कर सुनील बाथरूम मे चला गया तो रीना ने जलदी अपना नाईटगाउन पहना और भागकर खिडकी पर आयी और धीमी सी आवाज़ में मुझसे बोली: देखा रीना तेरे भैया मुझे कैसे चोदते हैं? शो देख कर मज़ा आया? मैं शर्मा गयी और सिर्फ़ सर हिला दिया. वो थोडा सा हंसी और बोली: अब तुम दोनो जल्दी से याहां से निकल लो. मै अभी सोने के बिलकुल मूड में नही थी इसलिये मै और ऊपर वाली छत पर चली गयी. वहां पर खाली छत है और हमने सिर्फ़ एक गद्दा डाल रखा है कभी कभी छत पर आकर बैठने या लेटने के लिये. मेरे पीछे पीछे राजीव भी छत पर आ गया और आते ही कहने लगा: कहो…….. कैसी रही…….? मै: म्म्म….. ……… ….(मै कुछ देर खमोश रही और फिर बोली)……. ..राजीव ये हमने ठीक नही किया…….. …..हम दोनो बहन भाई हैं राजीव: क्यों.. ……..तो क्या हुआ?……. ……… .हमने क्या गलत किया? मै: तो क्या ये ठीक था? राजीव: हां.. …ठीक था…….. …….अखिर हम दो एक दूसरे से प्यार करते हैं……… इस मे बुराई ही क्या है? मै: राजीव मै तुम्हारी बहन हूं……… . राजीव:देखो रीना…… ……..तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो………. जिस के लिये मै कुछ भी कर सकता हूं……… ..अगर तुम को लगता है की मैने गलत किया तो आगे से मै तुमसे दूर रहूंगा. मै: नही राजीव……. …मै ऐसा नही चाहती. राजीव: तो फिर ………… मै: तो फिर क्या? राजीव: इस खुबसूरत माहौल को मज़ा लो………. और क्या मै: राजीव… ……… ….तुम क्या चीज़ हो………. .तुम को ज़रा भी शर्म नही आती अपनी बहन से ऐसी बातें करते हुए? राजीव:बहन से नही…….. …अपनी दोस्त से………. …अपनी जान से भी प्यारी दोस्त से….अच्छा एक बात बताओ. मै: क्या? राजीव: सच सच बताना? मै: पूछो तो सही? राजीव: मैने जो भी किया…….. …तुम को अच्छा लगा के नही? मै ये सवाल सुन कर चुप हो गयी और राजीव को भी समझ आ गया था के मेरा जवाब क्या है. कुछ देर बाद वो खुद ही मेरी तरफ़ बढा और कहने लगा: थोडी देर के लिये भूल जाओ के हम बहन भाई हैं और अपने दिल से पूछो…….. …इस वख्त क्या दिल चाह रहा है तुम्हारा? मै अब राजीव की आंखों मे देख रही थी और सोच रही थी अगर सच मे राजीव मेरा भाई ना हो तो? ये सोचते ही मेरे मन मे एक लहर सी दौड गयी और मुझे अब राजीव एक बहुत ही हैन्डसम लडका लग रहा था और उसे देखते देखते मै मुसकुराने लगी. अब मै थोडी रिलैक्स फ़ील कर रही थी.और राजीव के पास जा कर आहिस्ता से उसे गगे लगा कर उससे लिपट गयी. राजीव फिर समझ गया.और बोला: चलो आज की रात हम बहन भाई नही बल्की दोस्त और प्रेमी के रिश्ते से गुज़ारते हैं. क्या तुम तय्यार हो? मैने उसकी आंखों की तरफ़ देखते हुए सर हिला दिया. राजीव ने मुझे अपने गले लगा लिया और अपने से चिपका लिया. उसका हाथ मेरी कमर पर उपर नीचे चल रहा था. मै उससे और ज़ोर से चिपक गयी.राजीव ने कुछ देर बाद मुझे पीछे हटाया और मेरे होंठों को अपने होंठों से टच किया. ओ भगवान ……… …….क्या लम्हा था…….. ..जैसे मै हवा मे उड रही हूं. आहिस्ता आहिस्ता मैने भी उसे रिस्पॊन्स देना शुरू कर दिया. अब हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे.राजीव ने अपना एक हाथ मेरे दाहिने बूब पर रख दिया. इस बार मुझे और भी मज़ा आ रहा था इसलिये मैने उसे नही रोका. हमारी किसिन्ग इतनी इनटेन्स हो गयी के हम एक दूसरे के होंठों को काटने लगे. मेरे अब बुरा हाल था.राजीव ने अचानक मेरी कमीज़ को उठाना शुरू कर दिया. मै एक दम रुक गयी. और उसकी तरफ़ देखा……. ..उसने मुझे इशारे से ही ना रुकने को काहा. पता नही मुझे क्या हुआ के मैने उसे फिर से किस करना शुरू कर दिया. वो मेरी कमीज़ फिर से उतारने लगा.मैने इस बार उसकी मदद भी की. अब मै सिर्फ़ ब्रा और सलवार मै थी. मै सिर्फ़ चूमने पर ध्यान दे रही थी और वो आहिस्ता आहिस्ता मेरी ब्रा भी खोल रहा था. मुझे पता था के वो क्या कर रहा है लेकिन मैने राजीव को इस बार बिल्कुल भी नही रोका. मेरी ब्रा भी उतर चुकी थी अब. राजीव ने मेरे होंठों को चूमना छोड दिया और पीछे हो कर मेरे बूब्स को देखने लगा. मुझे अब शरम आ रही थी और मैने अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पर रख लिये. वो मुसकुराया और अपनी शर्ट उतारने लगा. मै अब उसे बडे गौर से देख रही थी. इस के बाद उसने पैन्ट भी उतार दी. अब वो सिर्फ़ अन्डर्वेयर मे था और मै सिर्फ़ सलवार मे. मै अब भी अपने हाथों से बूब्स छुपा रही थी. वो मेरे करीब आया और मेरे हाथ छाती से हटाने लगा. मैने रेसिस्ट नही किया और हाथ हटा लिये. अब वो मेरे बूब्स को देख रहा था और फिर आगे बढा और मेरे बूब्स को चूसने लगा. ओ भगवान…..क्या लग रहा था……… मेरी इस बात का अन्दाज़ा सिर्फ़ वो लडकियां ही लगा सकती हैं जिन्होंने ये करवा रखा हो. मैने उसको सर से पकडा हुआ था और मेरी आंखें बन्द थी. राजीव अभी भी मेरे मम्मे चूस रहा था और उसके साथ साथ उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया जिस के साथ ही मेरी सलवार नीचे गिर गयी. अब मै सिर्फ़ पैन्टी मे थी. उसने बूब्स को किस करते हुए अपना अन्डर्वेयर उतार दिया और फिर मेरी पैन्टी भी नीचे खींच कर उतार दी. अब हम दोनो बहन भाई खुले आसमान के नीचे बिलकुल नंगे खडे थे और वो मेरे मम्मों को चूस रहा था. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. उसने हम दोनो के कपडे एक साईड पर कर दिये और मुझे गद्दे पर लेटने के लिये काहा और मै लेट गयी. अब राजीव मेरे उपर लेट गया. लेकिन एक दम मुझे जैसे कोई करन्ट लगा. क्यों के इस सारे नशे मे मै राजीव की वो चीज़ तो भूल ही गयी थी जो अब मेरे वैजाईना के बिलकुल उपर थी. हां उस का लन्ड……… ……हे भगवान……… ..पहली बार किसी का लन्ड मेरे वैजाईना के साथ टच किया था. मै बिल्कुल पागल हो चुकी थी अब. उस का लन्ड बहुत ही सख्त हो चुका था और गरम भी बहुत था. वो मेरे लेटे शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा. फिर मेरे मम्मों को कुछ देर फिर चूस के आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूत तक पहुंच गया. अब तो मै मरने वाली थी. जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरे वैजाईना पर लगायी मेरे मुंह से वैसी ही अवाज़ें निकलनी शुरू हो गयी जो कुछ देर पहेले रीना भाभी के मुंह से निकल रही थी. अब मेरी समझ मे आया के वो इतना क्यों तडप रही थी. अब मै राजीव के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत की तरफ़ दबा रही थी. मेरा मन कर रहा था की वो ऐसे ही रहे हमेशा के लिये.वो और भी ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाटने लगा. उसकी ज़ुबान ने मेरा बुरा हाल कर दिया था. करीब ८ से १० मिनट तक वो यही करता रहा. अब मै बिलकुल राजीव के वश मे थी और उसके कहने पर कुछ भी करने को तय्यार थी. राजीव ये जानता था और इसी बात का फ़ायदा उठाया उसने. वो फिर से मेरे ऊपर आ कर लेट गया और लिप किसिन्ग करने लगा लेकिन इस बार एक और काम किया उसने. मेरी दोनो टांगों को खोल दिया और उनके बीच आ गया. मेरे कान मे बोला…….. ..रीना क्या तुम मुझे अपनी सब से कीमती चीज़ दोगी? क्या तुम मुझे इतना प्यार करती हो? मै: क्या मतलब तुम्हारा….. ……… ? मै सारी दुनिया से ज़्यादा प्यार करती हूं अपने भाई से. अपना सब कुछ तो तुम को दे दिया है अब और क्या चाहिये तुम को? राजीव: अच्छा. ……अब मै जो करने वाला हूं उसको बर्दाश्त कर लोगी? मै: क्या करने वाले हो तुम?
राजीव: अपना लन्ड तुम्हारे वैजाईना के अन्दर डालने लगा हूं. पहली बार थोडी तक्लीफ़ होती है पर कुछ देर के बाद मज़ा आना शुरू हो जायेगा मै: राजीव… …..देख लो………. .कोई गरबड ना हो जाये राजीव: मुझ पर भरोसा है ना तुमको? मै: हां पूरा भरोसा है |राजीव: तो बुस तुम चुपचाप मै जो कर रहा हूं करने दो और थोडी देर के लिये तक्लीफ़ बर्दाश्त कर लेना…… मेरे लिये. मै: राजीव तुम जो करना चाहते हो कर लो………. .मै कुछ नही कहूंगी. मेरी ये बात सुन कर राजीव ने मेरी टांगें और खोल दी और उनके बीच सीधा बैठ गया. पहली बार अब राजीव का लन्ड नज़र आया मुझे…… ……..हे भगवान ……… .वो तो बहुत बडा था…….. मै फ़ोरन बोली: राजीव ये तो सुनील भैया से भी बडा है. राजीव ये सुन कर हंस पडा और उसने मेरा हाथ अपने लन्ड पर रख दिया. पहेले तो मैने पीछे हटाया पर जब उसने फिर पकडाया तो मह्सूस किया के बहुत ही सख्त और गरम था. राजीव: अब इस का कमाल देखो सिर्फ़ तुम. ये कह कर वो अपना लन्ड मेरी चूत के ऊपर रगडने लगा. राजीव की इस हर्कत से मुझे एक अजीब सा मज़ा आ रहा था. फिर उसने अपने लन्ड को आहिस्ता से मेरी चूत के अन्दर की तरफ़ धकेल दिया जिससे थोडा सा लन्ड मेरे अन्दर चला गया. अब मै आप को क्या बताऊं. इतना दर्द हुआ के बता नही सकती. लेकिन मै राजीव से वादा कर चुकी थी इस लिये अपने होंठों को अपने दांतों मे दबा कर चुप रही. राजीव मेरी हालत देख कर बोला: अभी तो सिर्फ़ १०% ही गया है. ये सुन कर मेरी तो जान ही निकल गयी. अगर १०% पर ये हाल है तो आगे क्या होगा. लेकिन मै फिर भी चुप रही. राजीव अब आहिस्ता आहिस्ता लन्ड को और अन्दर धकेल रहा था और मेरी जान निकल रही थी. फिर उसने एक ज़ोर क धक्का मारा और पूरा लन्ड एक झटके से अन्दर घुसा दिया. मेरी तो चीख निकल गयी. आवाज़ इतनी थी के अगर हम कमरे मे होते तो शायद सब जाग जाते. राजीव ने अकलमन्दी की और एक्दम अपने होंठ मेरे होंठों के साथ जोड दिये जिससे मेरी आवाज़ कम हो गयी. अब दर्द मेरी बर्दाश्त के बाहर था. मैने आंसू भरी आवाज़ मे काहा: राजीव प्लीज़ निकाल दो नही तो मै मर जाऊंगी. राजीव: बस मेरी जान हो गया…….. …कुछ देर मे ही दर्द खत्म हो जायेगा………. …बस थोडी देर रुक जाओ…….. ……मेरे लिये. राजीव की बात ने मुझे मजबूर कर दिया और मै चुप कर के बर्दाश्त करती रही. वो भी बगैर हिले मुझ पर लेटा रहा अपने लन्ड को मेरी चूत मे घुसाये. काफ़ी देर हम ऐसे ही रहे. अब वाकयी मुझे दर्द थोडा कम होता मह्सूस हुआ. मेरे चहरे को देख कर राजीव को पता चल गया की अब मै पहले से ठीक हूं. राजीव का लन्ड एक गरम सलाख की तरह मेह्सूस हो रहा था. अब राजीव आहिस्ता आहिस्ता अपने लन्ड को आगे पीछे करने लगा. पहली ५ या ६ बार आगे पीछे करने पर मुझे फिर दर्द हुआ लेकिन वो भी आहिस्ता आहिस्ता एक अजीब से सरूर मे बदल रहा था. और कुछ देर के बाद मुझे सच मे मज़ा आने लगा. एक ऐसा मज़ा जिसका मुझे अन्दाज़ा भी नही था और मै बता भी नही सकती. मै अपने ही भाई का लन्ड अपने अन्दर ले चुकी थी. मै वो हर लिमिट पार कर चुकी थी जो शायद आज तक किसी देसी लडकी ने नही की थी. अपने भाई की मानो बीवी या लवर बन चुकी थी. राजीव अब अपनी स्पीड बढाने लगा और मुझे भी मज़ा आने लगा. अब मै राजीव को कमर से पकड कर ज़ोर ज़ोर से अपने अन्दर करवा रही थी. कुछ ही देर मै मेरे अन्दर एक अजीब स तुफ़ान उठा. पता नही क्या हो रहा था मुझे मै पागलों की तरह राजीव को नोचने लगी. अब राजीव का पीछे हटना भी मन्ज़ूर नही था मुझे. मेरा दिल कर रहा था के वो अन्दर ही अन्दर जाता जाये. मै सरूर की सीमा पर आ चुकी थी. मेरी आह निकली और पूरे शरीर में एक लैहर दौड गयी. मेरा पूरा शरीर अकड गया और मुझे एक इतना ज़बर्दस्त आर्गैस्म आया की मै झटके खाने लगी. फिर एक दम मेरे अन्दर जैसे कोई तुफ़ान थम गया हो. मै बहुत ही ज़्यादा मधोश थी. लेकिन राजीव अभी भी लन्ड अन्दर बाहर कर रहा था. फिर पता नही उसे क्या हुआ और उसने अपनी स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और उसके मुंह सी भी अवाज़ें आने लगी, मुझे ये आवाज़ें बहुत ही अच्छी लग रही थी और फिर उसने एक झटके से अपने लन्ड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगा. फिर एक दम उस के लन्ड से वीर्य की धार निकली जो सीधी मेरी छाती पर जा गिरी. काफ़ी गरम था वो पानी. इस के बाद वो भी वैसे ही शान्त हो गया जैसे कुछ देर पहले मै हुई थी. राजीव मेरी साएड पर लेट गया. अब हम दोनों बहन भाई खुले आस्मान की तरफ़ देख रहे थे. काफ़ी देर तक ऐसे ही रहे. फिर मुझे खयाल आया की हम तो नंगे हैं और खुली छत पर अगर कोई आ गया तो क्या होगा. ये सारी बातें पहले नही सोची मैने. ये सोचते ही मैने राजीव को काहा: जलदी करो…….. ……याहां से चलें अब………. …कोई आ गया तो………. ……..मेरे कपडे कहां हैं?……. …….काहां रख दिये तुमने……… .? राजीव: वो दीवर के साथ साफ़ जगह पर हैं. उठा लो वहां से और मेरे भी ले आओ. ये सुन कर जैसे ही मै उठने लगी तो मुझे अभी भी वैजाईना पर दर्द हो रहा था जो मै कुछ देर से भूल चुकी थी. मैने राजीव की तरफ़ देखा और झूटे गुस्से से कहा ……. …….राजीव . ……… ….मेरे वैजाईना को फाड दिया है तुमने……… ऐसा करता है क्या कोई अपनी बहन के साथ?ये सुन कर राजीव हंसने लगा. उस समय मेरा एक हाथ मेरे वैजाईना पर था. मुझे कुछ गीला गीला मह्सूस हुआ. मैने हाथ लगा कर जब चेक किया तो मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी…….. वो तो खून थ…..ये क्या हुआ? मै घबरा के बोली: मै तो ज़खमी हो गयी हूं…..अब क्या होगा? राजीव ने बडे प्यार से काहा: कुछ नही होगा बुद्धू … ……… ऐसा ही होता है पहली बार. अगली बार ऐसा नही होगा राजीव की बात सुन कर मुझे कुछ हौसला हुआ और हम दोनों ने अपने अपने कपडे पहने. और वो जगह साफ़ की जहां खून गिरा था और बडे ही आराम से अपने अपने कमरे मै चले गये. किसी को कुछ पता नही चला. अब अपने बिस्तेर पर लेटी हुई उस रात की सारी बातें याद करने लगी. मै बहुत गिल्टी फ़ील कर रही थी पर साथ साथ मुझे ये भी पता था के मै इस बात से इनकार नही कर सकती थी के मुझे बहुत मज़ा भी आया. मुझपर एक अजीब सा सकून छाया हुआ था. मुझे पता था की आज मैने राजीव के साथ आखरी बार चुदाई नही की है और चाहे कुछ भी सोचूं, ये फिर से होगा और मै अपने आप को रोक नही पाऊंगी. और हुआ भी और एक दो बार तो रीना भाभी और मैने मिल के राजीव के साथ चुदाई की.
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