Saturday, 22 October 2016

लंड की भूखी लडकियों की ट्रेन में चुदाई

दोस्तों वैसे तो मेरी इस घटना को काफी दिन हो गये है बड़े दिनों से सोच रहा था की आज लिखुगा कल लिखुगा पर अब तक मस्ताराम की ढेर सारी कहानियां पढ़ चूका हूँ अब पढ़ पढ़ के दुसरे लोगो को कहानिया उब गया हु आऊ आज से अपनी कहानियां लिख रहा आशा करता हु सभी कहानियो की तरह मेरी कहानी को भी आप लोग प्यार देगे बहुत दिन हुए मैं एक ट्रेन से वापिस घर आ रहा था. रात भर और पूरे दिन चल कर ट्रेन दिल्ली पहुँचती कोई २० घंटे में और आगे होती हुई जम्मू तक जाती. मुझे उतरना था दिल्ली, और मेरी स्लीपर टिएर में बुकिंग हुई हुई थी. हमेशा मेरी नज़र आस पास के माल पे रहती थी और कोई माल नज़र नहीं आती तो मैं पूरे टाइम सोता रहता था. कई बार पास बैठे लडकी के मम्मे छूने को और कभी कभी मसलने को मिल जाते थे. ट्रेन में चढ़ के बड़ी निराशा हुई क्यूंकि कोई भी महिला ४० से नीचे नहीं और ४० के ऊपर भी एक भी ठीक आकृति की नहीं. ऊपर से सारी सीटें भर चुकी थी और लोग कम से कम दिल्ली तक जा रहे थे तो किसी लडकी के बीच में आने की भी कोई उम्मीद नहीं. मैं कई बार जब किसी लडकी के ऊपर वाली सीट मिलती थी तो वो ऊपर मुंह करके सो रही होती थी और मैं नीचे मुंह करके रात में नीचे ज़रा झाँक झाँक के अपनी सीट पे घिस्से लगाता रहता. मेरी उम्र भी कोई १९-२० साल की ही थी तो मैं उतना परिपक्व नहीं हुआ था, कम से कम दिमागी तौर पे. चुदाई का भी कोई बहुत ज्यादा अनुभव नहीं था, लेकिन उदघाटन हो चुका था और कुछ एक बार चुदाई भी कर ही चुका था. मैं जानता हूँ के आजकल के ज़माने में लोग बहुत जल्दी ये काम कर लेते हैं, लेकिन हमारे ज़माने में ऐसा नहीं था. तो कोई माल वाल न देख के हमने सोचा के इस बार आँखें या हाथ गर्म करने को न मिलेंगे. इस बार मेरी सीट थी किनारे पे, नीचे वाली. श्याम का वक़्त था तो मैं पसर के सो गया. रात में लोग आते जाते रहे मैंने आँखें न खोली के कहीं कोई रोजाना सफ़र करने वाला मुसाफिर जगह न मांग ले. फिर कुछ लडकीयों के हंसी मजाक करने की आवाज़ आयी तो मैंने आँखें खोली. मेरे डिब्बे में कई लडकियां, सब की सब स्पोर्ट्स-सूट में, और साड़ी १६ से १८ साल की उम्र में, एकदम तरोताजा, मांसल और भरी भरी, खादी बतिया रही थी. मैंने अपनी चद्दर ऊपर से हटाई और बाथरूम जाने के बहाने से सबसे सुन्दर लडकी, जो रास्ते में खड़ी थी, उसकी गांड पे हल्का सा लंड रगड़ते हुए निकल गया. वापिस आके देखा तो लडकियां पूरे डब्बे में फैल गयी थी और दौ लडकियाँ मेरे सीट पे बैठी थी, जिनमे से एक वही सुन्दर लडकी जिसे मैं घिस्सा लगा कर गया था. मेरे वापिस आने पे वो दोनों खड़ी हो गयी तो मैंने बोला के कोई बात नहीं, बैठ जाओ, मैं अभी सोने वाला नहीं. सो, मैं एक कोने में, सुन्दर लडकी मेरे साथ और दूसरी लडकी, जो खुद भी बड़ी हसीन थी, उसके बाजू में. मैंने सोचा ऐश हो गयी, थोड़ी थोड़ी रगडा रगडी होगी. मैं क्या जानता था के मेरी किस्मत खुलने वाली है.
थोड़ी देर में मैं उन लड़कियों से घुल मिल सा गया. बताया के मैं एक अभियान्त्रक हूँ, और अपने कॉलेज से वापिस घर जा रहा हूँ छुट्टियों के लिए. लड़कियों ने बताया के वो अपने स्कूल की वोल्ली बाल टीम में हैं और किसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही हैं. किसी वजह से उन की सीट बुक नहीं हो पायी तो पूरी टीम ऐसे ही डब्बे में चढ़ गयी. उनके कोच महोदय भी ट्रेन में ही थे. युवा हृष्ट पुष्ट कन्याएं थी, हंसी मजाक में दिल्ली पहुँच जायेंगी, सो मामूली बात थी. मैंने सोचा रस्ते में जबरदस्ती किसी ठुल्ले से या रोज़-मर्रा वाले यात्रियों से तो इन कन्याओं के साथ वक़्त बिताना ज्यादा मजेदार है. मै अपनी ओढी हुई चद्दर ले के एक कोने में बैठा हुआ था. लड़कियों का नाम था किरन (माल वाली) और चंदा, जो थोड़े गाँव वाली टाइप थी. किरन थी नागपुर से और बहुत बातूनी. थोड़ी देर में कोच महोदय आये और बोले के एक और लडकी के बैठने की जगह है साथ वाले खाने में, तो चंदा भी चली गयी. लेकिन ज्यादा दूर नहीं, जहां हम बैठे थे, अगले ही खाने में वो और कोच हमारे सामने ही बैठे हुए थे. मैंने कहा – चलो अब खुल के बैठ सकते हैं. कहके मैंने चौकड़ी ऐसे लगा रखी थी के पहले हलके हलके मेरे पाँव साइड से उसके कूल्हों पर लगने लगे. एकदम भरे भरे गदराये चूतड थे उसके. मेरा सोच सोच के ही लंड खडा हो गया. किरन वहीं बैठी रही और टस से मस ना हुई. हम लोग वैसे ही बातों में मस्त रहे. वो पूछने लगी शौक वगैरा, वही लड़कियों वाले सवाल. मैंने कहा- मूवी, क्रिकेट, नोवेल पढना, वगैरा. वो बोली- और दोस्त बनाना, है ना? मैंने कहा- हाँ, वो भी. वो बोली- गुड, मेरी भी यही होब्बी है. मैंने दोस्ती का तो क्या अचार डालना था, और यकीन मानो दोस्तों, सुन्दर लड़कियों से दोस्ती से थोड़ा परहेज़ ही रखना चाहिए क्यूंकि दिन रात ललचाते रहते हो और हाथ में कुछ आता नहीं. चोदो और सरको, यही मन्त्र अपनाओ. खैर, मैं बातें भी करता और थोडा सा अपने पाँव उसके पीछे सरका देता.
उसे बिलकुल ऐतराज़ न हुआ, और मैं पीछे से अपने पाँव से उसके कूल्हों को छू रहा था तो सामने बैठी चंदा और कोच को दिखाई नहीं देता. थोड़ी देर में मेरी किताब देख के वो बोली- अरे, तुम भी ये सन-साइन वाली किताब पढ़ते हो. मैं थोडा झेंप गया. फिर उसने पूछा के वो मेरी किताब पढ़ सकती है क्या, मैंने अपनी किताब उसको पकड़ा दी. मेरे पास दूसरी किताब थी, जो मैंने निकाल ली. वो बोली- खुल के बैठ सकते हो, पैर फैला के, तो वो एक सिरे पे अपनी कमर लगा के बैठ गयी और मैं दूसरे सिरे पे. मैंने पीछे से अपनी टांगें पूरी लम्बी करके पूरी सीट पे लिटा ली और उसने सामने से. मैंने अपनी टांगों के ऊपर चद्दर डाल ली और अपने पावों से उसके नर्म नर्म कूल्हों को छूने लगा. यहाँ मैं एक बात साफ़ कर दूं के महिलाओं के लिए मेरे दिल में बहुत इज्ज़त है और पाँव से छू के मैं किसी तरह से महिला जात को बे-इज्ज़त नहीं करना चाहता. यह मेरे लिए सिर्फ वासना पूरी करने का जरिया है, और कुछ नहीं.
थोड़ी देर ऐसे ही माहौल बनता रहा. डब्बे में ज्यादातर लोग जगे हुए थे, लेकिन शोर भी काफी था. सो, हम लोग आराम से खुल के बात भी कर सकते थे लेकिन मैं और कुछ छुई-मुई नहीं कर सकता था. नौ-साढ़े नौ के करीब लोग लुढ़कने लगे. ऊपर बैठे महोदयों ने बत्ती भी बंद कर दी.लेकिन लौड़े की उछान से मुझे कहाँ नींद आनी थी. थोड़ी देर में चंदा भी आ गयी, बोली के उधर लोग सो रहे हैं, लेकिन हमे बात करते देख के उसने सोचा वो भी आ के गप्प शप्प लगाए. मैं सोचने लगा – ये कबाब में हड्डी कहाँ से आ गयी. लेकिन उसके आने से एक काम तो हुआ के हम लोगों को थोड़ा टाईट हो के बैठना पड़ा. अब किरन बीच में आ गयी और चंदा दूसरे कोने पे. मैं वैसे ही पीछे टाँगे बिछाए बैठा रहा, तो समझिये के किरन अब लगभग मेरे घुटने से थोड़ी ऊपर, लेकिन जाँघों से थोड़ी नीचे एकदम लग कर बैठी थी. उसके नाजुक नाजुक गोल-गोल चूतड ट्रेन के इधर उधर होने से रह रह के मेरी टांगों से टकरा जाते और लंड में सनसनी मचा जाते.
अब अँधेरे में मैंने थोड़ी हिम्मत बधाई और अपना बायाँ हाथ बढ़ा के हौले हौले किरन की कमर छूना शुरू कर दिया. किरन ने कोई आपत्ती नहीं की तो मैंने हाथ सरका के अपनी टांगों पे रख लिया, ताकि अब मेरा हाथ मेरी टांगों और उसके कूल्हों के बीच में आये. फिर मैंने हाथ घुमा के उसके चूतड को अपने हाथों में भर लिया. अब भी दोनों लडकिया इधर उधर की बातें कर रही थी. उनकी बातों से लगा के चंदा किरन को अपनी बड़ी बहन की तरह मानती थी और हमेशा उससे चिपकी रहती थी. थोड़ी देर उसको देख के और उसके परिपक्व मम्मों को देख के लगा के उसकी दबाने में भी मजा आ जाए. लेकिन अभी मैंने किरन की गांड पे हाथ रखा हुआ था. फिर मैंने किरन की गांड को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. अब किरन थोडा घूम के बैठ गयी और मैंने तुरंत हाथ हटा लिया. मैंने सोचा के बस थोड़ी देर में थप्पड़ पड़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैं थोड़ी देर शांत बैठा रहा, वार्तालाप चलता रहा और किरन फिर मेरी और आके सट के बैठ गयी. मैंने अपना हाथ फिर उसके कूल्हों पे रख दिया और हलके हलके सहलाने लगा.

कोई प्रतिक्रिया न होने पे मैंने अपना हाथ पीछे से उसके ट्रैक सूट के टॉप में सरका दिया और उसकी मांसल कमर सहलाने लगा. यकीन नहीं आ रहा था के इतनी माल बंदी मेरे साथ बैठ के मजे दे रही है. अक्सर थोड़े थोड़े स्पर्श के बाद लडकियां या तो परे हट के बैठ जाती हैं या किसी तरह से जता देती हैं के मैं गलत हरकत कर रहा हूँ. किरन ने ऐसा कुछ नहीं किया इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ती चली गयी. मैंने अपना हाथ पीछे से उसके ट्रैक पेंट में डालने की कोशिश की लेकिन बहुत टाईट था और मैं बहुत कोशिश के बाद भी हाथ न घुसा पाया. अब किरन हंस दी. चंदा ने पूछा क्या हुआ, किरन बोली-कुछ नहीं, और बातचीत में लगी रही. मैं अब धीरे धीरे अपना हाथ उसके बगलों में ले जाके नर्म नर्म शेव की हुई काखें सहलाने लगा. दूसरी ओर से उसका चूच हलके हलके मेरे हाथ से टकरा रहा था. गाडी के हलके हलके धक्कों से हिल हिल के लंड भी खड़ा हुआ जा रहा था. थोड़ी और देर ऐसे ही चलता रहा. लगभग सब लोग सो चुके थे. मैंने मौका देख के कहा के मैं दरवाजे की तरफ जाके थोड़ी हवा खाने जा रहा हूँ. सोचा वो भी चलेगी तो मैं अगला दांव खेलूंगा. किरन भी तैयार हो गयी मेरे साथ चलने में, बहाना ये बनाया के यहाँ जोर से बात नहीं कर सकते क्यूंकि लोग सो रहे हैं. मैंने सोचा के बन गयी बात, तो दोनों एक एक करके डब्बे के सिरे पे बाथरूम के पास दरवाजे के पास जाके खड़े हो गए. दरवाजा खुला था तो ज़ोरों से हवा आ रही थी. किरन खड़े खड़े हलके हलके मुस्कराते हुए देखने लगी. मैंने देखा के आस पास कोई नहीं है तो बोलने की कोशिश की, लेकिन कुछ बोल न पाया. बस आगे बढ़ के एकदम साथ जाके खड़ा हो गया. मेरा लंड उसके पेट से छू रहा था. उसका चेहरा मेरी और थोडा झुका और आँखें हलके से बंद हुई तो मैंने झुक के उसके होठों को चूम लिया. थोड़ी देर मैं उसके होठों पर हलके हलके चुम्बन जड़ता रहा फिर उसने हलके से होंठ खोले तो मैंने भी अपने होठ खोल के उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया. फिर मैंने जीभ से उसके कोमल होंठो के बीच में जगह बनायी और जीभ अन्दर दाल के उसकी जीभ से मिला दी. उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहयोग देना शुरू किया. थोड़ी देर हम ऐसे ही जीभें लड़ाते रहे और मेरा हाथ उसकी कमर के गिर्द घिर गया. मैंने अपना बाजू उसकी

कमर के गिर्द लपेट के अपने आगोश में कस लिया.

उसके ठोस मम्मे मेरी छाती से लगे लगे जब दब रहे थे तो नीचे लौदा दहाड़ें मारने लगा और किरन के पेट में चुभने लगा. मैंने अपने लंड को और थोडा जोर से उसके पेट से सटाया. गाडी चली जा रही थी और हमारे बदन गाडी के झटकों के साथ डोले जा रहे थे. मेरा हाथ अब नीचे जाके उसकी गांड दबा रहा था. मैंने दूसरा हाथ भी पीछे डाल के उसके दोनों कूल्हों को जोर से भींच दिया. फिर मैंने उसकी ठुड्डी चूसनी शुरू कर दी, और बीच बीच में गालों पे पप्पियाँ लेने और चूमने चाटने लगा. मैं इतनी खुली हुई लडकी से कभी नहीं मिला था, तो हैरान भी था और उत्तेजित भी. मैंने उसकी गांड भींचते भींचते उसके गले पे हलके से होठों से काटा फिर झुक के उसकी तनी हुई चूचियों को ट्रैक सूट के ऊपर ऊपर से चूसने का प्रयत्न किया. उसके कूल्हे एकदम भरे भरे और गदराये हुए थे मेरे उसकी गांड पे हाथ रखते ही उसके मांसल कूल्हे मेरे हाथों में समा जाएँ, ऐसे भरे भरे. मैंने अपना हाथ उसके कूल्हों के नीचे सरकाया और कूल्हों के एकदम बीच में ले आया. फिर मैंने दोनों तरफ से गांड को जोर से दबाया. इस दौरान मैं बदहवास सा चुम्मा चाटी में लगा था. अचानक लगा के कोई साथ में है घूम के देखा तो चंदा खडी थी. किरन बोली- चिंता न करो, ये देखती रहेगी के कोई आ न जाए. मैंने चंदा को आँख मारी, उसने भी जवाब में आँख मारी और मैं किरन के शरीर से खेलने में लग गया. अब मैंने अपने हाथ से ऊपर ऊपर से किरन की चूची थाम ली और पूरी ताक़त लगा के दबा दी. वो कराह सी उठी. ऐसे २-४ मिनट चला होगा के किरन बोली – यही सब करते रहोगे के और आगे भी कुछ इरादा है. मैं समझा नहीं तो बोली- आगे भी कुछ करना है तो बाथरूम में चलते हैं. अब जाके मेरे दिमाग में चमक आयी के ये लडकी मेरे से भी चालू है और इसे ट्रेन में चुदवाने का अनुभव है. मैंने उसे साथ में लिए लिए बाथरूम का दरवाजा खोला और दोनों अन्दर चले गए. मैं दरवाजा बंद करता के चंदा बोली, मैं भी आ जाऊं- सिर्फ देखने के लिए. मैं थोडा झिझका हुआ था, लेकिन न हाँ कर पाया और न ना.

नतीजा ये के चंदा भी बाथरूम में मेरे साथ. बाथरूम कोई गन्दा तो नहीं था, लेकिन जंग की बू हमेशा रहती है. बीच में खंडास और दोनों तरफ हत्थे थे. हम तीनों बड़े टाईट फिट आ रहे थे. मैंने किरन की टॉप ऊपर सरका दी और उसकी ब्रा भी बिना खोले ऊपर सरका दी. बाथरूम की रोशनी में उसके दोनों मम्मे चाँद की तरह चमक रहे थे और उसके भूरे भूरे निप्पल लाल अंगूर की भांति जैसे चूचों पे चिपके हों. मैंने अपने ओंठ उसके निप्पल पे चिपका दिए और उसका यौवन रस गट गट पीने लगा. पहले प्यार से फिर जोर जोर से. वो सिसकारी लेते हुए बोलने लगी- हाँ हाँ, और जोर से. इस बीच मैंने उसका ट्रैक पेंट भी नीचे सरका दिया और उसकी चड्ढी भी. उसने मेरा लंड दबोचा और मेरी जींस खोल के बाहर निकाल लिया. मैंने अपने हाथ से उसकी चूत में उंगली दे दी. उसकी चूत एकदम गीली थी पिछले एक घंटे की छेड़ छाड़ के कारण.
मैं थोड़ी देर उंगली करता रहा और उसके मम्मे चूसता रहा और वो मेरे लंड को हाथ में थामे सहलाती रही. फिर चंदा का हाथ भी मेरे लंड पे आ टिका. मैंने भी उसकी चूची दबा दी. थोड़ी देर में उसकी कमीज और ब्रा भी उसके चूचों से ऊपर और उसकी पेंट और पेंटी उसकी टांगों से नीचे. मैंने दोनों की चूत में उंगली डाल दी. दोनों का शरीर एकदम कसा हुआ और गांड एकदम भरी हुई थी. अब किरन घूम के मेरे और चंदा के बीच में यूँ आ गयी के उसकी गांड मेरी तरफ और मुंह चंदा की तरफ. फिर वो थोड़ी झुक गयी. दोनों लड़कियों के मम्मे ट्रेन की छुक छुक के साथ आपस में टकरा रहे थे. मैंने थोडा नीचे झुक के अपने लंड को उसकी चूत में देने की कोशिश की तो हर तरफ नर्म नर्म मांस के लंड टकराता रहा लेकिन रास्ता कहीं न मिला. किरन ने नीचे हाथ डाल के मेरे लंड को रास्ता दिखाया और सेकंडों में मेरा लंड चूत में आधा घुसा हुआ था.शुरू में थोडा घर्षण हुआ लेकिन मैंने जोर से धक्का दिया और पूरा अन्दर. मैं थोड़ी देर अपनी जांघें उसकी गांड से लगाए खडा रहा, बिना धक्के दिए. ट्रेन के चलते चलते अपने आप ही हौले हौले धक्के लग रहे थे. मैं किसी जल्दी में न था और इस घटना के पूरे आनंद लेना चाहता था. मैंने चंदा के चेहरे को अपनी और खींच के उसके ओठों को चूमा. फिर अपने अंगूठों और अँगुलियों से उसके निप्पलों को यूँ पकड़ा के घोड़े की लगाम पकड़ रखी हो. चंदा ने उफ़ तक न की. फिर मैंने ट्रेन के धक्कों से मिलते धक्के लगाने शुरू कर दिए. पहले धीरे धीरे, फिर तेज़ तेज़. लौड़ा किरन की टाईट चूत में मस्त हुआ जा रहा था. मैंने चंदा के निप्पल पकडे पकडे किरन के चूच्चे अपने हाथों के कप में पकड़ लिए और अपनी हथेली से उनपे भी च्यूंटी काटने लगा. मेरी जांघ पे किरन के कूल्हे जो उछल उछल के लग रहे थे तो लौड़े में और सनसनी सी दौड़ उठती थी.

मैंने झुक के चंदा के ओठों को चूसना शुरू कर दिया. किरन ने घूम के मेरे ओठों से अपने ओंठ लगाने की कोशिश की तो तीनों के ओंठ आपस में टकराए. तीनों के ओंठ खुले खुले थे और तीनों ओंठ एक दुसरे पे कस गए और कसते चले गए जैसे जैसे मेरे धक्के तेज होते गए. जैसे जैसे मेरा लौड़ा फटने के मुकाम पे आने लगा, मेरे हाथ और जोर से लड़कियों के मम्मों पे कसने लगे. मेरे लौड़े से ज़ोरों से गरम गरम माल की बौछार किरन की चूत में होने लगी. मैंने धक्का मरना बंद कर दिया और अपनी जंग को एकदम ज़ोरों से किरन की गांड से सटा के लंड जितना अन्दर घुस सकता था, घुसा के खड़ा रहा. इतनी जोर से च्यूंटी मारी लड़कियों के मम्मों पे के दोनों के मुंह से सिस्कारियां निकल आया. मेरा लंड थोड़ी देर वीर्य विसर्जन करता रहा और धीरे धीरे सिकुड़ता रहा. किरन ने अपनी गांड दायें-बाएं यूँ हिलाई मानो मेरे लंड से बचा खुचा माल निकाल रही हो. मेरे मुह से आह निकल उठी. अब मेरा लंड एकदम सिकुड़ चूका था, बस सुपदा उसकी ज़ोरों से कसी चूत के मुंह पे फंसा था. मैंने निप्पल दबाने ज़ारी रखे और उसी मुद्रा में मुंह आसमान की और करके खडा रहा. ख़ुशी भी थी के इतनी माल दार लडकी का चोदन कर पाया और अफ़सोस रहा के ज्यादा लम्बा न चल पाया और चंदा की न ले पाया.
इस अफ़सोस के साथ की सिर्फ एक लडकी की चुदाई कर पाया. सो, चोदन के बाद हम लोगों ने सोचा के थोडा थोडा करके दरवाजा खोलें और अगर बाहर कोई न हो तो एक एक करके बाहर निकल लें. आगे थी चंदा, उसने दरवाजा हलके से खोला तो दरवाजा जोर से पूरा खुल गया. सामने कोच को देख के हम तीनों चौंक गए. कोच ने मुझे एक झापड़ लगाया और थोड़ी ऊँची आवाज में बात करने लगा. मैं घबरा गया के लोग इकठ्ठे हो जायेंगे और जम के पिटाई होगी. लेकिन कोच ने अपना ध्यान किरन पर केन्द्रित कर लिया. बोले- “तुम उम्र में सबसे बड़ी और टीम की सबसे पुरानी खिलाडी हो, तुम भी ऐसा करोगी. साथ में नयी लडकी को भी खराब कर रही हो. मैं तुम्हे टीम से भी निकालूँगा और स्कूल से भी.” किरन गिडगिडाने लगी. बोली- “सर, गलती हो गयी, बोलिए क्या करू?” कोच बोला- “गलती की सजा तो मिलेगी, यहीं ख़त्म कर सकते हैं नहीं तो बाद में.” मैं समझा नहीं लेकिन किरन समझ गयी, बोली- “जैसे आप करें, सर.” कोच बोला- “ठीक है, तो फिर वापिस अन्दर चलो.” किरन वापिस बाथरूम में, कोच के साथ और मैं और चंदा बाहर रह गए. हमें समझ में नहीं आया के क्या करें. यकीन करो दोस्तों, अब का समय होता तो मैं शोर मचा के लोगों को इकठ्ठा करके कोच की करतूत खोल देता, लेकिन उस समय मैं खुद ही डरा हुआ था और जैसे भी हो,

मुसीबत से पिंड छुटाना चाहता था.


आगे की कहानी खुद किरन के मुंह से सुनी हुई कहानी है:
अन्दर पहुँच के कोच ने अपने हाथ में किरन का मुंह ऐसे पकड़ा के अंगूठा एक गाल को दबोच रहा था तो अंगुलियाँ दुसरे गाल को. बीच में उसके गोल गोल ओंठ मानो चुम्बन के लिए बाहर निकले हों. कोच ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. फिर उसने किरन की चूची पे ज़ोरदार च्यूंटी मारी. किरन कराह उठी. कोच बोला -”क्यूँ, अजनबियों से चुदने में दर्द नहीं होता, हमी से दर्द होता है?” फिर कोच बोला- “लंड चूसेगी मेरा?” किरन बोली- “नहीं सर, जो करना है कर लीजिये” तो बोला- “लंड तो चूसना पड़ेगा, लंड चूसे बिना तो बात नहीं बनेगी. कितने दिनों से तेरे रसीले होठों पे लंड रगड़ने का ख्वाब लिए मुठ मार रहा हूँ मैं, आज तो मुंह में ले ही ले.” बोल के कोच ने अपना ढीला लंड अपनी पेंट से बाहर निकाला. किरन को थोड़ी हंसी आ गयी, तो कोच बोला, “चूस तो बिटिया रानी, फिर देख कितना बड़ा होता है. गांड फट जायेगी तेरी मेरा खडा लंड देख के.” किरन को उसके अश्लील शब्द इस्तेमाल करने पे गुस्सा तो आया, लेकिन बेचारी मजबूर थी. उसे घिन भी आ रही थी कोच के लौड़े से टपकती लार से, जिसने उसके गालों को गन्दा कर दिया था. अभी भी कोच का लंड एकदम ढीला था, लेकिन लम्बाई और गोलाई में थोडा बढ़ गया था. फिर उसने अपना लंड ले जाके किरन के होठों पे रगड़ना शुरू कर दिया. अपनी गंदी नज़रों से शाल के चेहरे पे लगातार नज़र रखे वो अपना लंड किरन के सख्त और बंद होठों से रगड़ता रहा. फिर बोला – “होंठ खोल भी जालिम, मुंह में ले ले”. किरन ने मुंह ज़रा सा खोला और उसके नाजुक नाजुक नर्म नर्म भरे भरे होठों पे कोच ने अपने लंड की उपरी त्वचा हटा के सुपाडा उसके मुंह में हल्का सा दे दिया. किरन को उसके लंड से बदबू सी आयी और ऊपर से लौड़े की लार का खट्टा खट्टा नमकीन सा स्वाद. उसके मुंह से उल्टी सी निकली, लेकिन उसका मुंह जरा और खुलते ही कोच ने उसके मुंह में अपना नर्म लौड़ा घुसेड़ने की कोशिश की. नाकाम होने पे कोच ने अपना हाथ किरन की ठोडी के नीचे रखा और दुसरे हाथ से उसका माथा थोडा पीछे धकेला. किरन का मुंह और खुला, कोई और चारा न देख के किरन ने पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगी.कोच ने अपनी आँखें यूँ बंद कर ली के अभी माल निकाल देगा, लेकिन वीर्य स्खलन के बजाय उसका लंड बड़ा और खड़ा होने लगा. अब लंड कोई ७-८ इंच लम्बा हो गया था और सिर्फ सामने के २ इंच किरन के मुंह में आ पा रहे थे. किरन ने अपने एक कोमल हाथ से कोच का लंड थामा और अपने मुंह को आगे पीछे कर के पंड चूसने लगी. लौड़ा और सख्त होता गया. कोच ने गंदी बातें जारी रखी – “बहन की लौड़ी, कहाँ थी इतने दिनों से, इतना मस्त तो रंडियां भी नहीं चूसती. चूस, और स्वाद ले ले के चूस.” गुस्से और शर्म से किरन का मुंह एकदम लाल हो रहा था, जिससे कोच को शायद और उत्तेजना मिल रही थी. झुक के कोच ने किरन का एक मम्मा पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा. किरन के निप्पल एकदम सख्त हो गए तो कोच ने कपड़ों के ऊपर से ही भांप के जोर से च्यूंटी भर दी. किरन ने हल्का सा कोच के लंड पे दांतों पे काट दिया लेकिन कोच को दर्द के बजाय उल्टा मजा आया, बोला- “हाँ, काट मेरे लौड़े पे कुतिया की तरह. उफ़,

तेरे जैसी लौंडिया को तो मैं हर छेद में दिन रात चोदूं.”

किरन ने और हलके हलके कोच के लंड पे दाँतों से २-३ बार काटा, इस उम्मीद से के कोच का वीर्य स्खलन होगा और उसे ज्यादा झेलना नहीं पड़ेगा. कोच एक्टिंग तो ऐसे कर रहा था के अब निकला अब निकला, लेकिन उसका लंड उलटे और तना जा रहा था. फिर उसने किरन के मुंह से लंड बाहर निकला. किरन खड़ी होने लगी तो वो बोला- “नहीं, वैसे ही बैठी रह, सज़ा का वक़्त आ गया है.” बोल के उसने अपने लंड से किरन के गालों पे हल्की हल्की चपत सी लगानी शुरू कर दी. फिर किरन से कहा जीभ बाहर निकाल. किरन ने जीभ बाहर निकाली तो अपना लंड उसकी जीभ पे रख के ऊपर उठाया और फिर धडाक से वापिस जीभ पे थप्पड़ सा लगाया, जैसे से लंड झाड रहा हो लेकिन ये सिर्फ आगे की तैय्यारी थी.
अब कोच ने किरन को खड़ा किया और उसकी पेंट और पेंटी नीचे सरका दी, ब्रा और टॉप ऊपर सरका दी और दूसरी और घुमा दिया. पीछे से वो किरन के कान और कंधे पे दांत गडाने लगा और अपने हाथों से किरन के मम्मों पे चिकोटियां काटने लगा. किरन बोली- “सर. धीरे धीरे, पलीज, दर्द हो रहा है.” तो कोच बोला- “क्यूँ, मैंने कहा था, के चुदवाती फिर. अब अंजाम भुगत” कह के और जोर से किरन की चूचियां मसल डाली. फिर दूसरा हाथ सरका के किरन के नाजुक नाजुक पेट पे चूंटी काटने लगा. किरन का बुरा हाल था. कोच में पीछे से अपना लंड किरन की गद्देदार गंद के एकदम बीच में लगा रखा था. फिर वो बीच की लकीर पे लंड लिटाये लिटाये धक्के से मारने लगा. फिर उसने किरन के मुंह में अपनी अंगुलियाँ दे के कहा- गीला कर, जानेमन. किरन ने उसकी अँगुलियों को थोडा चूसा और फिर गीला सा कर दिया. कोच ने गीली अँगुलियों से अपने लंड पे रगड़ के लौड़े को थोडा गीला किया, फिर अंगुलियाँ वापिस किरन के मुंह में डाल के फिर गीला करवाई और फिर लंड पे लगाई. फिर कोच ने पूछा- “चुदवाई थी उससे?” किरन की ख़ामोशी में हाँ का जवाब था. फिर वो बोला, कोई बात नहीं. और अपनी उँगलियाँ फिर किरन के मुंह में डाल के गीली की और किरन की गांड पे रगड़ने लगा. जैसे ही किरन को अंदेशा हुआ कोच के इरादों का वो एकदम परे हटने लगी, बोली- नहीं, नहीं, पीछे से नहीं. कोच बोला – “तो तेरी पहले ही चुदी हुई चूत में फिर डालूँ? क्या समझ रखा है मुझे?” कह के कोच ने किरन को मजबूर सा कर दिया. बोला के आराम आराम से करेगा. फिर कोच ने अपनी गंदी उँगलियों को किरन के मुंह में गीली करके किरन की गांड में पहले एक उंगली डाली, फिर दोनों. फिर उंगलियाँ बाहर निकाल के उसने अपना सख्त लौड़ा किरन की गांड से लगाया और अपने हाथों से पकड़ के थोडा थोडा घुसाने लगा. किरन कराहने लगी, बोली- सर, दर्द हो रहा है, पलीज, मत करो. लेकिन उस वहशी का और लंड खडा होने लगा किरन की हायकार सुन कर. उसने अपने हाथ से किरन का एक कूल्हा एक तरफ को दबाया और दुसरे हाथ से लंड को पकड़ के और थोडा अन्दर घुसाने की कोशिश की, लेकिन मुश्किल से आधा सुपाड़ा ही अन्दर जा पाया. फिर कोच ने लंड निकला और झुक के किरन की गांड पे थूका. फिर लंड को इस थूक में गीला करके फिर से किरन की गांड में घुसाने का प्रयतन किया. इस बार सुपदा पूरा अन्दर घुस गया और गांड के पहले द्वार में प्रवेश कर गया. किरन दर्द के चलते अचानक से फुदक उठी, लेकिन कोच ने उसके उछलने से मिलता हुआ जोरदार झटका ऐसा दिया के लंड पूरा अन्दर घुस गया. दर्द के मारे किरन की आँखों से आंसूं निकल आये. कोच ने वहशी दरिंदों की तरह किरन के कूल्हे और मम्मे नोचने शुरू कर दिए और जोर जोर से गांड में धक्के लगाने शुरू कर दिए.

उसके बुजुर्ग और खुरदरे बाल जब किरन के कूल्हों से टकराते तो किरन को खराश सी मच जाती. बाहर हम खड़े खड़े इंतज़ार कर रहे थे लेकिन थोड़ी देर में दरवाजे पे धक्कों की आवाज सुन के समझ में आ गया के

अन्दर चुदाई चल रही है.

कोच का लम्बा और मोटा लंड किरन की गांड की तहस नहस करने में लगा था और उसके हाथ कभी किरन की गांड पे जोर से चपत लगाते, कभी भींच देते. किरन बोली- “सर, हुआ क्या, कसम से दर्द हो रहा है” तो कोच बोला- “बोल, मैं रंडी हूँ, मेरी गांड मारो.” थोडा जोर देने के बाद किरन को जब कोई चारा नज़र न आया तो उसने भी साथ देने का फैसला कर लिया, बोली- “मैं रंडी हूँ, मेरी गांड मारिये, सर, और ज़ोरों से.” कोच को और चढ़ गयी और उसने किरन को और नीचे झुका के और जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए. बोला – “गंदी बातें करती रह बहन की लौड़ी नहीं तो पूरी रात ऐसे ही गांड चौद्ता रहूँगा और माल नहीं निकलेगा.” किरन घबरा गयी और हाँफते हाँफते बोलने लगी- “हाँ, हाँ, सर, और जोर से धक्का लगाइए, मेरे चूचे दबाइए, उफ़, कितना मजा आ रहा है, है रोज़ सुबह आपका खड़ा लंड चूसूं. मेरी गांड, चूत और मुंह, सबमें डालिए. लंड मेरे चूचों से रगड़िये चाहे गांड से.” कोच हैरान हो गया के ऐसी ऐसी बातें ये कहाँ से सीखी लेकिन गांड मारता रहा. फिर उसने किरन के बाल पकड़ के सर पीछे खींचा और उसके होठों को चूसने लगा.किरन को गांड में दर्द के साथ साथ गर्माइश महसूस हुई. कोच का काम तमाम हो चूका था. कोच फिर भी हलके हलके धक्के लगता रहा और एक हाथ से बाल खींच के दुसरे हाथ से किरन की चूची दबा रहा था. फिर उसने लंड बाहर निकाला और किरन की गांड पे झाड़ा, फिर बोला- चूस. किरन बोली- “लेकिन सर, गन्दा हो गया है, मेरे पीछे से निकला है” कोच बोला- “हाँ, तूने गन्दा किया है, तू ही साफ़ कर.” कहके कोच ने किरन को मजबूर किया लंड चूसने पे, बोला- हलके हलके चूस, चुदाई के बाद बहुत संवेदनशील हो जाता है. कह के वो किरन को थोड़ी देर लंड चूसाता रहा. फिर बोला – “अब मेरी मुट्ठ मार.” किरन ने अपने हाथों से कोच के बैठे लंड पे मुट्ठ लगानी शुरू कर दी. थोड़ी देर में लंड अध्-खड़ा हो गया लेकिन पहले की तरह विराट नहीं. कोच आँखें बंद करके किरन से चुम्बन में लगा रहा और हाथों से किरन की गांड और मम्मों से खिलवाड़ करता रहा. किरन इंतज़ार करती रही कोच के लंड का खड़ा होने का, ये सोच के के फिर से चुदेगी. लेकिन वो उस समय बहुत खुश हुई जब कोच के लंड ने हौले हौले थोडा सा माल किरन के हाथ पे उगल दिया. उसकी गांड भी चिप-चिप कर रही थी, और अब हाथ भी. कोच बोला- “अब बचा खुचा भी चूस, लेकिन एकदम आहिस्ता आहिस्ता.” आखिर यातना का अंत देख के किरन फटाफट तैयार हो गयी और कोच का लंड ऐसे चूसा के कोच खुशी और आनंद से झूम उठा. सब ख़त्म होने के बाद बोला- “शाबाश, तुम वाकई मेरी टीम की कैप्टेन बनाने लायक हो. तुमने काफी इनाम के लायक काम किया है.” फिर किरन पानी से अपनी गांड साफ़ करने लगी तो कोच अपनी वैवाहिक जीवन के दुखड़े रोने लगा. अब किरन को उस पे तरस सा आने लगा, लेकिन उस ने फिर भी बदला लेने का मन बना रखा था. बदले में कुछ एक साल लग गए लेकिन उसने बदला लिया ज़रूर. उसकी कहानी भी आपको सुनाऊंगा, लेकिन फिर कभी.

जिगरी दोस्त की माँ की चुदास मिटाई

हैल्लो दोस्तों, राजकुमार का आप सभी को प्यार भरा नमस्कार। इस कहानी के पात्रो से आप सभी का परिचय करवा देता हूँ। दोस्तों राकेश मेरा बहुत पुराना दोस्त है और में हमेशा उसके साथ में अपनी हर एक बात करता हूँ और बहुत मौज मस्ती भी करता हूँ। दोस्तों राकेश 22 साल का एक हट्टाकट्टा लड़का है और हम दोनों में बहुत बनती है। दूसरी पात्र सीमा वो राकेश की माँ है जो कि एक सेक्सी माल है, उनकी उम्र करीब 35 है और वो बला की सुंदर, थोड़ी पुरानी सोच, लेकिन वो बहुत अच्छे व्यहवार और विचारों की औरत है और उनका फिगर 38 -34 -38 है और वो दिखने में दूध जेसी सफेद और आज भी बहुत जवान लगती है।
दोस्तों इस कहानी का तीसरा पात्र जी हाँ वो में हूँ और मुझे चुदाई का बहुत शौक है और यह घटना मेरे साथ करीब एक साल पहले घटित हुई वैसे तो में एक चुड़क्कड़ किस्म का इंसान हूँ तो इसलिए में हमेशा कोई ना कोई चूत ढूंढता रहता हूँ। दोस्तों मेरा राकेश के यहाँ पर रोज का आना जाना लगा रहता था, लेकिन उसकी माँ को देखकर हमेशा से ही मेरा लंड उसे चोदने को होता था, लेकिन मुझे कभी कोई ऐसा मौका नहीं मिला जिसका में अच्छी तरह से फायदा उठा सकता? वैसे हम हमेशा थोड़ी बहुत हंसी, मजाक बातें कर लिया करते थे। दोस्तों अब राकेश का जन्मदिन बहुत नज़दीक आ रहा था और उसके पापा किसी जरूरी काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गये हुए थे। मैंने उसे एक दिन फोन किया और पेपर होने के कारण हम ज़्यादा घूम नहीं पा रहे थे। राकेश हैल्लो..
में : राकेश क्यों कहाँ है यार?
राकेश : यार में तो अपने घर पर हूँ और टी.वी. देख रहा हूँ।
में : यार चल ना कोई फिल्म देखने चलते है।
राकेश : रुक में अभी अपनी माँ से पूछता हूँ।
में : ठीक है थोड़ी देर बाद दोबारा फोन करता हूँ।
राकेश : यार मेरी माँ मुझसे जाने के लिए मना कर रही है, वो कह रही है कि घर पर ही रह, यार तू मेरे घर पर आजा हम लोग घर पर ही फिल्म देख लेते है।
में : ठीक है में बीस मिनट में तेरे पास आता हूँ।
राकेश : हाँ ठीक है।
फिर में तैयार होने लगा और मन ही मन बहुत खुश भी था कि मुझे आज उसकी सेक्सी माँ को देखने का मौका मिलेगा। में तैयार होकर राकेश के घर को निकल गया और उसके घर पर पहुंचकर मैंने घंटी बजाई, राकेश ने दरवाजा खोला और मुझसे अंदर आने को कहा।
में : राकेश अंकल और आंटी कहाँ है?
राकेश : यार पापा एक हफ्ते के लिए काम से बाहर गये है और माँ अभी सो रही है।
में : यार छुट्टियाँ भी है, लेकिन मौज मस्ती नहीं की तो अब तरस रहा हूँ और तू बता तू तो अंजलि को मिलने जा रहा था ना?
राकेश : नहीं यार नहीं जा पाया घर में काम बहुत है और माँ नाराज़ हो है इसलिए नहीं गया।
में : कोई बात नहीं यार माँ मान जाएगी।
राकेश : चल अब फिल्म देखते है, में कल ही लेकर आया था।
में : हाँ चल बहुत दिन हो गये फिल्म देखे।
दोस्तों अब हम राकेश के रूम में जाकर फिल्म देखने लगे और एक घंटे बाद आंटी उठ गई और उस कमरे में आई जिसमें हम बैठे हुए फिल्म देख रहे थे।
आंटी : क्यों क्या देख रहे हो तुम दोनों?
में : नमस्ते आंटी।
राकेश : फिल्म देख रहे है माँ।
आंटी : ठीक है, में तुम लोगों के लिए कुछ खाने को लेकर आती हूँ।
फिर इतना बोलकर आंटी किचन में जाने लगी और में उनकी साड़ी में उनकी मटकती हुई गांड को देखने लगा, क्या मस्त लग रही थी? फिर हम फिल्म देखने लगे और बीस मिनट बाद आंटी हमारे लिए चाय और स्नेक्स लेकर आई और वो भी हम लोगों के साथ बैठ गई और मुझसे कहने लगी लो बेटा चाय पियो और अब हम दोनों अपनी अपनी चाय अपने हाथ में लेकर स्नेक्स खाने लगे। फिर आंटी ने मुझसे पूछा कि राजा तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?
में : जी आंटी बहुत अच्छी चल रही है।
आंटी : क्यों आज कल तुम घर पर आते नहीं हो?
में : आंटी पेपर है तो ज़्यादा समय नहीं निकल पाता इसलिए।
आंटी : हाँ बेटा अच्छी बात है और अपनी पढ़ाई में ज्यादा से ज्यादा मन लगाकर पढ़ाई करो।
में : अरे यार राकेश तेरा जन्मदिन भी तीन दिन बाद है क्यों मनाएगा ना?
राकेश : यार तू तो अच्छी तरह से जानता है कि इस समय पापा घर पर नहीं है तो बहुत मुश्किल है।
में : देख में कुछ नहीं जानता मुझे तो पार्टी चाहिए।
राकेश : यार, लेकिन।
में : में लेकिन वेकिन कुछ नहीं जानता, में तेरे घर आ जाऊंगा और फिर में, आंटी और तू मज़े करेंगे, क्यों आंटी मैंने ठीक कहा ना?
आंटी : हंसते हुए बोली कि हाँ ठीक है में खाना बना लूँगी।
में : क्यों राकेश ठीक रहा ना?
राकेश : हाँ ठीक है यार।
में : अब यार में चलता हूँ जन्मदिन पर आ जाऊंगा, ठीक है आंटी नमस्ते।
आंटी : ठीक है बेटा नमस्ते।
अब में अपने घर के लिए निकल लिया। मैंने बाहर राकेश को बोला कि यार तू बिल्कुल भी फ़िक्र मत कर, में अपने साथ विस्की ले आऊंगा।
राकेश : यार माँ के सामने तू क्या मुझे मरवाएगा?
में : यार उसकी फ़िक्र तू मत कर, आंटी को में मना लूँगा, ठीक है बाय।
राकेश : ठीक है बाय।
फिर में अपने घर पर चला आया और में अपने घर पर आकर बस उसकी माँ को चोदने के बारे में सोच रहा था कि में उसे कैसे चोदूँ और बहुत सोचने के बाद मुझे उसके जन्मदिन पर वो मौका मिल रहा था और वो सब सोचते सोचते में ना जाने कब सो गया। फिर उसके जन्मदिन के दिन मैंने राकेश को फोन करके जन्मदिन की बधाईयाँ दे दी और मैंने उससे पार्टी का समय पूछा तो वो मुझसे बोला कि तुम शाम को 7 बजे आ जाना। फिर में बोला कि ठीक है और मैंने फोन कटकर दिया। दोस्तों उसकी माँ को सोचकर ही सारा दिन लंड खड़ा होता रहा। में तीन बजे घर से बाजार चला गया और मैंने राकेश के लिए एक शर्ट खरीद ली। उसके बाद मैंने एक वाईन शॉप से एक विस्की की फुल बोतल ली और फिर मैंने मेडिकल स्टोर से एक कंडोम का पेकेट भी ले लिया और अब अपने घर पर आकर में तैयार होने लगा, में आज बहुत खुश था और डियो लगाकर में राकेश के घर के लिए निकल गया और उसके घर पर ठीक समय पर पहुंच गया। फिर उसकी माँ ने दरवाजा खोल दिया और मैंने उनसे हैल्लो आंटी कहा।
आंटी : हैल्लो बेटा, चलो अंदर आ जाओ।
में : क्या आंटी आप अभी तक तैयार नहीं हुई?
आंटी : तैयार क्या होना बेटा तुम लोग जन्मदिन मना लेना।
में : आंटी जन्मदिन तो जन्मदिन है ना और अब आपको भी हमारे साथ मनाना होगा, प्लीज आप अब तैयार हो लीजिए।
आंटी : ठीक है बेटा तुम बैठो, राकेश अपने रूम में है और कहते हो तो में भी अभी तैयार होकर आती हूँ।
दोस्तों अब आंटी अपने रूम में चली गई और में राकेश के रूम में।
में : जन्मदिन मुबारक हो राकेश।
राकेश : मेरे गले लग गया और उसने मुझे धन्यवाद बोला।
में : मैंने उसे गिफ्ट वाली शर्ट दे दी और उससे तैयार होने को बोला और अब वो भी तैयार होने लगा। फिर मैंने उससे कहा कि राकेश देख में तेरी पसंद की ब्रांड विस्की लेकर आया हूँ तो वो उसे देखकर बहुत खुश हुआ और अब हम तैयार होकर हॉल में पहुंच गये और आंटी का इंतजार करने लगे।
में : यार राकेश जन्मदिन पर तो गाना जरुर होना चाहिए ना।
राकेश : हाँ यार रुक में अभी लगाता हूँ।
 तभी मेरी नज़र आंटी पर पड़ी, वो क्या लग रही थी उस नीले कलर की जालीदार साड़ी में बहुत हॉट, सेक्सी और उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी तो उनके बूब्स हिलते हुए बहुत मस्त लग रहे थे, उन्हें देखकर मेरा मन कर रहा था, उनसे चिपककर एक किस कर लूँ, लेकिन मैंने मन को कंट्रोल किया और फिर मैंने उनसे कहा कि वाह आंटी आप तो बहुत सुंदर दिख रही हो।
आंटी : थोड़ा शरमाते हुए धन्यवाद बेटा, तुम लोग क्या कर रहे हो?
में : आंटी, गाने लगा रहा हूँ।
आंटी : ठीक है तो में तुम दोनों के लिए कोल्डड्रिंक्स लेकर आती हूँ और आंटी जाने लगी।
दोस्तों उनका ब्लाउज पूरा खुला हुआ था और उसमें से उनकी कमर बहुत सेक्सी लग रही थी और उनकी वो मटकती हुई गांड देखकर में और भी पागल हो रहा था, में बस यही सोच रहा था कि अगर आज रात उसे चोद लूँ तो मज़ा आ जाए। फिर अचानक गाना शुरू हुआ तो में अपनी उस सोच से बाहर आया और हम बातें करने लगे। फिर आंटी कोल्ड ड्रिंक्स लेकर आई और फिर से जाने लगी तो में उन्हें रोकते हुए बोला कि आंटी आप कहाँ जा रही है प्लीज कुछ देर हमारे पास भी बैठिए ना?
आंटी : बेटा तुम दोनों अपना काम करो और में खाना तैयार करती हूँ।
में : आंटी आप भी हमारे साथ पार्टी में शामिल हो तो इसलिए आपको भी बैठना पड़ेगा क्यों राकेश?
राकेश : हाँ माँ बैठो ना।
आंटी : ठीक है बेटा तुम कहते हो तो में भी बैठ जाती हूँ।
दोस्तों अब आंटी हमारे सामने बैठ गई और मैंने सबको कोल्ड ड्रिंक दे दी और फिर हम तीनों ने चियर्स किया और कोल्ड ड्रिंक पीकर बातें करने लगे। तभी राकेश मुझसे बहुत धीरे से बोला कि यार अब माँ को ड्रिंक के लिए कैसे मनाएँगे? दोस्तों वो मुझसे बिल्कुल चिपककर बैठा हुआ था और गाने चलने की वजह से सिर्फ में उसकी वो सभी बातें सुन रहा था।
में : रुक में अभी उनसे बात करता हूँ।
फिर में आंटी से बोला कि आंटी आज जन्मदिन है और आज के दिन अगर हम आपसे कुछ भी मांगे तो आप हमे मना नहीं करोगी।
आंटी : हाँ बेटा बोलो तुम्हें ऐसा क्या चाहिए?
में : आंटी क्या हम ड्रिंक कर सकते है?
आंटी : थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली कि ऐसा बिल्कुल नहीं, कुछ हो जाएगा तो और वैसे भी पीना शरीर के लिए बहुत खराब होता है।
में : हाँ आंटी हमे पता है, लेकिन सिर्फ आज के दिन, प्लीज़ आंटी ऐसा कुछ नहीं होगा, बस आज के लिए प्लीज आंटी।
आंटी : नाख़ूशी से बोली ठीक, लेकिन ज़्यादा नहीं पीना और अब में खाना बनाने जा रही हूँ।
अब आंटी किचन में चली गई और इधर हम दोनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। फिर मैंने बोतल बाहर निकाली और दो पेग बनाए और चियर्स करके पीने लगे, राकेश को विस्की से जल्दी नशा हो जाता था और यह बात मुझे पहले से ही पता थी तो इसलिए मैंने उसे जानबूझ कर पहला भारी पेक दे दी और खुद भी लेने लगा, हम लोग को पीते हुए करीब 45 मिनट हो चुके थे और हम दोनों को शराब का असर शुरू हो चुका था और हमने आधी बोतल ख़त्म कर ली थी। फिर मैंने राकेश से बोला कि चल यार अब थोड़ा डांस करते है और मैंने एक अच्छा सा गाना लगा दिया और हम दोनों डांस करने लगे। तभी आंटी आई और उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा खाना बन गया है, में लगा देती हूँ और तुम आकर खा लो।
में : आंटी अभी तो हम नाचने लगे है प्लीज आप भी आ जाईए।
आंटी : नहीं बेटा, में अब अपने कमरे में जा रही हूँ।
में : प्लीज आंटी आइए ना।
अब आंटी मेरे बहुत बार कहने पर बैठ गई और राकेश को अब ज़्यादा हो ही रही थी तो वो थोड़ी देर डांस करने के बाद सोफे पर बैठ गया। फिर में आंटी के पास चला गया और मैंने उन्हें डांस करने को कहा, लेकिन आंटी बोली कि नहीं बेटा तुम करो, में यह सब नहीं करूँगी। फिर मैंने उनसे आग्रह किया प्लीज आंटी करिए ना और थोड़ी देर ना के बाद वो अब मान गई। फिर मैंने उनका हाथ पकड़कर उन्हें खड़ा किया और अब हम दोनों डांस करने लगे और मैंने देखा कि राकेश को ज़्यादा नशा होने की वजह से वो अपनी दोनों आखें बंद करके बैठा रहा। अब मैंने एक रोमेंटिक गाना चला दिया और आंटी को डांस करने के लिए कहा, पहले तो वो मना करने लगी, लेकिन बाद में मेरे बहुत बार ज़िद करने पर वो मान गई। मैंने एक हाथ से उनका मुलायम हाथ पकड़ा और अपना एक हाथ उनकी पतली, गरम कमर पर रख दिया और अब हम डांस करने लगे। फिर मैंने महसूस किया कि आंटी थोड़ा शरमा रही थी। फिर मैंने आंटी से पूछा कि आंटी आप ऐसे घबरा क्यों रही हो? आंटी बोली कि बेटा मैंने कभी ऐसे डांस नहीं किया और अब में समझ गया कि यह चुद जरुर जाएगी, लेकिन आसानी से नहीं और मुझे थोड़ी मेहनत करनी होगी। फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी शरमाना कैसा? वैसे भी आप आज इस साड़ी में बहुत हॉट, सेक्सी लग रही हो और में मुस्कुरा दिया। फिर आंटी शरमाते हुए कहने लगी धत बदमाश, में अब खुद को आंटी से और भी सटाने लगा, जिसकी वजह से अब उनके बूब्स मेरी छाती के बिल्कुल पास थे और मेरा लंड भी अब जागने लगा। फिर मैंने आंटी से कहा कि आंटी आप सही में बहुत सुंदर और सेक्सी हो और में आपको बहुत पसंद करता हूँ, लेकिन में आपसे ना जाने क्यों यह बात कहने से डरता हूँ। दोस्तों आंटी मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम से चुप हो गई और मुझे देखने लगी। मैंने धीरे से उन्हें और सटाकर बोला कि आंटी में आपसे बहुत प्यार करता हूँ और अब में एक हाथ से उनकी चूतड़ पर सहलाने लगा, आंटी मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि तुम अभी अपने पूरे होश में नहीं हो राजा प्लीज छोड़ दो मुझे, वरना राकेश देख लेगा।
फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठो पर रख दिए और चूमने, चूसने लगा, उम्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह उम्म्म अह्ह्ह्ह दोस्तों वाह क्या होंठ थे उनके और वो मुझसे लगातार छूटने की कोशिश करती रही, लेकिन में अब उन्हें ऐसे छोड़ने वाला नहीं था और में उन्हें लगातार किस करता रहा और उनकी गांड को सहलाता रहा। अब उनकी सांसे भी बहुत तेज़ हो गई थी और उन्होंने किसी तरह अपने आपको मुझसे छुड़ाया और फिर दूर हट गई और गुस्से से बोली क्यों तुम अपने होश में हो? फिर में बोला कि आंटी प्लीज मुझे माफ़ करना, लेकिन आपको देखकर में कंट्रोल नहीं कर पाया। तभी राकेश भी उठ गया और उसने पूछा कि क्या हुआ? आंटी ने कहा कि कुछ नहीं चलो खाना खा लो। फिर राकेश ने कहा कि उसे इस समय भूख नहीं बहुत नींद आ रही है। फिर आंटी और में उसे पकड़कर कमरे तक ले गये और लेटा दिया, कमरे से बाहर आकर आंटी ने कहा कि तुम बैठो में तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ।
दोस्तों आंटी उस समय बहुत गुस्से में थी और अब मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। फिर भी में किचन में चला गया और उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और मैंने उनसे कहने लगा कि प्लीज आंटी मुझे माफ़ कर दो, लेकिन में आपको दिल से बहुत पसंद करता हूँ और आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। अब आंटी कुछ नहीं बोली बस आश्चर्यचकित होकर देखती रही और मैंने इस बात का फायदा उठाते हुए उन्हें पीछे से पकड़कर उनकी कमर को चूमने लगा उम्म्म अह्ह्ह्ह उम्म्म तो आंटी मेरा विरोध करने लगी और मुझसे कहने लगी कि नहीं, प्लीज राजा छोड़ो मुझे, तुम यह क्या कर रहे हो? लेकिन मैंने उनकी एक भी बात ना सुनी और मैंने अपने हाथ उनके बूब्स पर रख दिए और उनके बूब्स दबाते हुए उनकी गर्दन पर किस करने लगा उम्म्म उम्म अह्ह्ह में आपसे बहुत प्यार करता हूँ आंटी उम्म्म में आपको चोदना चाहता हूँ। दोस्तों बूब्स दबाने से आंटी तेज़ी से सिसकियाँ ले रही थी, अह्ह्ह्ह उह्ह्ह प्लीज राजा छोड़ो मुझे, थोड़ा होश में आओ, एम्म्म आह राजा, अब में बूब्स दबाता रहा और फिर मैंने उन्हें बिल्कुल सीधा किया और उनके होंठो को चूसने लगा उम्म्म एम्म उम्म्म आंटी उम्म्म उम्म्म। अब उनकी धड़कने बहुत तेज़ होती जा रही थी और अब उनका विरोध भी धीरे धीरे कम हो रहा था और में उनके बूब्स के ऊपर किस करने लगा और मैंने उनका पल्लू नीचे गिरा दिया, इसस्सस्स राजा प्लीज छोड़ो उम्म्म्म अह्ह्ह्हह राजा, राकेश देख लेगा, उह्ह्ह्ह। अब वो भी धीरे धीरे गरम होने लगी थी। फिर मैंने किस करते हुए उनके ब्लाउज को खोल दिया और उतारकर फेंक दिया और अब उनके बूब्स को दबाते हुए किस करने लगा, अह्ह्ह्ह राजा प्लीज ऐसा मत करो, अह्ह्ह्हह उईईइ प्लीज राजा छोड़ दो आअहहअया। में बस अब उन्हें चोदना चाहता था और मैंने बिना देर किए उनकी साड़ी और पेटीकोट को नीचे सरका दिया और उनकी गांड और बूब्स को दबाते हुए किस करने लगा, आह्ह राजा बस करो उम्म्म उईईइ अह्ह्ह्ह राजा प्लीज छोड़ो मुझे अह्ह्ह्ह राजा।
अब में अपने होंठो को बूब्स पर रखकर बूब्स चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से निचोड़ने लगा और अब वो पागल होने लगी उम्म्म उम्म्म उहहहह उहह में तेज़ी से बूब्स को दबाकर उन्हें चूस रहा था। दोस्तों वाह क्या मस्त बूब्स थे, उस साली को मज़ा आ गया और वो अब मस्ती में आकर चुसवा रही थी और सिसकियाँ ले रही थी, आह्ह्ह्हह आईईईई राजा दर्द हो रहा है प्लीज अउईईइ बस करो, लेकिन में नहीं रुका और मैंने एक हाथ उसकी कम बालों वाली चूत पर रख दिया और मेरा हाथ लगते ही वो तेज़ से चिल्लाई उफ्फ्फ्फ़ राजा प्लीज अब बस छोड़ दो मुझे अह्ह्ह्ह। फिर मैंने तुरंत अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिए और अब में उसकी चूत को सहलाने लगा, वो अब बहुत गरम हो चुकी थी। फिर मैंने नीचे जाकर अपनी जीभ उसकी चूत में लगाकर उसकी चूत को चाटने लगा तो वो आह्ह्ह्ह राजा उईईइ बस करो, में अब सह नहीं पा रही हूँ, अह्ह्ह राजा आअउहह। वाह दोस्तों क्या मस्त स्वाद था उसकी चूत का। में अब अपनी पूरी जीभ को चूत के अंदर डालकर चूसने लगा, आह्ह्ह्ह राजा उहह उम्म्म उम्म्म और अब उसका एक हाथ मेरा सर उसकी चूत में दबा रहा था और मैंने ज़्यादा देर करना ठीक ना समझते हुए सारे कपड़े उतार दिए और उसका एक पैर हाथ से उठाकर उसको किस करने लगा, उम्म्म उह्ह्ह्ह अब मैंने महसूस किया कि उसकी सिसकियों की आवाज दब गई है।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहं से सटाकर एक ज़ोर का झटका मारा और मेरा पूरा लंड उसकी गीली चूत में फिसलता हुआ समा गया और उस ज़ोर के धक्के की वजह से उसने तेज़ी से चिल्लाते हुए अपनी दोनों आखों को बंद कर लिया, आह्ह्ह्ह राजा प्लीज बाहर निकालो इसे, मुझे बहुत दर्द हो रहा है ईससस्स अह्ह्ह्हह प्लीज अब बस करो, लेकिन में अब सुनने वाला नहीं था और में उसे तेज़ी से धक्के देकर चोदने लगा और वो आँख बंद किए हुए सिसकियाँ भरती रही, आआअहह आअहह उफ्फ्फ्फ़ राजा बस करो प्लीज आईईईइ अब नहीं। फिर में उसके होंठ चूसते हुए अपना लंड और स्पीड से लगातार अंदर बाहर करता रहा और वो आँख बंद किए चुदवाती रही। दोस्तों में आपको बता नहीं सकता उसकी चूत में क्या मस्त लंड जा रहा था? में अब उसे गोद में उठाकर तेज़ी से धक्के देकर चोदने लगा और वो मेरे कंधे पकड़कर मस्ती में चुदवाने लगी, उईईइ आआहह राजा बस उम्म्म बहुत दर्द हो रहा है आआहह। दोस्तों में उसे लगातार धक्के देकर चोद रहा था और फिर मैंने उसे किचन की अलमारी में बैठा दिया और चोदने लगा और हर धक्के से उसके बूब्स ज़ोर से हिल रहे थे और उसकी सिसकियाँ मुझे जानवर बना रही थी, अअयाउहह उम्म्म उम्म इससस्स। अब उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ाने लगी तो में तुरंत समझ गया कि यह अब झड़ने वाली है और मैंने भी अपनी स्पीड को तेज़ कर दिया और चोदता रहा, आह्ह्ह्हह राजा अउईईइ माँ में गई, आआहह इससस्स अयाआहह और फिर वो झड़ गई और में भी साथ में झड़ गया और थककर पास में खड़ा हो गया, वो अपने बाल ठीक करते हुए अपना सर नीचे करके बैठी रही। फिर मैंने उससे कहा कि आंटी मुझे माफ़ करना, लेकिन में आपको बहुत पसंद करता हूँ तो इसलिए में खुद को रोक नहीं पाया। फिर वो मुझसे बिना कुछ बोले अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में चली गई और में चुपचाप हॉल में जाकर बैठ गया। फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अपने रूम से आवाज़ देकर बुलाया तो में उनके रूम के बाहर जाकर खड़ा हो गया और उन्होंने मुझसे अंदर आने को बोला और अब वो दरवाजा बंद करके मुझसे लिपट गई। फिर वो बोली कि तुम बहुत अच्छे हो राजा, आज तुमने मुझे चोदकर बहुत ख़ुशी दी है और में कई दिनों बाद मुझे किसी ने इतना जमकर चोदा है और वो मुझे किस करने लगी। फिर में भी उनको किस करने लगा और उस रात हमने तीन बार चुदाई की और थककर सो गए। सुबह में अपने घर चला आया और अब जब भी समय मिलता है तो हम चुदाई करते है 

नौकरानी और उसकी मौसी को चोद डाला

दोस्तों मै गवर्नमेंट का नौकर हूँ मेरा मतलब मै सरकारी नौकरी करता हूँ और राँची मे अकेला रहता हूँ. मैने मेरे घर पर सॉफ सफाई और खाना बनाने के लिए एक 25 वर्सिय सीमा नाम की नौकरानी को रखा था वो बहुत ही सेक्सी लगती थी. रंग सांवला था पर फेस काफ़ी सेक्सी लगता था, उसका बदन बहुत ही सुडोल है. वो सुबह 8 बजे आती थी और रात 9 बजे चली जाती थी. वो हमेशा घगरा और चोली पहन ती थी उसने घगरा और चोली पहनी हुई थी तो उसकी मोटी मोटी चुचियाँ एक दम सॉफ पता चल रही थी पीछे से उसके चुतड़ो का साइज़ भी समझ मे आ रहा था देखने से लगता था कि बहुत मोटे मोटे होंगे पर साइज़ का आइडिया नहीं लग पा रहा था. जब उसकी तबीयत खराब होती तो उसकी जगह उसकी मौसी मल्लिका घर पर काम करती थी मल्लिका 32 साल की उसकी तरह साँवली और सुडोल महिला थी. उसके भी बड़े बड़े चूतड़ और चुचियाँ थी. कभी कभी दोनो एक साथ काम करने मेरे घर आते थे. यह घटना सनिवार की है उस दिन मेरे दफ़्तर की च्छुटी रहती है सीमा सुबह करीब 8 बजे घर आई और मेरे लिए चाइ बनाकर लाई आज वो काफ़ी सेक्सी दिख रही थी मैं फ्रेश होकर नास्टा करके टीवी देखने लगा वो खाना बना रही थी करीब 12:30 मैने विश्की का पेग बना कर पीनी लगा इतने मे सीमा कमरे मे आकर मुझे खाना खाने के लिए बुलाया. हम दोनो खाना खा लिया और मैं टीवी देखने लगा वो बर्तन सॉफ करने लगी फिर वो कमरे मे आकर बैठ गयी और टीवी देखने लगी. जब टीवी पर आड़ आरहा था तब मैने उसके परिवार के बारे मे पुछा तो उसने बताया कि उसका घर गाव मे है उसके पिता गाव के मुखिया के यहाँ घरलू नौकर है 7 साल पहले ही उसका पति मर गया था. उसके सिर्फ़ एक ही लड़का है और वो उसके पिता के पास गाव मे है और वो यहाँ काम करती है. फिर उसने पूछा साहब आप ने शादी नही की ? मैने कहा नहीं तो वो हल्के से मुस्करा कर बोली मंन नहीं करता शादी करने का मैंने कहा करता तो है पर अभी तो मुझे घर को अच्छी तरह से बसाना है | उसके बाद सोचूँगा तो उसने पूछा कि कोई लड़की है क्या जिस से शादी करना चाहते हो मैंने कहा नहीं अभी तो कोई नहीं है. तो वो हैरान हो कर बोली कि तुम्हारी उमर मे तो यहाँ शहर मे सब लड़के लड़कियों के साथ घूमते हैं और तुम्हारी कोई दोस्त नहीं है. मैंने कहा हां सच मे कोई नहीं है. मैं बात करते हुए उसके बदन को भी देख लेता था स्पेशली उसकी चुचियों को ध्यान से देख रहा था. एक बार उसने मुझे उसकी चुचियों को देखते हुए देख लिया पर वो कुछ नहीं बोली. फिर वो वहीं ज़मीन पर बैठे बैठे टीवी देख रही थी टीवी देखते देखते मुझे कब नींद लगी पता नहीं चला जब नींद खुली तो 4 बज रहे थे मैने देखा कि वो भी पेट के बल लेट कर सो रही थी और गहरी नींद मे थी उसका घगरा उसके चुतड़ो से उपर सरक गया था मैने ध्यान से उसके चूतड़ को देखा तो हाई क्या गजब के मोटे थे उसने पॅंटी नहीं पहनी थी बहुत ही मस्त चुदास लग रहे थे उसके चूतड़ देखते ही मेरे लंड ने कस कर झटका मारा और तन गया. खेर हिम्मत करके मैने उसके चूतड़ पर हाथ रखा वो कोई भी हरकत किए बिने पड़ी रही मेरी और हिम्मत बढ़ी मैने उसके चुतड़ो को मसल्ने लगा और उसकी गंद की दरार मे बीच की उंगली से सहलाने लगा तो उसने अपनी गांड सिकोड ली मैं समझ गया कि वो जाग चुकी है और सोने का नाटक कर रही है उसकी साँसे लंबी चल ने लगी अब मे समझ गया था आज यह अच्छे से मुझसे चुदवायेगी मे भी अब खूब ज़ोर ज़ोर से मसल्ने और सहलाने लगा वो ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी उसके सिसकने की आवाज़ सुन कर मुझे और भी जोश आ रहा था मैने उसके बाए हाथ की हथेली को लूंघी के उपर से लंड पर महसूस किया मैने झट से अपना लंड निकाल कर उसकी मुति मे पकड़ा दिया और उसके कान के पास धीमी आवाज़ से बोलो सीमा कितनी अच्छी गंद है तुम्हारी वो भी धीमी आवाज़ मे बोली साहब आप का भी बहुत बड़ा और लंबा है मैं बोला तो मज़ा ले इस मोटे और लंबे लॅंड से वो बोली हां साहब बस ऐसे ही बातें करते हुए मुझे चोद दो कब से तरस रही हूँ मेरा मर्द भी जल्दी मर गया और मै ठीक से मज़े भी नहीं ले पाई अब तुम ही मेरी प्यास मिटा दो बना दो मुझे रंडी और ले लो इस चूत और गांड का मज़ा हीईीईईई काश मे सच मे रंडी होती तो रोज जम के चुदति नये लंडो से खूब मज़े ले ले कर सीईईईईईई उईईईईईई माआआआअ और कस के मस्लो मेरे चूतद्द्द्द्द्द्द्दद्ड को ही ले लो मज़ा मेरे बदन का मैने कहा साली अगर सच मे तुझको काफ़ी लंड चाहिए तो बता मेरे दोस्त हैं काफ़ी उन सबके दिला दूँगा तो वो बोली सच मेरे साहब मे तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलॉंगी अगर तुम मुझको सच मे रंडी बना कर चुद्वा दो मैने उसके चुतड़ो को और कस कर मसल्ते हुवे कहा करा दूँगा मेरी रानी पूरे मज़े करा दूँगा और कस के उसके चूतड़ पर काट लिया वो और तेज़ी से सिसक पड़ी हीईीईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईईईईईई मरररर गयी ए हीईीई माआआअररर डाआाआला क्या मज़ा ले रहा है मेरे चूतद्ड्डों का हीईीईईई और क़ास्स्स्स्सस्स के मसल ना, फाड़ डाल इन साले हरमियों को देख बहुत मचलते हैं ये साले उईईईईईईइमाआआआआ मजाआाआ आ गय्ाआआआअ काट डाल साले माधरचोद हीईीईई सीईईईईई चूस ले पेल दे हीईीईईई रीईई और क़ास्स्स्स्स्स्सस्स क्ीईईई आआआआआआअ. अब मैं धीरे धीरे उसके चुतड़ो से उपर की ओर होने लगा और उसके उपर लेट गया फिर मैने कहा कि साली रांड़ अब ज़रा पलट जा देखू तो सही कि तेरी ये चुचियाँ कितनी मोटी हैं मैं ज़रा इनका असली साइज़ तो देख लूँ तो वो पलट गयी अब मैंने उसकी चोली के उपर से उसकी मोटी मोटी चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया वाक़ई मे काफ़ी गजब की चुचियाँ थी उसकी बहुत ही मोटी थी मैंने उसका साइज़ पूछा तो वो बोली दबाने के लिए साइज़ की क्या ज़रूरत तो मैंने कहा नहीं मेरी जान तेरे लिए कल बाज़ार से ब्रा और पॅंटी ले कर आऊंगा फिर वो बोली ठीक है तो गुलाबी रंग की लाना तो मैंने कहा की ठीक है |

दोस्तों मै गवर्नमेंट का नौकर हूँ मेरा मतलब मै सरकारी नौकरी करता हूँ और राँची मे अकेला रहता हूँ. मैने मेरे घर पर सॉफ सफाई और खाना बनाने के लिए एक 25 वर्सिय सीमा नाम की नौकरानी को रखा था वो बहुत ही सेक्सी लगती थी. रंग सांवला था पर फेस काफ़ी सेक्सी लगता था, उसका बदन बहुत ही सुडोल है. वो सुबह 8 बजे आती थी और रात 9 बजे चली जाती थी. वो हमेशा घगरा और चोली पहन ती थी उसने घगरा और चोली पहनी हुई थी तो उसकी मोटी मोटी चुचियाँ एक दम सॉफ पता चल रही थी पीछे से उसके चुतड़ो का साइज़ भी समझ मे आ रहा था देखने से लगता था कि बहुत मोटे मोटे होंगे पर साइज़ का आइडिया नहीं लग पा रहा था. जब उसकी तबीयत खराब होती तो उसकी जगह उसकी मौसी मल्लिका घर पर काम करती थी मल्लिका 32 साल की उसकी तरह साँवली और सुडोल महिला थी. उसके भी बड़े बड़े चूतड़ और चुचियाँ थी. कभी कभी दोनो एक साथ काम करने मेरे घर आते थे. यह घटना सनिवार की है उस दिन मेरे दफ़्तर की च्छुटी रहती है सीमा सुबह करीब 8 बजे घर आई और मेरे लिए चाइ बनाकर लाई आज वो काफ़ी सेक्सी दिख रही थी मैं फ्रेश होकर नास्टा करके टीवी देखने लगा वो खाना बना रही थी करीब 12:30 मैने विश्की का पेग बना कर पीनी लगा इतने मे सीमा कमरे मे आकर मुझे खाना खाने के लिए बुलाया. हम दोनो खाना खा लिया और मैं टीवी देखने लगा वो बर्तन सॉफ करने लगी फिर वो कमरे मे आकर बैठ गयी और टीवी देखने लगी. जब टीवी पर आड़ आरहा था तब मैने उसके परिवार के बारे मे पुछा तो उसने बताया कि उसका घर गाव मे है उसके पिता गाव के मुखिया के यहाँ घरलू नौकर है 7 साल पहले ही उसका पति मर गया था. उसके सिर्फ़ एक ही लड़का है और वो उसके पिता के पास गाव मे है और वो यहाँ काम करती है. फिर उसने पूछा साहब आप ने शादी नही की ? मैने कहा नहीं तो वो हल्के से मुस्करा कर बोली मंन नहीं करता शादी करने का मैंने कहा करता तो है पर अभी तो मुझे घर को अच्छी तरह से बसाना है | आप यह कहाँ  उसके बाद सोचूँगा तो उसने पूछा कि कोई लड़की है क्या जिस से शादी करना चाहते हो मैंने कहा नहीं अभी तो कोई नहीं है. तो वो हैरान हो कर बोली कि तुम्हारी उमर मे तो यहाँ शहर मे सब लड़के लड़कियों के साथ घूमते हैं और तुम्हारी कोई दोस्त नहीं है. मैंने कहा हां सच मे कोई नहीं है. मैं बात करते हुए उसके बदन को भी देख लेता था स्पेशली उसकी चुचियों को ध्यान से देख रहा था. एक बार उसने मुझे उसकी चुचियों को देखते हुए देख लिया पर वो कुछ नहीं बोली. फिर वो वहीं ज़मीन पर बैठे बैठे टीवी देख रही थी टीवी देखते देखते मुझे कब नींद लगी पता नहीं चला जब नींद खुली तो 4 बज रहे थे मैने देखा कि वो भी पेट के बल लेट कर सो रही थी और गहरी नींद मे थी उसका घगरा उसके चुतड़ो से उपर सरक गया था मैने ध्यान से उसके चूतड़ को देखा तो हाई क्या गजब के मोटे थे उसने पॅंटी नहीं पहनी थी बहुत ही मस्त चुदास लग रहे थे उसके चूतड़ देखते ही मेरे लंड ने कस कर झटका मारा और तन गया. खेर हिम्मत करके मैने उसके चूतड़ पर हाथ रखा वो कोई भी हरकत किए बिने पड़ी रही मेरी और हिम्मत बढ़ी मैने उसके चुतड़ो को मसल्ने लगा और उसकी गंद की दरार मे बीच की उंगली से सहलाने लगा तो उसने अपनी गांड सिकोड ली मैं समझ गया कि वो जाग चुकी है और सोने का नाटक कर रही है उसकी साँसे लंबी चल ने लगी अब मे समझ गया था आज यह अच्छे से मुझसे चुदवायेगी मे भी अब खूब ज़ोर ज़ोर से मसल्ने और सहलाने लगा वो ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी उसके सिसकने की आवाज़ सुन कर मुझे और भी जोश आ रहा था मैने उसके बाए हाथ की हथेली को लूंघी के उपर से लंड पर महसूस किया मैने झट से अपना लंड निकाल कर उसकी मुति मे पकड़ा दिया और उसके कान के पास धीमी आवाज़ से बोलो सीमा कितनी अच्छी गंद है तुम्हारी वो भी धीमी आवाज़ मे बोली साहब आप का भी बहुत बड़ा और लंबा है मैं बोला तो मज़ा ले इस मोटे और लंबे लॅंड से वो बोली हां साहब बस ऐसे ही बातें करते हुए मुझे चोद दो कब से तरस रही हूँ मेरा मर्द भी जल्दी मर गया और मै ठीक से मज़े भी नहीं ले पाई अब तुम ही मेरी प्यास मिटा दो बना दो मुझे रंडी और ले लो इस चूत और गांड का मज़ा हीईीईईई काश मे सच मे रंडी होती तो रोज जम के चुदति नये लंडो से खूब मज़े ले ले कर सीईईईईईई उईईईईईई माआआआअ और कस के मस्लो मेरे चूतद्द्द्द्द्द्द्दद्ड को ही ले लो मज़ा मेरे बदन का मैने कहा साली अगर सच मे तुझको काफ़ी लंड चाहिए तो बता मेरे दोस्त हैं काफ़ी उन सबके दिला दूँगा तो वो बोली सच मेरे साहब मे तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलॉंगी अगर तुम मुझको सच मे रंडी बना कर चुद्वा दो मैने उसके चुतड़ो को और कस कर मसल्ते हुवे कहा करा दूँगा मेरी रानी पूरे मज़े करा दूँगा और कस के उसके चूतड़ पर काट लिया वो और तेज़ी से सिसक पड़ी हीईीईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईईईईईई मरररर गयी ए हीईीई माआआअररर डाआाआला क्या मज़ा ले रहा है मेरे चूतद्ड्डों का हीईीईईई और क़ास्स्स्स्सस्स के मसल ना, फाड़ डाल इन साले हरमियों को देख बहुत मचलते हैं ये साले उईईईईईईइमाआआआआ मजाआाआ आ गय्ाआआआअ काट डाल साले माधरचोद हीईीईई सीईईईईई चूस ले पेल दे हीईीईईई रीईई और क़ास्स्स्स्स्स्सस्स क्ीईईई आआआआआआअ. अब मैं धीरे धीरे उसके चुतड़ो से उपर की ओर होने लगा और उसके उपर लेट गया फिर मैने कहा कि साली रांड़ अब ज़रा पलट जा देखू तो सही कि तेरी ये चुचियाँ कितनी मोटी हैं मैं ज़रा इनका असली साइज़ तो देख लूँ तो वो पलट गयी अब मैंने उसकी चोली के उपर से उसकी मोटी मोटी चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया वाक़ई मे काफ़ी गजब की चुचियाँ थी उसकी बहुत ही मोटी थी मैंने उसका साइज़ पूछा तो वो बोली दबाने के लिए साइज़ की क्या ज़रूरत तो मैंने कहा नहीं मेरी जान तेरे लिए कल बाज़ार से ब्रा और पॅंटी ले कर आऊंगा फिर वो बोली ठीक है तो गुलाबी रंग की लाना तो मैंने कहा की ठीक है |
फिर उसने साइज़ बताया चुचियों का साइज़ 38 और गांड का साइज़ 40 था सुन कर मुझे मज़ा आ गया मैंने कहा तभी साली इतना मज़ा आ रहा था तेरे चूतड़ दबाने मे फिर मैंने उसकी चुचियों को और कस कर मसलना और सहलाना शुरू कर दिया वो अभी भी सिसक रही थी मैंने उसकी चोली के हुक खोल दिए और उसकी चोली को उतार कर चुचियों को आज़ाद कर दिया उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी उसकी चुचियाँ फुदाक कर बाहर आ गयी वाहह क्या मस्त माल थी साली पूरी चुड़क्कड़ लग रही थी माधरचोद मै जोश मे आ गया और कस कस कर उसकी एक चुचि को मसल्ने लगा और दूसरी को चूसने लगा वो और ज़ोर से सिसकने लगी हीईीईईईईईई मेरे राजा क्या मज़ा ले रहे हो तुम सच मे तुम मुझको रंडी बना दोगे हीईीईईई और क़ास्स्स्स्सस्स के दब्ाओ नाआआआअ हां ऐसे ही और जोर्र्र्र्र्र्ररर से सीईईईईईईईईईई हीईीईईईईईई उईईईईईईईई माआआआआअ मजाआाआआआ आ गय्ाआआआअ मसल डालो फाड़ डालो बहुत दर्द होता है इन सालियों मे रागडो इनको अच्छे सीईईईई सीईईईईईईईईईई उईईईईईईईईई मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रीईईई हीईीईईईईई ले लो मज़ा मेरी जवानी कााआअ हीईीईई रीईईई काट लो इनको हां ऐसे ही मै इन सब बातों को सुन कर और भी जोश मे आ रहा था और इसी जोश मे मैंने उसके निपल पर काट लिया तो वो ज़ोर से सिसक पड़ी हीईीईईईईई रीईई जालिम साले माधरचोद काट लिया पर कोई बात नहीं ऐसे ही करते रहो हीईीईईईई मै सुर कस कर रगड़ने लगा बोला साली कुतिया माधरचोद बहुत बड़ी रंडी है तू और तेरी मा को चोदू साली रांड़ फाड़ डालूँगा तेरी चूत और गांड बहुत मोटी कर रखी है भोसड़ी वाली तूने कुतिया हरम्जदि साली तो वो बोली बाबू हां ऐसे ही मज़े दे दो मुझको फाड़ डालो मेरी चूत और गांड कस के फिर मै नीचे होता हुआ उसकी चूत पर आ गया और उसको चाटने लगा अब तो वो बिल्कुल ही पागल हो गयी मस्त हो कर पता नहीं क्या क्या कहने लगी. साले माधरचोद ये क्या कर दिया बहुत मज़े ले रहा है तू तो मेरी जवानी के इतने तो मेरा पति भी 6 साल मे नहीं ले पाया हां साले बहन्चोद चूस और कस के हीईीईईईई मे मररर्र्र्र्ररर गाइिईईईईईई उईईईईईईईईईई माआआआआआआ खा जा साले माधरचोद सीईईईईईई उईईईईईईईईईई मीईईईई मारीईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईईईईईई बहुत मज़ा आ रहा है साले कुत्ते की तरह चाट रहा है तू तो बहुत मज़ा आ रहा हाईईईई हीईीईईई रीईईईई उईईईईईईईईईईई माआआअ बसस्स्स्स्स्स्स्सस्स अब नहीं सहा जाता साले चोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द मुझको. मैंने जोश मे आ कर एक कस कर चाँटा उसके चुतड़ो पर मारा और बोला साली मद्दरचोड़ कुतिया बहन की लोदी चुप चाप पड़ी रह और मुझे जो मन मे आए करने दे नहीं तो गांड फाड़ दूँगा तेरी वो बोली मेरे राजा मैने कब मना किया है ये चूत तुम्हारी है गांड और चुचियाँ भी तुम्हारी हैं जैसे चाहे मज़े ले लो अब मे और कस कस कर चूसने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी फिर मे उठा और अपने कपड़े उतार दिए तो मेरा मोटा लंबा लंड बाहर आ कर उच्छलने लगा. आप यह कहाँ वो देख कर खुस हो गयी और बोली आज तो मेरी चूत के भाग खुल गये जो ये मस्त लंड मिल रहा है मुझको फिर मैंने कहा कुतिया साली ज़्यादा बातें ना बना अब लंड चूस मेरा तो उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया अब मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था हीईीईईईईईई सलिइीईईई कुतियाआआ क्या मस्त चुउउउउउउउउस रही है तू मज़ा आ गया सलिइीई हीईीई सीईईईईईई और मस्त हो कर चूस साली रांड़ पूरी रंडी की तरह मज़े दे साली अब तो तुझे पक्का रंडी बनवा दूँगा अपने सारे दोस्तों के लंड से तेरी चूत पूरी तरह से फाट्वा दूँगा समझी हरम्जदि बहन की लोदी मादर चोद वो और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी अब मे और भी मस्त हो गया था मैंने कहा चल साली अब तू लेट जा अब मे तेरी चूत फाड़ूँगा तो वो बोली साहब पहला धक्का खूब ज़ोर से मारना ताकि मुझे बहुत कस के दर्द हो मै बहुत सालों से नहीं चुदी हूँ तो चूत भी टाइट हो गयी है जम कर चोद्ना मैंने कहा ठीक है और लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर लगा दिया और फिर अचानक कस के ईक जोरदार धक्का उसकी चूत मे लगा दिया वो ज़ोर से उच्छल पड़ी और बोली हीईीईईई मईए मररर्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईई फदद्ड़ डाला मेरिइईईई चुतत्त्टटटटतत्त को उईईईईईईई माआआआआ बचा ले हीईीईईईईईई मररर्र्र्ररर जाऊनगीइिईई सीईईईईईईईईईई फद्द्द्द्दद्ड दिया रीईईईई मै थोड़ी देर फिर वैसे ही लेटा रहा फिर जब वो थोड़ा शांत हुई तो एक और जोरदार धक्का लगा दिया इस बार वो और भी उपर को तन गयी हीईीईईईई मे मारीईईईईई सीईईईईईईईईईईईईई फट गयी रीईईई रनडिीईईई बना दिया रीईईई मुझको चोद दलाआअ रे हरम्जदे फाड़ दी मेरी चूत पेल दिया ये मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत मे. फिर मैंने एक और धक्का लगा कर पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया अब उसने थोड़ी राहत की साँस ली फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए और अब उसको भी मज़ा आने लगा था वो सिसकने लगी हीईीईईई सीईईईईईईई साले मज़ा आ गय्ाआअ उईईईईईईईई माआआआआ बहुत मज़ा आ रहा है हाई काश तुम पहले मिल गये होते तो मे इतना नहीं तड़पति लंड के लिए हीईीईईई मेरे हहाआआआअ फ़ाआआआआद मेरी चुउउउउउत को ले ले मज़ा उईईईईईईईईई डाइईईईईईईया पेल साले कूटे कमिने चोद जम के मुझको फाड़ दे मेरी चूत और ज़ोर से और ज़ोर से हां ऐसे ही कस कस के ही रीईईईईई सीईईईईईईईईईई उईईईईईईईईईईई माआआआअ मजाआा गय्ाआआआआआअ रीईई पेलूऊऊऊओ और जूऊओर से पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊ मेरे राजा मे तेरी रखेल हूँ जैसे चाहे मज़े ले ले मेरे साथ ही रीईई पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूओ और क़ास्स्स्सस्स के उईईईईईईयाअ हीईीईईईईईईईईईई ससिईईईईईईईईईईईईईईईईई कास्क्ीईईई जूऊऊर सीईईई मदरचूऊऊऊद चुउउउउउउउउउत फ़ाआआआआद मेरिइईईईईईईई कुतिया बना दीईईई मुझको, रनडिीईईईईईईईईई हूँ मे तेरीईईईइ सीईईईईईईई फ़ाआआआआद डीईईईईई रीईईई ज़ोर से चोद साले माधरचोद और कस के हरम्जदे पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल मुझको बना ले रंडी तेरे सारे दोस्तों का लंड लूँगी खूब मज़े दूँगी सबको हीईीईईई सीईईईईईईईईईईईई उईईईईईईईईईई माआआआआ साँसे चुद्वाने मे तो और भी मज़ा आएगाआआआ हीईीईई फत्त्तटटतत्त गाइिईईईईईईईईईईईई हीईीई रीईईई फ़ाआआाद्द्द्द्दद्ड डीईईई मेरिइईईईईईईईईई चुउउउउउउउउउत सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ले लो मज़े और ले लो अब मै भी बहुत कस कस के उसको पेल रहा था मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था मेरे लंड मे बहुत तेज गुदगुदी हो रही थी मेरा लंड अब पूरा अंदर जा कर बाहर आ रहा था और मे ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था उसकी चूत मे अब बहुत ज़ोर की गुदगुदी होने लगी और वो पागल सी होने लगी ही दिनो मे झड़ रही हूँ और क़ास्स्स्स्स्स्स्सस्स क्ीईए ईईईईईईईईईईईईई य्ाआआ उईईईई माआआआअ मज़ा आआ गय्ाआआआअ. अब उसकी चूत से मेरी चुदाई के कारण मस्त आवाज़ कर रही थी फॅक फॅक की आवाज़ बहुत ही अच्छी लग रही थी तभी वो कस के मुझसे चिपक गयी उसकी चूत का पानी निकल रहा था पर मेरा लंड अभी भी तना हुआ था और मे कस के धक्के लगा रहा था फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसको कहा साली छीनाल चल अब कुतिया की तरह खड़ी हो जा तो वो हाथ और घुटनो के बल खड़ी हो गयी अब मुझे उसकी गांड का छेद एक दम सॉफ दिख रहा था तो मैंने उससे कहा रानी अब मै तेरी गांड मारने जा रहा हूँ दर्द होगा ज़्यादा ज़ोर से मत चिल्लाना वो बोली ठीक है चोद लो मेरी गांड ले लो मज़े इन हरामी चुतड़ो के बहुत साले दुखते हैं मिटा दो आज इन की खुजली को मै इन बातों से जोश मे आ गया और अपने लॅंड को उसकी गांड से सटा कर और उसकी चुचियों को दोनो हाथो से कस कर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा मेरा लॅंड उसकी गांड फाड़ता हुआ उसकी अंदर घुस गया वो दर्द से बहाल हो गयी उईईईईई हीईीईईईईईई मै मर जाऊनगीइिईईई मेरिइईईइमाआआआअ मै मरीईईइ सीईईईईई फत्त्तटटटटतत्ट गयी मेरी गांड्द्द्द्द्दद्ड हीईीईईईई रीईईईई बहुत दर्द हो रहा है प्ल्ज़ निकाल लो मैंने कहा साली कुतिया बहन की लोदी चुप चाप चुद्वाती रह नहीं तो और कस के पेल दूँगा भोसड़ी वाली तुझको तो वो बोली मेरे राजा क्या करूँ बहुत दर्द हो रहा है मैंने कहा चुप साली मदर चोद और इसके साथ ही एक और जबरदस्त धक्का उसकी गांड मे लगा दिया वो उच्छल पड़ी वो तो मै उसके उपर था और मेरे दोनो हाथ मे उसकी चुचियाँ फसि हुई थी तो मेरा लंड उसकी गांड मे ही फसा रहा अब मैंने एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया वो अब रोने लगी बाबू मेरी गांड फट गयी है |रहने दो मै मर जाऊंगी तो मैंने उसकी गांड पे एक हाथ कस के मारा और बोला साली रंडी कुतिया कहा ना एक बार चुदवाती रह बस समझ मे नहीं आता है तेरे को और मे कस कस के उसके चुतड़ो की पिटाई करने लगा मै बहुत कस के मार रहा था उसके चुतड़ो पर तो वो और भी ज़ोर से सिसकने लगी हीईीईई रीईईईईई मेरी माआआआआ मररर्र्र्ररर गाइिईईई सीईईईईईईईईई फ़ाआअद्द्द्द्दद्ड दलाआाअ रीईईईई उईईईईईईईई फटीईईईईई सीईईईईईईईईईईई धीरे सीईईई मै मररर्ररर जाऊनगीइिईई उफफफफफफफ्फ़ उईईईईईईईई सीईईईईईईईईई हरम्जदे ऐसे अपनी बीवी की फाडियो तू साले मैंने कहा साली तू मेरी रखेल है समझी हरम्जदि तेरी तो गांड और चूत. अब ऐसे ही फटा करेंगे अभी तो तुझको अपने सारे यारों से चुद्वाउँगा सब तेरी गांड मारेंगे तब क्या करेगी तू हीईीईई क्या कसी हुईईइ गांड्द्द्द्द्दद्ड है तेरी बहुत मज़ा आआआ रहा हाईईईईईईईईईईई सीईईईईईईईई हीईीईईईईईईई उईईईईईईईईईईईईई मज़ा आ गया थोड़ी देर मे उसका दर्द भी कम हो गया था और अब उसको भी मज़ा आ रहा था वो खूब सिसकने लगी अब सीईईईईई पेलो मेरे राजा ले लो मज़ा इस गांड के हीईीईईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईई मस्त कर दिया मेरे दिया तुमने मुझको क्या चोद रहे हो मुझे अब लग रहा है कि मै सच मे एक चुड़क्कड़ औरत हूँ पेलूऊऊऊऊऊ उईईईईईईईईईईईई मरीईईईइ मे हीईीईईईईईई रीईईईईई माआआ फद्ददडू मेरी गांड्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड कस कस के हीईीईई रीईईई मै अब जोश मे आ गया और उसको कस कस के पेलने लगा उसकी चुचियाँ मेरे हाथ मे थी और उसकी गांड मारते हुए मे उनको भी कस के दबा रहा था और उसके निपल्स को रगड़ रहा थॉ ओ मस्त हो कर मज़े ले रही थी अब मेरा लंड झड़ने वाला था मैंने स्पीड बढ़ा दी थी और मुझे फुल मज़ा मिल रहा था हीईीई सीईईईई साली कुतियाआआआ मेरा निकलने वाला है बहन की लोदी भोसड़ी वाली मादर चोद रंडी मे झड़ने वाला हूँ हीईीईईई सीईईईईई निकल रहा हाईईईईईई निकल गय्ाआआअ हीईीईई सीईईईईईईईईईईई मज़ा आआआअ गया राणिीईईईईई निकल रहा है बहुत अच्छे से मज़ा आ गया तुझको चोद कर मेरी रंडी कुतिया साली हीईीईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईईईईई और फिर मै उसके उपेर गिर गया और सुसताने लगा वो भी अपनी चूत मे उंगली करके झड़ गयी थी फिर मे उसके साथ रूम मे चला गया और बिस्तर पर उसको अपने साथ लिटा लिया और धीरे धीरे उसकी चुचियों से मज़े लेता रहा जिसके कारण मेरा लंड फिर तन गया थोड़ी ही देर मे तो वो बोली क्या आज ही पूरी मा चोद दोगे मेरी मैंने कहा नहीं तेरी मा की नहीं तेरी फाड़ दूँगा और उसकी चूत मसलते हुए उसको अपने उपर चढ़ा लिया और फिर से अपने लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर लगा दिया और कस के धक्के लगाने लगा पूरा मज़ा आ रहा था और इस तरह मैंने उसको बहुत अच्छे से उस रात तीन बार चोदा और 2 बार उसकी गांड भी मारी वो पूरी मस्त हो गयी फिर थक कर हम दोनो चिपक कर सो गये. जब मैं शाम को उठा तो वो नंगी मुझसे चिपकी हुई थी फिर मैंने उसको उठाया इस समय 7:30 बज रहे थे उसने उठ कर अपने कपड़े पहने और बोली बाबू अब जब चाहे मेरी चूत और गांड फाड़ कर मेरे मज़े ले लेना और जब चाहे किसी से भी मुझको चुद्वा देना अब मै तुम्हारी रखेल हूँ और पूरी चुड़क्कड़ बन कर तुमको रंडी की तरह मज़ा दूँगी अब मैं तुम्हारे सारे दोस्तों का लंड ले लूँगी अपनी चुदास चूत मे और इस रांड़ की गांड मे फिर वो खाना बनाने चली गयी. दूसरे रविवार को सीमा और उसकी मौसी मल्लिका दोनो सवेर 7:30 बजे आई क्योंकि रविवार को काम ज़्यादा होता था हफ्ते भर के कपड़े धोना, प्रेस करना साफ सफाई करना, खाना बना ना एट्सेटरा.
सीमा बाथ रूम मे जाकर कपड़े धोने मे लग गयी और मल्लिका मौसी नेचाइ बना कर जब मुझे उसने उठाया तो मैं देखता ही रहा गया. जब वो झुक कर मुझे जगा रही थी तब उसका पल्लू नीचे सरक गया था और ब्लाउस मे से उसके बड़ी बड़ी चुचिओ की झलक दिखाई देने लगी. और मैं जब उसकी चुचिओ की गोलाई को निहार रहा था तब वो झेंप कर पल्लू सीधे कर के मूडी और चली गयी. पीछे से उसके भारी भारी चूतादो को देख कर तो मैं और पागल हो गया और बाथरूम मे गया वहाँ इस समय सीमा नहीं थी इसलिए मैं मल्लिका की चुचिओ और उसकी गांड के बारे मे सोचते हुए अपने लंड को रगड़ने लगा तभी दूसरे कमरे से सीमा की आवाज़ आई कि साहब आप नहालिए तो मुझे टवल और कछि धोने के लिए दे दीजिए मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल कर उसको बुलाया और कहा कि लंड का पानी हिला हिला कर निकाल दे तो वो मेरे लंड को पकड़ कर कस कस के हिलाने लगी और मै भी उसकी चुचियों को हाथ से मसल्ने लगा और उस से कहा हीईीईई सीईईईईईईई रनीईइ मज़ा आ गया क्या मस्त गांड देखी है सुबह सुबह हीईिइ रीईईईई मजाआाअ आ गय्ाआआआआअ उईईईईईईई सीईईईईईई हाई री मल्लिका मौसी क्या चुदास माल है तू तेरी चूत का भोसड़ा बना दोन्गाआअ चोद चोद कर सलिइीईई कुतियाआआआआअ. सीमा मेरी बातें सुन रही थी और अब उसने भी मेरा लंड ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया मैंने भी उसका घगरा उठा कर उसकी चूत मे उंगली डाल दी कल की चुदाई से उसकी चूत सूजी हुवी थी लेकिन मैं उंगली डाल कर उसकी चूत मे अंदर बाहर केरने लगा फुल स्पीड मे उसको भी मज़ा आने लगा सीईईईईईई हीईीईईई बाबू मज़ा आआआआ रहााआ हाईईईईईई उईईईईईई सीईईईईईईई मै झड़ रही हूँ मै भी झड़ने वाला था हीईीईईई सलिइीई हरम्ज्दि मेरााआ भी निकल रहा हाईईईईईईई सलिइीईईईई उईईईईई सीईईईईई हान्न्न्न्न मेरा निकल रहा हाईईईईईईई सीईईईई निकल गायाअ और उसी समय वो भी झड़ गयी फिर थोड़ी देर वो मेरा लंड यूँ ही पकड़े रही अब मेरा पूरा पानी निकल गया और उसका भी फिर वो बोली बाबू मज़े मुझसे ले रहे थे और नाम मल्लिका मौसी का, क्या बात है उसको भी चोदोगे क्या तो मैंने कहा देख तू मेरी रखेल है तो तुझको बता देता हूँ कि मै आज मल्लिका मौसी को चोदून्गा वो साली चुड़क्कड़ बहुत है ना माधरचोद कुतिया तब वो बोली अगर तुम मेरी मौसी को चोद्ना चाहते हो ठीक है चोद लो लेकिन उसके लिए आप को ही उसे पटाना पड़ेगा पर मेरी चूत को ना भूल जाना तो मैंने कहा तू तो मेरी रखेल है और उस्कोभी अपनी रखेल बना लूँगा तो वो बोली हां ये ठीक रहेगा फिर वो अलमारी से कपड़े लाने चली गयी और मै नहाने लगा. नाहकार जब आया तो मल्लिका मौसी ने मुझे नाश्ता लाकर दिया और जब नाश्ता परोस रही थी तब भी मैने उसकी चुचिओ की गोलाई देखी मुझे लगा शायद वो जान भूज़ कर दिखा रही हो फिर वो अपना पल्लू ठीक करते हुवे कमरे से गंद मतकती हुई चली गयी. मैं बनियान और टवल पहने हुवा था. मैं टेबल पर नाश्ता कर रहा था और पेपर पढ़ रहा था मुझे मालूम था कि मल्लिका मौसी मुझे चाइ देने ज़रूर आएगी इसलिए मैं इस तराहा से बैठ कि मेरी जाँघो से थोड़ा तोलिया सरक जाए और उसे मेरे लंड की झलक मिल जाए. वो थोड़ी देर बाद चाइ लेकर आई मैने तिर्छि नज़रों से देखा वो मेरे करीब रुक कर मेरे मोटे लंड को निहार रही थी. मैं पेपर पढ़ने मे मस्त था. फिर वो चाइ टेबल पर रख कर कोने से झारू उठा कर कमरे को बैठ कर बूहरने लगी लेकिन उसकी नज़रें मेरे लॉड पर ही जमी थी. मई भी जानबूझ कर वैसे ही बैठा रहा और तिर्छि निगाहों से उसको देख रहा था. जब वो बैठ कर झारू मार रही थी तब उसकी साडी उसकी घुटनो के उपर थी वो सारी को इस तरह करके बैठी थी कि मुझे उसकी चूत की झलक मिल सके. मुझे उसकी चूत तो सॉफ नज़र नही आराही थी पर चूत के उपर के घने बॉल सॉफ सॉफ दिख रहे थे. मैं समझ गया कि वो आज चुदवाना चाहती है. खेर वो सफाई कर के चली गयी और मैं भी उठ कर टीवी देखने लगा. करीब 1 बजे मैने 2 बॉटल बियर पी और करीब 2 बजे हम तीनो ने खाना खाया.सीमा को दूसरे घर मे काम था इसलिए वो चली गयी अब केवल मैं और मल्लिका मौसी रह गये. खाना खा कर मैं टीवी पर इंग्लीश पिक्चर देखने लगा. कुच्छ देर बाद मल्लिका मौसी भी कमरे मे आकर ज़मीन पर बैठ गयी कुच्छ देर बाद उसने अपने पैरों को घुटने उपर की ओर करके बैठ गयी उसकी सारी घुटनो पर थी. तभी टीवी पर एक चुंबन का जबरदस्त सीन आया तो मैने उसकी ओर देखा उसका चहरा काम वासना से भरा हुवा था और वो पिक्चर देखते हुवे अपने सारी मे हाथ डाल कर खुजा रही थी. यह देखते ही मैने पुछा मल्लिका मौसी क्या खुजा रही हो उसने चौक कर सारी से अपना हाथ निकाल लिया पर मुझे उसकी चूत और झाटे सॉफ दिखाई देने लगी थी. वो बोली क्या करूँ बाबू जब से मैने तुम्हारा देखा मैं पागल हो गयी हूँ यह सुन कर मैं हैरान हो गया तब वो बोली हैरान मत हो जब से मैंने तुम्हारा मोटा लंड देखा है तो मेरी चूत मे आग लग गयी है और वो तुम्हारे लंड से चुद्वा कर ही शांत होगी तो मैंने पूछा कि तुमने कब मेरा लंड देख लिया तो वो बोली जब मॉर्निंग मे तुमको सीमा जब कपड़े के बारे मे पुछने गई थी तो काफ़ी देर हो गयी तो मै भी बाथरूम के पास आई थी पर देखा की सीमा तुम्हारे मस्त मोटे लॅंड को कस कस कर हिला रही थी और तुम भी उसकी मस्त मोटी मोटी चुचियों को मसल रहे थे तब देखा मैंने तुम्हारा लंड फिर तुमने मस्ती मे बहुत कुछ बोला की रानी तेरी चुचियाँ मसल दूँगा गांड फाड़ दूँगा तेरी लेकिन तुमने सीमा का नाम नहीं लिया बल्कि तुमने मेरा नाम लिया तो मेरी चूत और भी गीली हो गयी फिर तुम्हारा और सीमा का पनी निकल गया फिर तुमने सीमा को बताया कि तुम मेरी चूत और गंद फाड़ना चाहते हो. यह सुन कर मैं उसके करीब गया और उसके और मेरे कपड़े निकाल कर उसकी चुचियों से काफ़ी देर तक खेलता और चूस्ता रहा वो मे मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी और मूह मे लेकर चूस रही थी जब हम दोनो काफ़ी गरम होगये तब. मैने उसको कुतिया की तरह खड़ा किया और उसकी गंद पर ढेर सारा तेल लगा कर उसकी गंद की छ्हेद पर लॉडा लगा कर पूरा लंड उसकी गांड मे पेल दिया लंड गंद मे घुसते ही वो चिल्ला रही थी उईईईईई माआआआअ फाआत्तततत्त गाइिईईईईईईईईई मेरिइईईईई गांड्द्द्द्द्दद्ड हीईीईईईई सीईईईईईईईईई उम्म्म्मममम हीईीईईईई पेल दिया रे फाड़ दिया मेरी प्यारी सी गांड्द्द्द्दद्ड कूऊ ही रीईईईई उईईईईई मै मररर्ररर जाऊनगीइिईईईईईई सीईईईईईईईई कोई बचा लूऊऊओ उईईईईईईई सीईईईईईई हीईीईईईईईईईई जाने दो मै मारीईईईई रीईईईई उईईईईई सीईईईईईईईई हीईीईईई यह सुनते ही मुझे जोश आगया और उसकी कमर को पकड़ कर लंड को गंद के अंदर बाहर करते हुवे बोला चुप साली कुतिया बहन की लोदी मेरा लंड खाने का तुझे काफ़ी शोक था ना अब ले बहन्चोद ये कह कर मैने अपनी स्पीड और भी बढ़ा दी. फिर मैने उसकी गंद से लंड निकाल कर उसकी चूत मे डाल दिया और कस कस कर चोद्ने लगा अब मल्लिका को भी कुछ मज़ा आ रहा था और वो बहुत ज़ोर से सिसकने लाई हीईीईईईईई सीईईईईईई उईईईईईईईईईई माआआआआ मजाआाआअ गय्ाआआआआ आआआााआआ हााआआहा मै मररररर अगईइिईईई सीईईईईईई उम्म्म्मममममम और कस के चोद साले कुत्ते फाड़ मेरी चूत सीईईईईई मै मररर्र्र्ररर जाऊंगी सीईईईईईईई उईईईईईई माआआआअ खूब ज़ोर से सीईईईईईई हीईीईईई फ़ाआद्दद्ड सलीए मदर छोड़ कुत्ते बहन चोद साले भद्वे गांड फाद्द्द्दद्ड दे मेरिइईईई मैं बोला साली कुतिया आज रात भर तेरी गंद और चूत को फाड़ फाड़ कर चिथड़े कर दूँगा वो बोली जो चाहे कर लो पर ऐसे हो चोद्ते रही मत जाने दो मुझे पर चोदना बहुत कस के हीईीईईई सीईईईई बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राअज्जजजाअ फ़ाआआद्द्दद्ड दे मेरिइईई चूत ही सीईईईईईईईई उम्म्म्मम आआअहह आह उईईईईईईईई माआआआअ मज़ा आ गया बन गयी आज तो मै रंडी हां बना दो पूरी रंडी बना दो और कस के फादद्ड़ साले कुत्ते कामीने माधरचोद फ़ाआद्द्दद्ड मेरी चुट्त्त हीईीईईई सीईईईईईईई हां हीईिइ मरिन्नन्न्नमारी उईईई सीईईई कास्क्ीई मररर्ररर जाओंगीइिईई सीईईईईई हीईीईईईई हाां अहााआअहह्ा हीईीई सीईईईई झड़ने वाली हूँ और कस्के पेल मुझे हीईीईईई सीईईईईईईई पेल डालो ऐसे ही हीईीईईई और वो झड़ गयी मैं भी 15-20 धक्को के बाद उसकी चूत मे झड़ गया. इस तरहा मैं दफ़्तर जाने से पहल रोज सुबह सीमा को या मल्लिका को बहुत चोदा करता था. 

भैया भाभी और मेरे बॉयफ्रेंड के साथ ग्रुप में

मेरा नाम रीना है और मै सूरत की रहने वाली हूं.आज मै आप को अपनी फ़ैमली की एक ऐसी काहानी बताने जा रही हूं जो मैने अबतक किसी से भी शेयर नही करी है. इस काहानी मे कुछ भी झूट नही है हर बात सच सच है लेकिन सिर्फ़ नाम बदल दिये हैं मैने. मै एक मिडल क्लास फ़ैमली से हूं. हमारी फ़ैमली एक बडी फ़ैमली है. मेरे दो भाई और एक बैहन हैं. सब से बडा भाई सुनील २५ साल फिर राजीव २२ साल फिर मै २० साल और सबसे छोटी कल्पना १७ साल की है. मेरे पिताजी की एक ट्रांसपोर्ट कम्पनी है. मा ग्रिहणी हैं. बडा भाई शादी शुदा है और वो भी पिताजी के साथ काम करता है. हम सब साथ ही रहते हैं. बाकी बहन भाई शादी शुदा नही हैं. मै और राजीव घर मे सब से अच्छे दोस्त हैं. हमारी सिटी मे शायद ही किसी बहन भाई मे इतनी दोस्ती हो जितनी के मेरी और राजीव की है. मैने कभी भी ये सोचा ना था के मै ऐसा भी कर बैठूंगी. पता नही राजीव के दिमाग मै ऐसी बातें कब से आ गयी थीं. अक्सर हम रात को देर रात तक बातें करते रहते थे. एक रात हम बातें करते करते टीवी भी देख रहे थे और हमारी बातों का टॊपिक लव मैरिज था. उस का कैहना था के शादी हमेशा मा बाप की मरज़ी से करनी चाहिये और मै लव मैरिज को वोट कर रही थी. क्यों के मुझे एक लडके से प्यार था लेकिन राजीव को इस बात का पता नही था.. उस रात जब मैने लव मैरिज को इतना वोट किया तो अचानक राजीव ने मुझसे एक सवाल किया जिसके लिये मै तय्यार नही थी. उसने काहा: रीना एक बात तो बताओ. क्या तुम्हे किसी लडके मे इन्टरस्ट है? मेरा मतलब क्या तुम किसी से प्यार करती हो? मै अचानक इस सवाल को सुन कर चुप हो गयी. वो फिर बोला: बताओ तो सही…….. .इस मे कोई बुराई तो नही. सब को हो जाता है. हो सकता है तुम को भी हो गया हो, मुझ से शेयर कर लोगी तो शायद मै तुम्हारी मदद कर सकूं. ये सुन कर मेरा कुछ हौसला बढ गया. और मैने सिर्फ़ सर हिला कर उसे हां काहा. वो बोला: कौन है वो? मैने उसे बता दिया के मै अपनी क्लास के लडके रिशी को पसन्द करती हूं. कुछ देर बाद वो बोला: एक बात बताओ….. ……सच सच बताना. क्या तुम दोनो मे कुछ हुआ है? मै ये सवाल समझ नही सकी तो मैने पूछा: क्या मतलब? वो फिर बोला…….. …..मेरा मतलब कोई ऐसी वैसी हर्कत की है उसके साथ? अब मै उस का मतलब समझ गयी और बोली : नही. वो कई बार कोशिश कर चुका है. पर मैने कभी भी उसे अपने को छूने नही दिया. वो बोला: वैसे मै जानता हूं उसके बारे में. काफ़ी लडकियां हैं उसके जाल मे तुम्हारी तरह. और बहुतों के साथ तो वो काफ़ी कुछ कर भी चुका है. मै बोली: क्या कर चुका है? वो कुछ देर चुप रहने के बाद बोला…….. …सेक्स कर चुका है और क्या. मै सुन कर हैरान रह गयी और फ़ोरन राजीव से लडने वाले अन्दाज़ मे बोली: नही वो ऐसा नही है……… …..हां मुझसे वो ज़रूर छेड छाड करता है मगर उसका किसी और लडकी के साथ चक्कर नही है. वो बोला: अरे तुम चाहो तो मेरे दोस्त की बहन सिमरन से पूछ लेना. वो उसकी शिकार बन चुकी है. ये सुन कर मै बहुत परेशान हो गयी लेकिन मुझे अब भी इस बात का यकीन नही था. एक दो दिन बाद मुझे सिमरन मिली तो मैने उससे रिशी के बारे मे पूछा. सिमरन ने राजीव की बात को कन्फ़र्म कर दिया के दो साल पहले रिशी ने उसे पटा के उसके साथ सेक्स किया था. मुझे बहुत बडा धक्का लगा और मैने रिशी से अपना रिशता तोड दिया. उस दिन मै घर आके सारा दिन रोती रही. रात को भी ठीक से नही सोई और रोती रही. अगले दिन सन्डे था. जब मै उठी तो ९ बज चुके थे पर मेरी आंखें अभी भी लाल थी. मा ने देख कर पूछा क्या हुआ रीना तुम को? मै बोली कुछ नही मा बस रात को नीन्द ठीक से नही आई. वो ये सुन कर दांटने लगी |  एक तो तुम दोनो बहन भाई पता नही रात को इतनी देर तक क्या बातें करते रहते हो. कभी जलदी भी सो जाया करो, बीमार हो जायेगी और वो तुम्हारा भाई भी. मै बोली: कुछ नही होता मा. और बाथरूम मे चली गयी. नाश्ता करते हुए मा ने बताया के आज रोहित का मुन्डन है और हम सब जा रहे हैं, नाशते के बाद तय्यार हो जाओ. (रोहित मेरी चाची का दो साल का लडका है) मेरा जाने का मूड नही था इसलिये बोली: मा मेरी तबीयत ठीक नही है. मै नही जाना चाहती. मा ये सुन कर गुस्से मे बोली: और जागो सारी सारी रात, लेकिन तुम घर मै अकेली क्या करोगी? राजीव बोला: मा मै भी नही जाना चाह रहा. मै रीना के पास रहता हूं आप लोग चले जाओ. नाशते के बाद सब लोग तय्यार होने लगे और करीब ११ बजे सब चले गये. अब घर में सिर्फ़ मै और राजीव थे. वो टीवी देख रहा था और मै अपने कमरे में थी. कुछ देर बाद राजीव मेरे कमरे में आया और बोला : कैसी हो रीना तुम अब? मै: ठीक हूं राजीव. राजीव: नराज़ हो क्या मुझसे? मै: नही राजीव ये कैसे सोच लिया तुमने? राजीव: बात तो करती नही मुझसे तो फिर ऐसा ही सोचूंगा ना. मै: कुछ नही राजीव तुम भी ना….. अच्छा चलो कोयी और बात करो. राजीव: पहले हंस कर दिखाओ. इस बात पर मै फ़ोरन ही हंस पडी और उसने मुझे हंस्ता हुआ देख कर उसने अपने गले लगा लिया. उसने मुझे माथे पर किस भी किया. ऐसा पहले कभी नही किया था उसने. मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मै और भी चिपक गयी उसके साथ. हम ऐसे ही कोई २ – ३ मिनट तक रहे. फिर मैने भाई से पूछा: राजीव एक बात तो बताओ? राजीव: क्या? मै: क्या सब लडके हम लडकियों के बारे मै ऐसा ही सोचते हैं? राजीव: म्म्म्म्म हां ज़्यादा तर लडके ऐसा ही सोचते हैं आज कल. मै: क्या तुम भी ऐसा सोचते हो किसी के लिये? राजीव: म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म हां मै: किसके लिये? राजीव: हो सकती है कोई भी तुम्हे इससे क्या मतलब? मै : नही….मुझे बताओ ना? राजीव: छोडो इस बात को अब……….किस तरह की बातें कर रही हो तुम? मै: तुमने रात को ही काहा था के हम सब कुछ शेयर कर सकते हैं. अब क्यों छुपा रहे हो? राजीव:देख लो. तुम जानती हो की मै काफ़ी बोल्ड हूं. अगर कुछ बोला तो किसी को बताना नही. मै: नही बताऊंगी………अब बताओ ना? राजीव: तो सुनो………..मै रीना के बारे मै ऐसा सोचता हूं. (रीना मेरी भाभी हैं) मै ये सुन कर हैरान हो गयी…..और उससे पीछे हट गयी. वो अब मुझे सिर्फ़ मुसकुराता हुआ देखता रहा. मेरी समझ मे नही आ रहा था के अब मै उससे क्या कहूं. फिर मै बोली: क्या मतलब है तुम्हारा? क्या तुम भाभी की बात कर रहे हो? राजीव : हां……….उसी की बात कर रहा हूं………और बात बताऊं तुमको? उसे भी ये पता है और उसे ये सुन कर खुशी हुई थी. अब तो मेरी हैरानगी की कोयी हद नही थी. मेरी समझ मे नही आ रहा था के वो क्या कह रहा है. फिर मै बोली: राजीव तुम को पता है ना तुम क्या कह रहे हो? वो तुम्हारी भाभी हैं. कैसे सोच लिया तुमने उसके बारे में? राजीव: भाभी हैं तो क्या हुआ. हैं तो एक लडकी ही ना आखिर. खुबसूरत हैं मुझे अच्छी लगती हैं और उसे मै भी अच्छा लगता हूं. इसमे बुराई क्या है? मै: एक बात बताओ………..किस किसम का रिशता है तुम्हारा और रीना भाभी का? राजीव: वैसा ही जैसा होता है इस सूरत मे. मै: क्या मतलब…..कैसा होता है इस सूरत मे? राजीव: प्यार भरा और क्या मै: क्या तुम उसके साथ कुछ कर तो नही बैठे? राजीव: हां थोडा बहुत कर चुका हूं मै: हे भगवान……….भाभी के साथ? राजीव तुम पागल तो नही हो गये? किस हद तक गये हो तुम उसके साथ? राजीव: हां पागल कर दिया था उसने……..मै क्या करता……..और रही बात हद की, तो प्यार मे कोई हद नही होती मै: क्या मतलब? राजीव: वही जो प्यार करने वाले करते हैं………..कुछ किसिंग…….कुछ हगिंन्ग ……………और कुछ वो भी. मै: वो भी………………….? सच सच बताओ………………कहीं सेक्स तो नही क्या तुम ने? राजीव: हां हो तो गया है ……….इसमे मेरा क्या कसूर? इतनी खुबसूरत औरत जब पास हो तो आदमी से ये कुछ भी हो सकता है. मै: कसूर………….? क्या मतलब ? अगर कोई भी खुबसूरत औरत हो तुम उसके बारे मे ऐसा ही सोचोगे? चाहे वो तुम्हारी बहन ही क्यों ना हो राजीव:म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म्*म्म्म……………… ………..हां …………….ऐसा ही है………….. ये सुन कर तो मेरा दिमाग खराब होने लगा……..कुछ देर तो मै चुप रही………..फिर बोली: क्या तुम मेरे बारे भी इस तरह से सोचते हो? राजीव: देखो रीना……….तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो………बहन ही……….इस लिये तुमसे कुछ नही छुपाऊंगा……….हां तुम मुझे आकर्शित करती हो………….अगर तुम मेरी बहन ना होती तो मै तुमसे शादी करने की सोचता. मै: राजीव!!…………………तुम पागल तो नही हो गये ….. मै तुम्हारी बहन हूं …………कैसे आदमी हो तुम? राजीव: बहन तो हो………….पर खुबसूरत भी बहुत हो………….और सेक्सी भी…………..अब मेरा क्या कसूर? पता नही क्यों राजीव की इन बातों से मज़ा आ रहा था और मै भाभी वाली बात का धक्का भूल गयी थी.अजीब सी हालत थी मेरी.मै सोच रही थी की अब मै इसे क्या कहूं और कैसे कहूं……………दिमाग मै कुछ नही आ रहा था…….लेकिन मै एक बात ज़रूर नोट कर रही थी. वो ये के राजीव की ये बातें बुरी नही लगी मुझे. मै अब कुछ नही बोल रही थी और वो मुझ को सिर्फ़ देख रहा था और मुसकुरा रहा था. मै कुछ डर भी रही थी…………..पता नही क्या हो रहा था मुझे………………पता नही मै शर्मा कर या डर कर रूम से बाहर चली गयी…………..राजीव वहीं बैठा रहा………………..
मेरे अन्दर एक अजीब सी हालत थी……….मेरा भाई और मेरे बारे मै ये सोचता है…………..क्या मै सच मे इतनी खुबसूरत हूं?………….अब मुझे क्या करना चाहिये?………………………कैसे हैन्डल करूं इस हालात को? अब मै राजीव के बारे मै एक और ही तरह से सोच रही थी. ये बात तो सच थी के राजीव है काफ़ी हैन्ड्सम और सेक्सी भी…………….लेकिन वो मेरा भाई है……………………ये बात बार बार मेरे दिमाग मै आ रही थी. उस दिन मैने फिर राजीव से इस टॊपिक पर ज़्यादा बात नही की क्योंकी मै पहले ही बहुत शॊक मे थी. मुझे अपने लव अफ़ेयर का सदमा कुछ ही दिन मे भूल गया क्योंकी मै अपने बॊयफ़्रेन्ड पर बहुत ही गुस्सा थी. मैने उससे बिलकुल मिलना छोड दिया और फिर उससे कोई रिशता ना रखने की कसम खा ली. एक दिन रात को टीवी देखते हुए मुझे एक खयाल आया के आखिर राजीव ने जो भी मुझको रीना भाभी के बारे मे बताया है क्या वो सच हो सकता है के नही. इसलिये मैने सोचा क्यों ना इस बात का पता लगाया जाये और मै अब राजीव से नही बल्के भाभी से इसके बारे में पूछूं. लेकिन कैसे? अगले दिन मै लन्च के बाद भाभी के पास बैठ गयी और इधर उधर की बातें करने लगी और बातें करते करते मैने भाभी से पूछा की आज कल ज़िन्दगी भर किसी एक के साथ रहना काफ़ी मुश्किल होता है ना भाभी? क्या आप भैया से बोर नही हो जाती? वो मेरी यी बात सुन कर अजीब तरीके से मुसकुरा कर कहने लगी: इस के इलावा कर भी क्या सकते हैं. आखिर ज़िन्दगी भी तो गुज़ारनी है ना. मै: भाभी….. क्या भैया भी तुम से बोर नही होते? क्या तुमको यकीन है के उनका कोई बाहर चक्कर वक्कर नही है? भाभी: लगता तो नही है…..(फिर हंसते हुए बोली) अगर है भी तो मुझे क्या? वापस तो मेरे पास ही आना है ना. मैने फिर भाभी से सवाल किया: भाभी एक बात पूछूं?……….. भाभी: हां पूछ क्या बात है? मै: अगर मेरा कोई चक्कर हो तो भैया क्या करेंगे? भाभी: बहुत गुस्सा करेंगे तुझे. अगर ऐसी कोई बात हो तो मुझ तक ही रहने देना. वैसे कोई चक्कर है क्या? मै: नही भाभी…अभी तक तो नही है…………लेकिन एक लडका लाईन मार रहा है मुझ पर काफ़ी दिनों से. भाभी: कौन है वो और कैसा है? मै: मेरी क्लास मै पढता है और है भी हैन्ड्सम…………. भाभी: तो तेरा क्या खयाल है……..? पसन्द है क्या तुझे? मै: है भी और नही भी भाभी: म्म्म्म्म्*म्म ……….अगर तो तुम सीरिअस हो तो बात करूं घर वालों से? मै: नही नही भाभी………..इतना भी पसन्द नही है मुझे.

भाभी: तो फिर टाईम पास कर और मज़ा ले के छोड देना. मै ये बात सुन कर हैरान हो गयी के भाभी मुझे क्या कह रही है और भाभी से पूछा: मज़ा लूं?………इस का क्या मतलब? भाभी हंस्ते हुए आहिस्ता से बोली: अरे जवानी के मज़े ले और क्या. यही तो उमर है ऐश करने की. मै: भाभी अगर मैने कुछ किया तो मेरे होने वाले पती को पता नही चलेगा के मैने क्या कुछ किया हुआ है? भाभी: अरे नही पता चलता…………(भाभी ने इधर उधर देखा और आहिस्ता से बोली) अब तुम्हारे भाई को पता चला है क्या मेरे बारे मे? मै: क्या मतलब भाभी? क्या आप भी? कब, कैसे और किस के साथ? भाभी: मै बहुत ही चालाक हूं. मैने एक काम किया की घर की बात घर मे ही रह जाये……………….और किसी को शक भी ना हो………… मै: क्या किया आपने? भाभी: मै तो कसम खा सकती हूं के मैने आज तक तुम्हारे भाई के इलावा किसी के साथ सेक्स नही किया…………..हां ये बात अलग है के वो सुनील के इलावा भी हो सकता है………….. मै: हे भगवान .भाभी………राजीव के साथ? कब? और कहां? भाभी: अब चुप ही रहो किसी से बात ना कर बैठना. मै: भाभी आप को मुझ पर यकीन नही है क्या? भाभी: है तभी तो इतनी बातें कर रही हूं ना…………..वैसे तुम्हारे भाई राजीव की क्या बात है……….बहुत ही सेक्सी है…………. भाभी से बात करने के बाद मुझे पता चल गया के राजीव की बात सच थी. फिर भाभी ने अपनी सारी कहानी सुनाई जो मै आप को किसी और दिन बताऊंगी. फिर मै ने इधर उधर की बातें करके बात खतम कर दी. उसी रात को जब मै और राजीव टीवी देख रहे थे और बाकी सब सो चुके थे मैने राजीव को बताया के आज मेरी भाभी से क्या बात हुई. वो मेरी बातें सुन कर सिर्फ़ मुसकुराता रहा. मैने राजीव से एक सवाल किया : ऐसा करने के बारे मे तुम्हे खयाल कैसे आया? राजीव: तुम को पता है मै कम्प्यूटर पर बहुत ज़्यादा टाईम बिताता हूं और नेट से बहुत कुछ पता करता हूं…बस वहीं से मेरा इन बातों पर ध्यान गया. मै: क्या ध्यान गया |

राजीव: चलो अभी दिखाता हूं. वो ये कह कर मुझे कम्प्यूटर पर ले गया और नेट पर मस्त हिंदी सेक्स कहानी खोल दी और मुझे काहा लो तुम बैठ कर इन्हें पढो. मुझे अब शरम आ रही थी पर राजीव मुझे कम्प्यूटर के समाने छोड कर चला गया. कुछ देर मै इधर उधर देखती रही फिर हिम्मत करके पढना शुरू कर दिया……….और जब मैने काहानियां पढनी शुरू की तो मेरी हैरानी की हद नही थी. इन काहानियों मे तो किसी किसम का भी रिश्ता माफ़ नही किया गया था. कोई अपनी भाभी या साली के साथ, कोई मां या बाप के साथ, कोई अपने कज़न और कोई अपने सगे भाई या बहन के साथ सेक्स की बातें बता रहा था…….मेरे अन्दर एक अजीब सी फ़ीलिन्ग हो रही थी. पता नही मुझे क्या हो रहा था. लेकिन जो भी था अच्छा लग रहा था और मै पढते ही जा रही थी. मुझे पता ही नही चला के कब सुबह के ४:०० बज गये. मैने जल्दी से कम्प्यूटर बन्द किया और सोने चली गयी. उस रात मैने एक सपना देखा की मै अपने बाथरूम में नाहा रही हूं और अचानक राजीव बाथरूम मै आ गया और वो बिलकुल नंगा था लेकिन मै उसे देख कर खुश हो रही थी. राजीव बाथरूम मै आते ही मुझे चूमने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मेरी आंख खुल गयी तो देखा की मेरा हाथ मेरे वैजाईना पर है……….और मै नीचे सी गीली हो चुकी थी. राजीव जब नाश्ते पर मिला तो हंसते हुए आहिस्ता से मुझसे पूछा: कैसी रही रात की एन्टरटेनमेन्ट?

मै:ठीक थी………सिर्फ़ एक काहानी पढी और फिर सो गयी. कोई खास मज़ेदार नही थी…… मैने जान बूझ कर राजीव से झूट बोला. पता नही क्यों मै उससे सच नही बोल पाई. वो मेरी बात सुन कर मुसकुराता हुआ चला गया. मुझे लग रहा था के मै अब राजीव को किसी और नज़र से देख रही हूं पर किस नज़र से? इस का जवाब नही था मेरे पास. उस दिन जब राजीव नही था मैने मौक देख कर फिर कम्प्यूटर ऒन किया और फिर से
तो बोला: चलो आज मै तुम को कहानीयां नहीं बल्के असली चीज़ दिखाता हूं. मै बोली: वो कैसे राजीव: जैसे मै कहूं वैसे करती जाओ. फिर देखो क्या होता है. ये कह कर वो मेरा हाथ पकड कर मुझे छत पर ले गया. छत पर सिर्फ़ एक ही कमरा है जिसमे सुनील भैया और रीना भाभी रेहते हैं. उसने जा कर उनके कमरे के दर्वाज़े को खटखटाया. रीना भाभी नाईटगाउन मे बाहर आयी और हमसे पूछा: क्या बात है? राजीव ने ऊंची आवाज़ मे काहा: वो आज का अखबार चाहिये. हमे कुछ देखना था उसमे. अन्दर से सुनील भैया की अवाज़ आयी: रीना, यहां पर पडा है अखबार, आके ले जाओ और दे दो इसे. रीना भाभी अन्दर से अखबार लेकर आयीं तो राजीव उन्हें खींच कर साईड पर ले गया और दबी ज़ुबान मे बोला: रीना, आज रात को सुनील के साथ सेक्स का प्रोग्रैम है क्या तुम्हारा? रीना बोली: हां, क्यों?

राजीव: तुम खिडकी पर से परदाआ थोडा हटा देना और थोडी सी लाईट भी आने देना रीन मुसकुराते हुए बोली: “क्यों, क्या करोगे तुम लोग देख कर”

राजीव: अरे कुछ नही, रीना की बहुत इच्छा है सच मे सेक्स देखने की, इसकी उत्सुकता शान्त हो जायेगी

रीना: राजीव, तू इसको भी बिगाड रहा है राजीव: अरे नही, इसको ग्यान दे रहा हूं. अच्छा शो दिखाना

रीना: अच्छा मै देखती हूं क्या कर सकती हूं फिर भाभी अन्दर गयी और दर्वाज़ा बन्द करके चिटकनी लगा दी. उसने बडी लाईट बुझा कर एक छोटी लाईट ऒन कर दी और परदा खोल कर, खिडकी भी खोल दी. फिर उसने परदा किया, लेकिन पूरी तरह नही. फिर रीना अपने बेड पर बैठ गयी.
सुनील भी बेड पर आकर लेट गया और रीना उसके साथ चिपक गयी. उसके दोनो मम्मे राजीव के सीने से दबे थे. सुनील उसकी गान्ड को अपने हाथ से सहला रहा था |  और एक दूसरे को देख दोनो मुसकुरा रहे थे. तभी रीना ने झुक कर सुनील के होंठों पर किस किय. फिर सुनील ने उसके चेहरे को पकडा और उसके होंठों को अपने होंठों से कसकर चूसने लगा. अब वो दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. ३-४ मिनट बाद रीना हांफ़ती हुई सुनील के ऊपर ढेर हो गयी और राजीव ने भी उसे अपने बांहों में कस लिया. हमे कमरे की हल्की रोशनी मे ये सब कुछ साफ़ नज़र आ रहा था. हम चुपचाप खिडकी के पास खडे हो कर परदे की दरार मे से देख रहे थे. मुझे अजीब सा लग रहा था अपने भाई और भाभी को छुप छुप के देखना पर अन्दर ही अन्दर मज़ा भी आ रहा था. कुछ देर सुनील ने रीना की गान्ड को नाईटगाउन के ऊपर से सहलाया और फ़िर हाथ को नाईटगाउन के अन्दर डाल उसकी गान्ड को सहलाने लगा. फिर उसने नाईटगाउन को उठा कर निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी. फिर सुनील खडा हुआ और अपना शर्ट और पजामा उतार दिया और अपने अन्डरएयर मे रीना के सामने खडा हो गया. उसका लन्ड उसके अन्डर्वेयर मे तन के खडा था. मैं आंखें फाड फाड के ये नज़ारा देख रही थी. मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थी. रीना ने खिडकी की तरफ़ देखते हुए अपने मम्मों को अपने हाथों मे पकड कर बोला: सुनील कैसी लग रही हूं आज? मै समझ गयी की वो असल मे हमे दिखा रही थी और ये सवाल राजीव के लिये था. सुनील बोला: अरे तू तो है ही बहुत खूबसूरत यार. चल अब इनको बाहर निकाल. उसने भाभी के मम्मों की तरफ़ इशारा करके काहा. रीना ने अपनी ब्रा खोली और ब्रा हटाई तो मै देखकर दन्ग रह गयी. एकदम गोल और कसे कसे मम्मे थे. फिर वो लेटी और अपने मम्मों को उभार दिया. सुनील उसके ऊपर झुका और पहले दोनो निप्पल को चूमा और फ़िर जीभ निकल दोनो को १०-१५ बार चाटा. जीभ से चाटने के बाद दोनो मम्मों को हाथों से पकड मसला और फ़िर एक को मुंह में लेकर चूसने लगा. मै दोनो का खेल देख उत्तेजित हो गयी थी. मेरे से रहा नही गया और मै अपने मम्मों को पकड के हल्का सा दबाने लगी. मगर फिर मैने देखा की राजीव मुझे ये करते हुए देख रहा है तो मैने अपना हाथ जलदी से हटा लिया. रीना सिसकियां ले रही थी और बार बार अपनी चूंचियों को ऊपर की ओर उचका के सुनील के मुंह में घुसेड रही थी. मै सोच रही थी की मम्मे चुसवाने और निप्पल चटवाने में कितना मज़ा आता होगा. सुनील कुछ देर तक मम्मे चूसने के बाद उठा और फ़िर रीना कि पैन्टी को खिसकाया. रीना ने अपनी गान्ड उठा के पैन्टी को उतरवाया और अब वो बिलकुल नंगी बेड पर लेती थी. सुनील ने अपना हाथ रीना की चिकनी टांगों पर रखा और सहलाते हुए चूत तक ले गया और पूरी चूत को हाथ से दबाया. फिर उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसकी क्लिट को अन्गूठे से मसलने लगा. रीना बोली: मुंह से करो ना. सुनील उसकी दोनो टांगों के बीच आया और अपने मुंह को झुका कर उसकी चूत पर रख दिया. चूत से जीभ लगते ही भाभी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी. भाभी इस पोस में लेटी थी की हमे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखायी दे रहा था. भैया जीभ को पेलकर चाट रहे थे और हाथ से दोनो मम्मों को भी दबा रहे थे. भाभी मज़े से भर करे अपनी गान्ड उछाल रही थी और तेज़ तेज़ अवाज़ में सिसक रही थी. मुझे भी अपनी पैन्टी गीली होने का ऐहसास हुआ क्योंकी मेरी चूत से भी पानी निकलने लगा था. १०-१२ मिनट तक चटवाने के बाद रीना हांफ़्ते हुए बोली: आह बस अब बस करो नही तो मैं झड जाऊंगी. हाय रुको और अब मुझे अपना लन्ड दो. फ़िर वो उठी और सुनील को लिटाया और उसके अन्डर्वेयर को हाथ से निकाल दिया. मै भैया के लन्ड को देख कर दन्ग रह गयी. खूब मोटा और लम्बा था. लन्ड एक्दम सख्त और ऊपर को तना था. उसने झुककर लन्ड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. वो पूरे लन्ड पर चारों तरफ़ जीभ चलाती फ़िर मुंह में लेकर चूसती. मैने देखा की राजीव का लन्ड भी पैन्ट के अन्दर तन के खडा है और वो उसे अपने हाथ से हल्के हल्के सहला रहा है. राजीव ने देख लिया की मै उसके लन्ड को देख रही हूं |और मुसकुरा दिया पर रुका नही. बलकी उसने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अब उसका लन्ड अन्डर्वेयर के अन्दर तन के दिखने लगा. आज कैसे चोदोगे?” रीना भैया के लन्ड को पकड कर हिलाती हुई बोली. सुनील उसे बेड पर लिटाते हुए बोला, तू लेट जा बस मै चोद लूंगा जैसे मन करेगा. वो लेट गयी. उसकी टांगे हमारी तरफ़ ही थी जिससे उसकी चूत का लाल चेद मुझे साफ़ दिख रहा था. फिर सुनील उसके ऊपर आया और अपने लन्ड को उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे घुसा कर पूरा अन्दर डाल दिया. लन्ड अन्दर जाते ही भाभी के चेहरे पर खुशी देखने वाली थी. उसने हाथों को भैया के कन्धों पर रख लिया था. फिर सुनील ने धीरे धीरे लन्ड अन्दर बहार कर चुदाई शुरू कर दी. मैं अपनी चुदती भाभी को देख बहुत ही गरम हो गयी थी. मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी और पैन्टी नीचे से पूरी भीग गयी थी. राजीव ने भी अपने अन्डर्वेयर की मोरी मे से लन्ड निकाल कर उसे मुठ्ठी मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया था. मुझसे भी अब रहा नही जा रहा था और मैने सल्वार के नाडे को खोल के ढीला किया और अपना एक हाथ अपनी पैन्टी मे डाल दिया और अपनी चूत को रगडने लगी. राजीव ने मुझे ये करते हुए देख लिया पर मुझे अब पर्वाह नही थी. फिर राजीव ने मेरे एक बूब के ऊपर अपना हाथ रख दिया और उसे थोडा सा दबाया. मैने उसकी तरफ़ देखा और उसने मेरी तरफ़. दूसरे हाथ से वो अपने लन्ड को हिलाता रहा. मैने उसे कुछ नही काहा और उसने अब मेरे मम्मों कोएक एक करके कमीज़ के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया. वहां कुछ देर तक सुनील भाभी को इसी तरह चोदता रहा और फ़िर लन्ड बाहर निकाल दिया. चूत के रस से भीगा लन्ड चमक रहा था. लन्ड बहर कर उसने रीना को उठाया और उसे डॊगी स्टाइल में किया और फ़िर पीछे से उसकी चूत में लन्ड पेल कर चुदायी शुरू कर दी.वो हाथ आगे कर रीना के दोनो मम्मों को पकड के कस कर चुदाई कर रहा था. मै अब पैन्टी मे हाथ डाले ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत और क्लिट को मसल रही थी. फिर राजीव ने मेरी कमीज़ के गले के अन्दर अपना हाथ डाला और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को दबाने लगा. मेरी मस्ती की कोई सीमा नही थी और मै चाह रही थी के वो मुझे पूरी तरह से नंगा कर दे, पर मै कुछ नही बोली. फिर उसने मेरा हाथ पकड कर पैन्टी से खींच के बाहर निकाल दिया और अपने लन्ड पर रख दिया और इससे पहले की मै कुछ बोलती अपना हाथ मेरी पैटी मे डाल दिया. वो मेरी चूत को सहलाने लगा और मै सातवें आसमान पर पहुंच गयी. मैने भी उसके लन्ड को अपनी मुठ्ठी मे लेकर हिलाना शुरू कर दिया जैसे मैने उसे करते देखा था. वहां ५-६ मिनट तक इस तरह से चोदने के बाद सुनील ने फिर लन्ड बाहर निकाला और खुद नीचे लेट गया. जब वो नीचे लेटा तो रीना जल्दी से ऊपर आयी और उसके लन्ड को पकड अपनी चूत से लगा उसपर बैठने लगी. लन्ड जब पूर अन्दर चला गया तो वो खुद ऊपर नीचे हो चुदवाने लगी. सुनील भी नीचे से अपनी गान्ड उठा उठा लन्ड पेल रहा था और हर धक्के पर भाभी ऊ आ ऊ कर रही थी. इस तरह से भी उसने ७-८ मिनट तक रीना को चोदा फ़िर उसे अपने बदन से चिपका लिया और…
बोला: आह्ह्ह रीना मैं झडने वाला हूं. आह्ह मेरा निकलने वाला है. रीना तेज़ी से एक झटका और देती हुई चिलाते हुए बोली: हां मै भी झड रही हूं. सुनील अब आह आह करता झड रहा था. झडने के बाद उसने रीना के होंठों पर अपने होंठ रखे और चूमने लगा. फिर दोनो एक दूसरे से चिपक कर बेड पर ढेर हो गये. इधर मै भी झड रही थी और अपने होंठों को दांतों मे दबा कर अपनी आवाज़ को रोक रही थी. मेरे हाथ मे राजीव क लन्ड भी झटके खाने लगा और एक पिचकारी की तरह उसके लन्ड से वीर्य की धार निकल कर दूर जा गिरी. वहां कमरे से उठ कर सुनील बाथरूम मे चला गया तो रीना ने जलदी अपना नाईटगाउन पहना और भागकर खिडकी पर आयी और धीमी सी आवाज़ में मुझसे बोली: देखा रीना तेरे भैया मुझे कैसे चोदते हैं? शो देख कर मज़ा आया? मैं शर्मा गयी और सिर्फ़ सर हिला दिया. वो थोडा सा हंसी और बोली: अब तुम दोनो जल्दी से याहां से निकल लो. मै अभी सोने के बिलकुल मूड में नही थी इसलिये मै और ऊपर वाली छत पर चली गयी. वहां पर खाली छत है और हमने सिर्फ़ एक गद्दा डाल रखा है कभी कभी छत पर आकर बैठने या लेटने के लिये. मेरे पीछे पीछे राजीव भी छत पर आ गया और आते ही कहने लगा: कहो…….. कैसी रही…….? मै: म्म्म….. ……… ….(मै कुछ देर खमोश रही और फिर बोली)……. ..राजीव ये हमने ठीक नही किया…….. …..हम दोनो बहन भाई हैं राजीव: क्यों.. ……..तो क्या हुआ?……. ……… .हमने क्या गलत किया? मै: तो क्या ये ठीक था? राजीव: हां.. …ठीक था…….. …….अखिर हम दो एक दूसरे से प्यार करते हैं……… इस मे बुराई ही क्या है? मै: राजीव मै तुम्हारी बहन हूं……… . राजीव:देखो रीना…… ……..तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो………. जिस के लिये मै कुछ भी कर सकता हूं……… ..अगर तुम को लगता है की मैने गलत किया तो आगे से मै तुमसे दूर रहूंगा. मै: नही राजीव……. …मै ऐसा नही चाहती. राजीव: तो फिर ………… मै: तो फिर क्या? राजीव: इस खुबसूरत माहौल को मज़ा लो………. और क्या मै: राजीव… ……… ….तुम क्या चीज़ हो………. .तुम को ज़रा भी शर्म नही आती अपनी बहन से ऐसी बातें करते हुए? राजीव:बहन से नही…….. …अपनी दोस्त से………. …अपनी जान से भी प्यारी दोस्त से….अच्छा एक बात बताओ. मै: क्या? राजीव: सच सच बताना? मै: पूछो तो सही? राजीव: मैने जो भी किया…….. …तुम को अच्छा लगा के नही? मै ये सवाल सुन कर चुप हो गयी और राजीव को भी समझ आ गया था के मेरा जवाब क्या है. कुछ देर बाद वो खुद ही मेरी तरफ़ बढा और कहने लगा: थोडी देर के लिये भूल जाओ के हम बहन भाई हैं और अपने दिल से पूछो…….. …इस वख्त क्या दिल चाह रहा है तुम्हारा? मै अब राजीव की आंखों मे देख रही थी और सोच रही थी अगर सच मे राजीव मेरा भाई ना हो तो? ये सोचते ही मेरे मन मे एक लहर सी दौड गयी और मुझे अब राजीव एक बहुत ही हैन्डसम लडका लग रहा था और उसे देखते देखते मै मुसकुराने लगी. अब मै थोडी रिलैक्स फ़ील कर रही थी.और राजीव के पास जा कर आहिस्ता से उसे गगे लगा कर उससे लिपट गयी. राजीव फिर समझ गया.और बोला: चलो आज की रात हम बहन भाई नही बल्की दोस्त और प्रेमी के रिश्ते से गुज़ारते हैं. क्या तुम तय्यार हो? मैने उसकी आंखों की तरफ़ देखते हुए सर हिला दिया. राजीव ने मुझे अपने गले लगा लिया और अपने से चिपका लिया. उसका हाथ मेरी कमर पर उपर नीचे चल रहा था. मै उससे और ज़ोर से चिपक गयी.राजीव ने कुछ देर बाद मुझे पीछे हटाया और मेरे होंठों को अपने होंठों से टच किया. ओ भगवान ……… …….क्या लम्हा था…….. ..जैसे मै हवा मे उड रही हूं. आहिस्ता आहिस्ता मैने भी उसे रिस्पॊन्स देना शुरू कर दिया. अब हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे.राजीव ने अपना एक हाथ मेरे दाहिने बूब पर रख दिया. इस बार मुझे और भी मज़ा आ रहा था इसलिये मैने उसे नही रोका. हमारी किसिन्ग इतनी इनटेन्स हो गयी के हम एक दूसरे के होंठों को काटने लगे. मेरे अब बुरा हाल था.राजीव ने अचानक मेरी कमीज़ को उठाना शुरू कर दिया. मै एक दम रुक गयी. और उसकी तरफ़ देखा……. ..उसने मुझे इशारे से ही ना रुकने को काहा. पता नही मुझे क्या हुआ के मैने उसे फिर से किस करना शुरू कर दिया. वो मेरी कमीज़ फिर से उतारने लगा.मैने इस बार उसकी मदद भी की. अब मै सिर्फ़ ब्रा और सलवार मै थी. मै सिर्फ़ चूमने पर ध्यान दे रही थी और वो आहिस्ता आहिस्ता मेरी ब्रा भी खोल रहा था. मुझे पता था के वो क्या कर रहा है लेकिन मैने राजीव को इस बार बिल्कुल भी नही रोका. मेरी ब्रा भी उतर चुकी थी अब. राजीव ने मेरे होंठों को चूमना छोड दिया और पीछे हो कर मेरे बूब्स को देखने लगा. मुझे अब शरम आ रही थी और मैने अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पर रख लिये. वो मुसकुराया और अपनी शर्ट उतारने लगा. मै अब उसे बडे गौर से देख रही थी. इस के बाद उसने पैन्ट भी उतार दी. अब वो सिर्फ़ अन्डर्वेयर मे था और मै सिर्फ़ सलवार मे. मै अब भी अपने हाथों से बूब्स छुपा रही थी. वो मेरे करीब आया और मेरे हाथ छाती से हटाने लगा. मैने रेसिस्ट नही किया और हाथ हटा लिये. अब वो मेरे बूब्स को देख रहा था और फिर आगे बढा और मेरे बूब्स को चूसने लगा. ओ भगवान…..क्या लग रहा था……… मेरी इस बात का अन्दाज़ा सिर्फ़ वो लडकियां ही लगा सकती हैं जिन्होंने ये करवा रखा हो. मैने उसको सर से पकडा हुआ था और मेरी आंखें बन्द थी. राजीव अभी भी मेरे मम्मे चूस रहा था और उसके साथ साथ उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया जिस के साथ ही मेरी सलवार नीचे गिर गयी. अब मै सिर्फ़ पैन्टी मे थी. उसने बूब्स को किस करते हुए अपना अन्डर्वेयर उतार दिया और फिर मेरी पैन्टी भी नीचे खींच कर उतार दी. अब हम दोनो बहन भाई खुले आसमान के नीचे बिलकुल नंगे खडे थे और वो मेरे मम्मों को चूस रहा था. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. उसने हम दोनो के कपडे एक साईड पर कर दिये और मुझे गद्दे पर लेटने के लिये काहा और मै लेट गयी. अब राजीव मेरे उपर लेट गया. लेकिन एक दम मुझे जैसे कोई करन्ट लगा. क्यों के इस सारे नशे मे मै राजीव की वो चीज़ तो भूल ही गयी थी जो अब मेरे वैजाईना के बिलकुल उपर थी. हां उस का लन्ड……… ……हे भगवान……… ..पहली बार किसी का लन्ड मेरे वैजाईना के साथ टच किया था. मै बिल्कुल पागल हो चुकी थी अब. उस का लन्ड बहुत ही सख्त हो चुका था और गरम भी बहुत था. वो मेरे लेटे शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा. फिर मेरे मम्मों को कुछ देर फिर चूस के आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूत तक पहुंच गया. अब तो मै मरने वाली थी. जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरे वैजाईना पर लगायी मेरे मुंह से वैसी ही अवाज़ें निकलनी शुरू हो गयी जो कुछ देर पहेले रीना भाभी के मुंह से निकल रही थी. अब मेरी समझ मे आया के वो इतना क्यों तडप रही थी. अब मै राजीव के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत की तरफ़ दबा रही थी. मेरा मन कर रहा था की वो ऐसे ही रहे हमेशा के लिये.वो और भी ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाटने लगा. उसकी ज़ुबान ने मेरा बुरा हाल कर दिया था. करीब ८ से १० मिनट तक वो यही करता रहा. अब मै बिलकुल राजीव के वश मे थी और उसके कहने पर कुछ भी करने को तय्यार थी. राजीव ये जानता था और इसी बात का फ़ायदा उठाया उसने. वो फिर से मेरे ऊपर आ कर लेट गया और लिप किसिन्ग करने लगा लेकिन इस बार एक और काम किया उसने. मेरी दोनो टांगों को खोल दिया और उनके बीच आ गया. मेरे कान मे बोला…….. ..रीना क्या तुम मुझे अपनी सब से कीमती चीज़ दोगी? क्या तुम मुझे इतना प्यार करती हो? मै: क्या मतलब तुम्हारा….. ……… ? मै सारी दुनिया से ज़्यादा प्यार करती हूं अपने भाई से. अपना सब कुछ तो तुम को दे दिया है अब और क्या चाहिये तुम को? राजीव: अच्छा. ……अब मै जो करने वाला हूं उसको बर्दाश्त कर लोगी? मै: क्या करने वाले हो तुम?
राजीव: अपना लन्ड तुम्हारे वैजाईना के अन्दर डालने लगा हूं. पहली बार थोडी तक्लीफ़ होती है पर कुछ देर के बाद मज़ा आना शुरू हो जायेगा मै: राजीव… …..देख लो………. .कोई गरबड ना हो जाये राजीव: मुझ पर भरोसा है ना तुमको? मै: हां पूरा भरोसा है |राजीव: तो बुस तुम चुपचाप मै जो कर रहा हूं करने दो और थोडी देर के लिये तक्लीफ़ बर्दाश्त कर लेना…… मेरे लिये. मै: राजीव तुम जो करना चाहते हो कर लो………. .मै कुछ नही कहूंगी. मेरी ये बात सुन कर राजीव ने मेरी टांगें और खोल दी और उनके बीच सीधा बैठ गया. पहली बार अब राजीव का लन्ड नज़र आया मुझे…… ……..हे भगवान ……… .वो तो बहुत बडा था…….. मै फ़ोरन बोली: राजीव ये तो सुनील भैया से भी बडा है. राजीव ये सुन कर हंस पडा और उसने मेरा हाथ अपने लन्ड पर रख दिया. पहेले तो मैने पीछे हटाया पर जब उसने फिर पकडाया तो मह्सूस किया के बहुत ही सख्त और गरम था. राजीव: अब इस का कमाल देखो सिर्फ़ तुम. ये कह कर वो अपना लन्ड मेरी चूत के ऊपर रगडने लगा. राजीव की इस हर्कत से मुझे एक अजीब सा मज़ा आ रहा था. फिर उसने अपने लन्ड को आहिस्ता से मेरी चूत के अन्दर की तरफ़ धकेल दिया जिससे थोडा सा लन्ड मेरे अन्दर चला गया. अब मै आप को क्या बताऊं. इतना दर्द हुआ के बता नही सकती. लेकिन मै राजीव से वादा कर चुकी थी इस लिये अपने होंठों को अपने दांतों मे दबा कर चुप रही. राजीव मेरी हालत देख कर बोला: अभी तो सिर्फ़ १०% ही गया है. ये सुन कर मेरी तो जान ही निकल गयी. अगर १०% पर ये हाल है तो आगे क्या होगा. लेकिन मै फिर भी चुप रही. राजीव अब आहिस्ता आहिस्ता लन्ड को और अन्दर धकेल रहा था और मेरी जान निकल रही थी. फिर उसने एक ज़ोर क धक्का मारा और पूरा लन्ड एक झटके से अन्दर घुसा दिया. मेरी तो चीख निकल गयी. आवाज़ इतनी थी के अगर हम कमरे मे होते तो शायद सब जाग जाते. राजीव ने अकलमन्दी की और एक्दम अपने होंठ मेरे होंठों के साथ जोड दिये जिससे मेरी आवाज़ कम हो गयी. अब दर्द मेरी बर्दाश्त के बाहर था. मैने आंसू भरी आवाज़ मे काहा: राजीव प्लीज़ निकाल दो नही तो मै मर जाऊंगी. राजीव: बस मेरी जान हो गया…….. …कुछ देर मे ही दर्द खत्म हो जायेगा………. …बस थोडी देर रुक जाओ…….. ……मेरे लिये. राजीव की बात ने मुझे मजबूर कर दिया और मै चुप कर के बर्दाश्त करती रही. वो भी बगैर हिले मुझ पर लेटा रहा अपने लन्ड को मेरी चूत मे घुसाये. काफ़ी देर हम ऐसे ही रहे. अब वाकयी मुझे दर्द थोडा कम होता मह्सूस हुआ. मेरे चहरे को देख कर राजीव को पता चल गया की अब मै पहले से ठीक हूं. राजीव का लन्ड एक गरम सलाख की तरह मेह्सूस हो रहा था. अब राजीव आहिस्ता आहिस्ता अपने लन्ड को आगे पीछे करने लगा. पहली ५ या ६ बार आगे पीछे करने पर मुझे फिर दर्द हुआ लेकिन वो भी आहिस्ता आहिस्ता एक अजीब से सरूर मे बदल रहा था. और कुछ देर के बाद मुझे सच मे मज़ा आने लगा. एक ऐसा मज़ा जिसका मुझे अन्दाज़ा भी नही था और मै बता भी नही सकती. मै अपने ही भाई का लन्ड अपने अन्दर ले चुकी थी. मै वो हर लिमिट पार कर चुकी थी जो शायद आज तक किसी देसी लडकी ने नही की थी. अपने भाई की मानो बीवी या लवर बन चुकी थी. राजीव अब अपनी स्पीड बढाने लगा और मुझे भी मज़ा आने लगा. अब मै राजीव को कमर से पकड कर ज़ोर ज़ोर से अपने अन्दर करवा रही थी. कुछ ही देर मै मेरे अन्दर एक अजीब स तुफ़ान उठा. पता नही क्या हो रहा था मुझे मै पागलों की तरह राजीव को नोचने लगी. अब राजीव का पीछे हटना भी मन्ज़ूर नही था मुझे. मेरा दिल कर रहा था के वो अन्दर ही अन्दर जाता जाये. मै सरूर की सीमा पर आ चुकी थी. मेरी आह निकली और पूरे शरीर में एक लैहर दौड गयी. मेरा पूरा शरीर अकड गया और मुझे एक इतना ज़बर्दस्त आर्गैस्म आया की मै झटके खाने लगी. फिर एक दम मेरे अन्दर जैसे कोई तुफ़ान थम गया हो. मै बहुत ही ज़्यादा मधोश थी. लेकिन राजीव अभी भी लन्ड अन्दर बाहर कर रहा था. फिर पता नही उसे क्या हुआ और उसने अपनी स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और उसके मुंह सी भी अवाज़ें आने लगी, मुझे ये आवाज़ें बहुत ही अच्छी लग रही थी और फिर उसने एक झटके से अपने लन्ड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगा. फिर एक दम उस के लन्ड से वीर्य की धार निकली जो सीधी मेरी छाती पर जा गिरी. काफ़ी गरम था वो पानी. इस के बाद वो भी वैसे ही शान्त हो गया जैसे कुछ देर पहले मै हुई थी. राजीव मेरी साएड पर लेट गया. अब हम दोनों बहन भाई खुले आस्मान की तरफ़ देख रहे थे. काफ़ी देर तक ऐसे ही रहे. फिर मुझे खयाल आया की हम तो नंगे हैं और खुली छत पर अगर कोई आ गया तो क्या होगा. ये सारी बातें पहले नही सोची मैने. ये सोचते ही मैने राजीव को काहा: जलदी करो…….. ……याहां से चलें अब………. …कोई आ गया तो………. ……..मेरे कपडे कहां हैं?……. …….काहां रख दिये तुमने……… .? राजीव: वो दीवर के साथ साफ़ जगह पर हैं. उठा लो वहां से और मेरे भी ले आओ. ये सुन कर जैसे ही मै उठने लगी तो मुझे अभी भी वैजाईना पर दर्द हो रहा था जो मै कुछ देर से भूल चुकी थी. मैने राजीव की तरफ़ देखा और झूटे गुस्से से कहा ……. …….राजीव . ……… ….मेरे वैजाईना को फाड दिया है तुमने……… ऐसा करता है क्या कोई अपनी बहन के साथ?ये सुन कर राजीव हंसने लगा. उस समय मेरा एक हाथ मेरे वैजाईना पर था. मुझे कुछ गीला गीला मह्सूस हुआ. मैने हाथ लगा कर जब चेक किया तो मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी…….. वो तो खून थ…..ये क्या हुआ? मै घबरा के बोली: मै तो ज़खमी हो गयी हूं…..अब क्या होगा? राजीव ने बडे प्यार से काहा: कुछ नही होगा बुद्धू … ……… ऐसा ही होता है पहली बार. अगली बार ऐसा नही होगा राजीव की बात सुन कर मुझे कुछ हौसला हुआ और हम दोनों ने अपने अपने कपडे पहने. और वो जगह साफ़ की जहां खून गिरा था और बडे ही आराम से अपने अपने कमरे मै चले गये. किसी को कुछ पता नही चला. अब अपने बिस्तेर पर लेटी हुई उस रात की सारी बातें याद करने लगी. मै बहुत गिल्टी फ़ील कर रही थी पर साथ साथ मुझे ये भी पता था के मै इस बात से इनकार नही कर सकती थी के मुझे बहुत मज़ा भी आया. मुझपर एक अजीब सा सकून छाया हुआ था. मुझे पता था की आज मैने राजीव के साथ आखरी बार चुदाई नही की है और चाहे कुछ भी सोचूं, ये फिर से होगा और मै अपने आप को रोक नही पाऊंगी. और हुआ भी और एक दो बार तो रीना भाभी और मैने मिल के राजीव के साथ चुदाई की.


माँ ने चुदाई करना सिखाया

दोस्तों मैं भी इतना वेवकूफ हु की क्या बताऊँ, आप ही सोचो जिसकी माँ अपने बेटे को चोदने की ट्रेनिंग दे, वो कैसा इंसान हो सकता है, पर इसमें मेरा दोष नहीं है, दोष मेरे माँ का है, मुझे आज तक वो बच्चा बना कर ही रखी थी भले मेरी उम्र २२ साल हो गई हो, पर मैं इसमें अपने माँ का भी दोष नहीं दे सकता, क्यों की हालात ही ऐसा हो गया. मेरे पिताजी फ़ौज में थे और जब मैं ग्यारह साल का था तभी उनका देहांत हो गया, इस दुनिया में मुझे और माँ को छोड़ गया, मैं अकेला संतान था, माँ मुझे बहुत प्यार करती थी, पता नहीं उनको डर था की कही वो मुझे खो ना दे इसवजह से वो मुझे ज्यादा केयर करती थी, पापा के मौत के बाद हमलोग अमृतसर अपने पुश्तैनी मकान में आ गए, मेरी पढाई लिखाई अमृतसर में ही हुई.
बचपन से ही मैं अपने माँ के साथ ही सोया करता था, माँ मुझे ज्यादा इधर उधर जाने नहीं देती थी, मैं माँ से काफी ज्यादा लगाव था, मानो की वो मेरी एक अच्छी दोस्त थी, पर कुछ मामलों में मैं काफी पिछड़ गया था, मैं काफी शाय हो गया था, मुझे बाहर जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था, मैं हमेशा घर में ही रहता था, लड़कियों पे प्रति भी मेरी ज्यादा रूचि नहीं होती थी, सच पूछिए तो मेरी ज़िंदगी अजीब हो गई थी, माँ के साथ जब सोता था, तब भी मुझे ज्यादा बुरे ख्याल नहीं आते थे क्यों की बचपन से ही मैं औरत के संपर्क में रहा था, माँ के प्राइवेट पार्ट को छूता था, रात में उनके चूचियों को पकड़ के सोता था, मेरी माँ की उम्र अभी 40साल है, वो बहुत ही खूबसूरत और अच्छी है,
एक दिन मेरी माँ बोली की बेटा तुम्हारी लुधियाना बाली मासी तुम्हारे लिए रिश्ता ला रही है, तो मैंने कहा माँ मुझे शादी नहीं करनी है, माँ बोली बेटा अगर तू शादी नहीं करेगा तो मेरा खानदान कैसे आगे बढ़ेगा, घर में तुम्हारी पत्नी आएगी तो खुशियां लेके आएगी, तुम्हे भी बहुत मजा लगेगा, वो तुमसे प्यार करेगी, तुम्हे खुश रखेगी, और मेरा भी ध्यान रखेगी, मैं कब तक तुम्हारा ध्यान रखोगी, इसलिए तुम घर बसाओ और ज़िंदगी को खुल कर जियो, मैं चाहती हु की मेरा बेटा खुश रहे.
बात तो सब समझ में आ गई पर मुझे लग रहा था की क्या मैं अपनी बीवी को खुश रख पाउँगा, मैं ज़ी टीवी पे सीरियल भी देखता था मुझे ऐसी लाइफ ठीक नहीं लगती ही, मुझे डर लगता था की मैं अपनी वाइफ को कभी भी सेक्स से संतुष्ट नहीं कर पाउँगा, तो मैंने एक दिन रात को माँ को कहा, माँ आप मेरी शादी नहीं कराओ, क्यों की मुझे ऐसा लगता है, मैं अपनी पत्नी को खुश नहीं रख पाउँगा, तो माँ काफी समझाई, पर मुझे अंदर से डर बैठ गया था, तो माँ ने मासी को बुलाई, मासी भी काफी समझाई, मैंने माँ से कहा माँ सच तो ये बात है, की शादी के बाद अगर मैं अपने बीवी को सेक्स से संतुष्ट नहीं कर पाया तो. माँ बोली बेटा इसकी चिंता नहीं कर मैं हु ना,
दोस्तों उसके बाद क्या बताऊँ, मासी शाम को चली गई. उस रात माँ ने कहा आज तू मुझे चोद कर देख क्या मैं संतुष्ट हो पाती हु, अगर कोई कमी रही तेरे में तो मैं तुम्हे बताउंगी की तुम्हे कैसे चुदाई करनी है. मुझे माँ का आईडिया अच्छा लगा, रात को माँ काफी सज धज कर आई, वो मेरे होठ को चूसने लगी, मैं भी उनके होठ को चूस रहा था, फिर वो मेरे कपडे उतार कर मेरे छाती को जीभ से सहलाने लगी. सच बताऊँ दोनों जब वो जीभ फ़िर रही थी, पहली बार मुझे ऐसा फील हुआ की मेरे में भी दम है. और मैंने माँ के चूचियों को दबाने लगा और फिर उनके चूतड़ को दबा के उनका चूत अपने लैंड के पास लाकर रगड़ने लगा. माँ भी काफी कामुक हो गई थी, वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेके चाटने लगी. और कह रही थी बेटा मुझे तो पता ही नहीं था की तेरा लण्ड खड़ा होने के बाद इतना बड़ा हो जाता है. उसके बाद माँ मेरे मुंह के पास बैठ गई.
पैर दोनों साइड था और उनका चूत मेरे मुंह के पास बोली चाट इसे, मैंने अपने माँ के चूत को चाटने लगा. माँ आह आह आह आह बहुत अच्छे मेरे बच्चे आह आह आह ऐसा करेगा तो कोई भी खुश हो जाएगी, आह आह, दोस्तों माँ के चूत से सफेद सफेद पानी निकलने लगा मैं उनके चूत से निकलने बाली सारा माल चाट गया, उसके बाद मेरा लण्ड खड़ा हो गया, पर मेरे लण्ड में काफी गुदगुदी होने लगी और मेरे लण्ड से पानी निकल गया, माँ बोली चल अब मुझे चोद, मैं चुप था वो निचे हुई, और मेरा लण्ड जैसे पकड़ी अपने चूत में डालने के लिए, वो बहुत ही गुस्सा  हो गई .
बोली किसने बोल था तुम्हे ऐसे ही गिराने के लिए पता है तुम्हारा सारा वीर्य गिर गया है, मेरे जगह पर तुम्हारी बीवी होती तो सच में भाग जाती, मैं अपने माँ को इतने गुस्से में पहली बार देखा था, मैंने कहा माँ आपको मैंने पहले ही कह दिया था की मैं सेक्स से संतुष्ट नहीं कर पाउँगा इसलिए आप मेरी शादी नहीं कराओ, पर ये ज़िद आपकी है, माँ इतना सुनते ही, वो मुझे गले से लगा ली और बोली बेटा चिंता नहीं करो, ये पहला दिन था मैं तुम्हे रोज ट्रेनिंग दूंगी, और एक दिन ऐसा आएगा की तुम मुझे भी और अपने बीवी को भी खुश करोगे.
दोस्तों दूसरे दिन से मेरे लिए माँ ड्राई फ्रूट लाइ और शिलाजीत  लाइ, वो मुझे सरसों तेल से रोज मालिश करने लगी और मैं दिन भर में करीब २ किलो दूध पि लेता था, वही हुआ मेरी माँ रोज रोज मेरे साथ सेक्स सम्बन्ध बनाने के लिए चाहती पर मैं झड़ जाता, यही सिलसिला चलता रहा, पर दस दिन बाद से ही मेरे में एक जोश और गर्मी आ गई, अब मैं अपने माँ को खूब चोदने लगा. और वो भी मुझसे चुदवाने लगी. सच बताऊँ दोस्तों मुझे ज़िंदगी का मजा आ गया, माँ को जब भी मन करता था चोद देता था, जब वो रसोई में रोटी बना रही होती थी मैं पीछे से उनके गांड पे अपना लण्ड रगड़ रहा होता था फिर माँ अपना पेटीकोट उठा देती और मैं पीछे से भी चोद लेता था.
अब मैं शादी के लिए तैयार था, मेरी शादी भी हो गई, मेरी बीवी भी आ गई, पर मैं नर्वस था, क्यों की माँ के साथ तो मेरा बचपन से रिलेशन था पर नई लड़की से सेक्स सम्बन्ध बनाना थोड़ा कठिन था पर माँ बोली मैं हु ना कोई दिक्कत नहीं होगी, रात को मैं अपने बीवी के कमरे में गया वो घुंघट में थी. मैंने घुंघट उठाया, और बातचीत स्टार्ट कर दी. काफी देर हो जाने के बाद मेरी वाइफ मेरा हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दी. मैं थोड़ा शर्मा रहा था पर वो नहीं सरमा रही थी. धीरे धीरे वो ब्लाउज के हुक को खोल दी. वो ब्रा के अंदर टाइट टाइट बूब्स था, मैंने अपने बीवी के चूक को दबाना सुरु कर दिया, वो बड़ी गदराई हुई थी. वो गोरी थी उसका चूच बड़ा बड़ा और थोड़ी मोटी थी. वो काफी सेक्सी थी आँख बहुत ही नशीली थी. होठ गुलाबी, वो मुझे कस के पकड़ ली और वो मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चूमने लगी. धीरे धीरे वो मेरे लण्ड को पकड़ ली और फिर वो अपने सारे कपडे उतार दी,
सच बताऊँ दोस्तों मुझे ऐसा लगा की मैं आज चोद नहीं पाउँगा, मैं थोड़ा परेशान होने लगा तभी मेरी नजर खिड़की पर पड़ी, वह अंधेरे था वह माँ खड़ी थी, वो मुझे इशारे से कह रही थी की बूब्स प्रेस करो, मैंने वैसा ही किया, वो फिर इसारे से ही कहने लगी की चूत चाटो, मैंने अपने बीवी का चूत चाटने लगा, मेरी बीवी इस इस इस इस उफ़ उफ़ उफ़ करने लगी. फिर उन्होंने इशारा किया की गांड में ऊँगली डाली मैंने वैसा ही किया, मेरी बीवी काफी कामुक हो गई थी. फिर माँ बोली अपना लण्ड उसके चूत पे लगाओ, मैंने वैसा ही किया और फिर मैंने अपना लण्ड अपने बीवी के चूत में घुसा दिया, क्या बताऊँ दोस्तों, मुझे चुदाई करने में बहुत मजा आने लगा मेरी बीवी भी गांड उठा उठा के चुदवाने लगी. और मैं चोदने लगा. जब भी कभी ऐसा लगता की मैं झड़ने बाला हु, मैं अपना ध्यान बटा लेता कुछ और सोचने लग जाता, और फिर से चुदाई करने लगता.
सुहाग रात को मैंने एक घंटे तक चुदाई की थी, और फिर मैं झड़ गया था पर खुश था क्यों की मेरी बीवी भी साथ झड़ी थी. दोनों संतुष्ट थे. सुबह माँ मुझे गले से लगाई, और बोली जियो मेरे शेर आज तूने वो कर दिखाया, और मुझे गले से लगा लिया, और फिर बोली की बीवी के चलते मुझे मत भूलना, क्यों की अब मुझे भी चाहिए क्यों की तूने मुझे आदत लगा दिया.